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Tuesday 15 January 2019

Real estate me investment se kaise paaye 5 sal me 5 guna profit

रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट से कैसे पाएं  5 साल में 5 गुना प्रॉफिट 

इन्वेस्टमेंट के पॉपुलर तरीके जैसे गोल्ड, शेयर में निवेश, फिक्स्ड डिपोजिट, म्यूच्यूअल फण्ड की तुलना में प्रॉपर्टी में निवेश, तेजी से ग्रोथ करने वाला और काफी हद तक सुरक्षित तरीका है। अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए  हर कोई निवेश करता है। रियल एस्टेट में निवेश करना सदा से लोकप्रिय रहा है, प्रॉपर्टी में निवेश से मोटा मुनाफा कमाने लिए के कुछ बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी है। 

   रियल एस्टेट के अंतर्गत मकान, फ्लैट ,प्लाट, कृषि भूमि के अलावा कमर्शियल स्पेस और मुख्य सड़क से लगे लैंड आते है इनमे से अपनी पसंद और बजट के अनुसार चुनाव करना होता है। पैसे बनाने के लिए प्रॉपर्टी का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण काम होता है, पर ज्यादातर लोगों को इसका आईडिया नहीं होता।

   प्रॉपर्टी में निवेश का एक बड़ा फायदा यह है कि इसमें गोल्ड की तरह चोरी होने का भय नहीं होता। इसमें बस आपको अपनी प्रॉपर्टी को समय समय पर विजिट करते रहना होता है। दूसरा फायदा इसमें शेयर मार्केट की तरह तेज गिरावट नहीं आती।  शेयर का भाव किसी भी कारण से गिरकर कुछ दिनों में ही आधा भी हो सकता है, पर प्रॉपर्टी में यह नहीं होता। 

रियल एस्टेट में निवेश करके प्रॉफिट कैसे बनाये-

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1. निवेश कहाँ करें - 

 ज्यादातर लोग स्वतंत्र (इंडीविसुअल) मकान या फ्लैट में पैसा लगाते हैं, पर  कुछ मेट्रो सिटी को छोड़ दें तो फ्लैट में निवेश उतना फायदेमंद नहीं होता। स्वतंत्र मकान में लैंड की वैल्यू बढ़ने से फ्लैट की तुलना में रेट ज्यादा बढ़ता है पर मकान में  निवेश तभी करें जब आपको उसमे रहना है या उस इलाके में रेंटल डिमांड बहुत ज्यादा हो जिससे आप अपने मकान को किराये पर दे कर प्रति माह की इनकम प्राप्त सकें। यदि कई गुना मुनाफा कमाना चाहते हैं तो निवेश के लिए भूमि या प्लाट का चयन करें 

2. रेट बढ़ने का गणित - 

अब प्रश्न उठता है कि मोटा मुनाफा कमाने के लिए प्लाट का चयन कैसे करें? किस प्रकार की प्लाट या ओपन लैंड (भूमि ) में निवेश करना होगा? Investment  के लिए ज़मीन खरीद रहे हैं तो जिस तरफ विकास होने के चांस बढ़ रहे हों, उस इलाके में ज़मीन खरीदना होगा। 

   थोड़े समय बाद वो एरिया डेवलप होना शुरू हो जायेगा। इसकी गति शुरुवात में धीमी होती है पर कुछ समय बीतने के पश्चात वहां एक्टिविटी अधिक दिखाई पड़ने लगेगी। 

 पहले मुख्य सड़क में कमर्शियल एक्टिविटी स्टार्ट होती है, फिर रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट आने लगते हैं जिनमें से कुछ गवर्नमेंट द्वारा एप्रूव्ड प्रोजेक्ट और कुछ नॉन एप्रूव्ड प्लॉटिंग दोनों होते हैं। ऐसी एक्टिविटी स्टार्ट होते ही आपकी जमीन का रेट बढ़ जायेगा। अगर इस समय पैसे की जरूरत न हो तो कुछ समय और इंतज़ार करें तब तक बसाहट और ज्यादा हो जाएगी तब  सेल करने पर मोटा मुनाफा मिलेगा। 

    इसके लिए शहर के बाहरी इलाके का चुनाव करने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योकिं शहर के केंद्र से दूर आउटर इलाके में आपके बजट के अनुरूप जमीन मिल सकेगी। शहर के अंदरूनी या कोर एरिया में जमीनों के रेट बहुत ज्यादा होते हैं, जो मध्यम वर्गीय लोगों के बजट की पहुंच से बाहर की बात होती है। 

   जितने पैसों में शहर के अंदर छोटा सा प्लाट खरीद पाएंगे, उतने में शहर से थोड़ी दूरी पर उससे 5 गुना बड़ा जमीन का टुकड़ा या खेत खरीद सकते हैं। तुलनात्मक रूप से बड़ा प्लाट  होने पर  जमीन का रेट बढ़ने पर छोटे प्लाट की तुलना में मुनाफा अधिक होगा।              

  निवेश के लिए भूमि  (land ) का चुनाव कैसे करें    

   

1. आउटर एरिया का सर्वे करें -  

भूमि के चुनाव के लिए आप अपने एरिया के जमीन दलाल या ब्रोकर से संपर्क  कर सकते हैं।  इसके पहले  आपको अपने शहर की चारो दिशाओं की सड़कों को देखना होगा कि उनमे शहर के centre से कहाँ तक बसाहट है। 

    अब ये देखना जरूरी है कि किस दिशा में पॉश कॉलोनी, कॉलेज, बस स्टैंड, एयरपोर्ट या शॉपिंग मॉल  बने है या बनने वाले है। जिस तरफ उद्योग लग रहें हों उधर जाने की जरूरत नहीं है। हमें इंडस्ट्रियल एरिया का चुनाव नहीं करना है। 


   बिकाऊ भूमि की जानकारी आपको वहाँ  के लोकल लोगों  या किसानों से बात करने पर हो जाएगी। वहीं पर आपको उस क्षेत्र में काम करने वाले  प्रॉपर्टी एजेंट भी मिलेंगे जिनके माध्यम से जमीन के बिकाऊ होने की जानकारी मिलेगी। समाचार पत्रों के "भूमि बेचना है" कॉलम को ध्यान से पढ़ेंगे तो वहां भी बिकाऊ जमीन के विज्ञापन पढ़ने को मिल जायेंगे।

  ऑनलाइन सर्च से रियल एस्टेट वेबसाइट देखने पर वहां भी "प्लाट फॉर सेल" देखकर सेलर से सम्पर्क कर सकते हैं। इंटरनेट के जरिये आप अपना मनपसंद लोकेशन सर्च करके वहां हो रहे इंफ्रास्ट्रक्टर डेवलपमेंट और बन रही कॉलोनियों के बारे में भी जान सकते हैं।  

2. मुख्य सड़क को वरीयता दें - 

 एरिया का चुंनाव करने के बाद उस तरफ जाने वाली मुख्य सड़क को ध्यान देना है। फिर उस दिशा  में घनी  बसाहट जहाँ खत्म होती हो वहाँ से 2 km तक ज़मीन खोजना है। ये जमीन, कृषि भूमि या बंजर दोनों प्रकार की हो सकती है, जो आपको प्रति acre  या  बीघा के रेट से मिलेगी। 

   ध्यान रखें मुख्य सड़क पर ही जमीन लेनी है, अगर मुख्य सड़क पर जमीन न मिलें तब सेकंड ऑप्शन के रूप में साइड रोड का चुनाव करें परन्तु मुख्य सड़क से ज्यादा दूर ना जाएं। जमीन जिस जगह हो उसके पहुंच मार्ग की चौड़ाई ठीक ठाक होनी जरूरी है।

3. भूमि कैसी हो -  

a.  भूमि का साइज आयताकार होना चाहिए यानि चौड़ाई की तुलना में गहराई (डेप्थ ), तीन गुनी से ज्यादा न हो। त्रिभुज आकर, सामने से संकरी और पीछे चौड़ी इस तरह की जमीन न लें। 

b.  जमीन के ऊपर से पावर स्टेशन की टावर वाली लाइन या बिजली की हाई टेंशन तार नहीं गुजरनी चाहिए। यदि ऐसा है तो उस जमीन को लेने का विचार त्याग दें। अन्यथा ये हाई टेंशन वायर आपको बड़े टेंशन में डाल देगा। 

c.  जमीन का लेवल रोड के लेवल से जितना कम नीचे हो उतना ठीक रहेगा। ज्यादा गहराई होने पर फिलिंग का खर्चा भारी पड़ेगा। जमीन के पास से कोई बड़ा नाला आदि सड़क क्रॉस करके न गुजरता हो, अन्यथा भविष्य में उस नाले पर बड़े पुल का निर्माण होने से आपकी जमीन पुल के नीचे आ जाएगी।  इससे उसका वैल्यूएशन घट जायेगा। 

d.   जमीन के चुनाव करते समय उसकी फेसिंग पूर्व या उत्तर दिशा में होना अच्छा होता है। परन्तु दक्षिण (south) फेसिंग  न हो तो ठीक रहेगा अन्यथा आपको उस प्लाट को बेचने में परेशानी हो सकती है। आजकल वास्तु शास्त्र के चलते लोग दक्षिण (south) फेसिंग प्लाट लेने से बचते हैं। 

e. जमीन में विक्रेता का हक (title) क्लियर होना चाहिए। उस जमीन पर कोई विवाद या कोर्ट केस  चलता हुआ न हो। जमीन का एक से अधिक ओनर होने की दशा में सभी की उस जमीन को बेंचने के लिए सहमति होनी चाहिए। इसके लिए पहले ही सभी सदस्यों से स्वयं मिलकर बात कर लें। 

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रियल एस्टेट में इनवेस्टमेंट कैसे करें -

1 .  बजट में कैसे लाएं - 

 हो सकता है बिकाऊ जमीन साइज में बड़ी हो और आपके बजट में ना आती हो।  ऐसी दशा में आपको half acre या उससे छोटा जमीन का टुकड़ा पता लगाना होगा जो आपके बजट के अंदर खरीदा जा सके। मुख्य सड़क में छोटे टुकड़े कम होते हैं पर खोजने से मिल जाते हैं।
  
   छोटा टुकड़ा न मिलने की दशा में किसान या seller को राजी करना होगा की वो आपको अपनी बड़ी जमीन में से छोटा टुकड़ा सेल् कर दे जिससे उसकी पैसे की जरूरत पूरी होने के साथ आपका बजट भी एडजस्ट हो जायेगा। बहुत बड़ी जमीन के रेट से कम्पेयर करने पर छोटा टुकड़ा थोड़ा महंगा लगेगा। पर जमीन लेने के लिए यह कीमत अदा करनी पड़ेगी। अंततः फायदा भी यहीं से आने वाला है। 

2. टोकन मनी देने से पहले - 

 आस पास की जमीन का रेट पता करने के बाद सौदेबाजी reasonable रेट में करें फिर टोकन मनी  देने से पहले जमीन के ओरिजिनल पेपर जैसे रजिस्ट्री , ऋणपुस्तिका , land record की जांच करे और  किसी वकील के माध्यम से सर्च रिपोर्ट निकलवाए।

   जमीन का सरकारी रेट के हिसाब से चेक पेमेंट करना होता है। जिसका उल्लेख चेक नंबर सहित रजिस्ट्री पेपर में किया जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार आपके द्वारा ली जाने वाली प्रॉपर्टी की जितनी वैल्यू बन रही है, उतनी पक्के की रकम आपके एकाउंट और ITR फाइल में होनी चाहिए। आयकर विभाग आपसे कभी भी उस रकम का सोर्स पूछ सकता है। 

3. रजिस्ट्री से पहले के कार्य - 

 टोकन देने के बाद यदि 3 महीने का समय रजिस्ट्री के लिए लेना हो तो 10% रकम देकर पक्का एग्रीमेंट करवाएं। एग्रीमेंट बनवाने के लिए विक्रेता की जमीन के सारे पेपर की फोटोकॉपी लेकर  किसी नोटरी या वकील से सम्पर्क कर सकते हैं।

     रजिस्ट्री के पहले अपनी खरीदी हुयी लैंड की मार्किंग पटवारी से करवा लें और उसके चारो तरफ सीमेंट पोल लगवा लें। जमीन की रजिस्ट्री के लिए आवश्यक पेपर  का  arrangement, सेलर करेगा जो की पटवारी या तहसील कार्यालय से प्राप्त होंगे। 
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4. रजिस्ट्री के बाद - 

रजिस्ट्री के कुछ दिन बाद पंजीयन कार्यालय से रजिस्ट्री के पेपर मिलने के बाद पहला काम लैंड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाने का होता है। अगर कृषि भूमि आपने ली है तो पटवारी और तहसील कार्यालय से सम्पर्क करके आवेदन करना होगा। वहां  रजिस्ट्री पेपर के आधार पर बी-1 और ऋण पुस्तिका आपके नाम से बनाकर दी जाएगी। इसी प्रकार diverted लैंड का भी, रिकॉर्ड में नामांतरण करवाना होता है। 

   कुछ ऐसे मामले देखे गए हैं जहां लोगों ने रजिस्ट्री करवाकर रख ली और लैंड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज नहीं करवाया। बाद में पता चला कि विक्रेता ने जमीन दोबारा किसी को बेच दी क्योंकि लैंड रिकॉर्ड में उसी का नाम दर्ज था। इसलिए ऐसी भूल करने से बचें। 

 अगर आपने जमीन का छोटा टुकड़ा खरीदा है तो उसमें बॉउंड्री वाल करवा लें। यदि डायवर्सन (भूमि का कृषि से व्यावसायिक या रिहायशी उपयोग में परिवर्तन) तहसील ऑफिस से करवा लेंगे तो जमीन की वैल्यू बढ़ जायेगी। सामान्यतः मुख्य सड़क से लगी भूमि का व्यावसायिक (commercial) उपयोग हेतु डायवर्सन करवाते हैं। 

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5. जमीन की सुरक्षा - 

जमीन को 2 से 5 साल तक आपको रखना है, जितने साल तक रखेंगे आपका मुनाफा उतना ही अधिक होगा।  लैंड की रजिस्ट्री कराने के बाद आपका काम खत्म नहीं होता, हर हफ्ते या महीने में आपको अपनी जमीन का विजिट करना है। ताकि कोई वहा  कब्ज़ा न कर सके। आस पास के अन्य प्लॉट्स में हो रहे निर्माण कार्य और जमीन के रेट की जानकारी लेते रहें। 

 अगर आपने कृषि भूमि खरीदी है तो उस जमीन पर गाँव के किसी गरीब आदमी को खेती करने को कह दे जिससे जमीन की सेफ्टी के साथ आपकी थोड़ी इनकम भी आनी शुरू  हो जाएगी। इसे अधिया खेती कहते हैं। नजदीक की सोसाइटी में पंजीयन करवा लेंगे तो फसल बेचने में आसानी होगी और किसानों को मिलने वाले लोन आदि की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। 

6. छोटा फार्म हाउस बना सकते हैं - 

अगर आपके पास थोड़ा बजट  हो तो वहां  plantation करके  एक खूबसूरत फार्म हाउस बना सकते हैं। जिससे आप जमीन का रेट बढ़ने का फायदा तो उठाएंगे ही, इसके साथ फार्म हाउस का आनंद  भी उठा सकेंगे और पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान  दे सकेंगे। इसकी पूरी जानकारी के लिए मेरी ये पोस्ट  पढ़ें -

प्रॉपर्टी में निवेश - investment in property  
             
 आशा है ये लेख  "Real estate me investment se kaise paaye 5 sal me 5 guna profit" आपको प्रॉपर्टी खरीदने में सहायक होगा। ऐसी ही उपयोगी जानकारी पाने के लिए email subscribe करें और इस वेबसाइट में विजिट करते रहें। यदि आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट द्वारा बताएं।            




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