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Wednesday 11 September 2019

Short selling in share market. शार्ट सेलिंग क्या होती है

Short selling in share market.शार्ट सेलिंग क्या होती है 

शार्ट सेलिंग, शेयर मार्केट में ट्रेड करने का वह तरीका है जिसमें पहले सेल करके बाद में खरीदा जाता है। शेयर मार्केट में आये नए लोगों को इसे समझने में थोड़ी कठिनाई होती है।

   सामान्य तौर पर लोग जानते हैं कि हम उसी चीज़ को बेच पाते हैं, जिसे हमने पहले खरीदा हो परन्तु शेयर मार्केट में ट्रेड करने वालों के लिए यह सुविधा प्राप्त है कि वे पहले बेचकर बाद में खरीद सकते हैं। 

  मार्केट में तेजी और मंदी दोनों समय समय पर होती रहती है।  इसलिए यहां तेजी या मंदी दोनों में ही ट्रेड करके पैसे कमाने के अवसर होते हैं। दरअसल मार्केट की तेजी में तो पहले खरीद कर फिर ऊपर के रेट में बेचकर पैसा कमाया जा सकता है। लेकिन मार्केट अगर बेयर ग्रिप में हो और गिर रही हो तो कैसे ट्रेड किया जाये। 
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  अगर आपको लगता है कि  मार्केट गिरने वाली है तब आप पहले किसी शेयर या इंडेक्स डेरीवेटिव को बेच सकते है। यदि आपकी सोच के अनुसार मार्केट नीचे जाती है तो जितना नीचे जाएगी उतना ही आपका प्रॉफिट बढ़ता चला जायेगा। जब आपका टारगेट मिल जाये तब आप खरीद कर सौदा स्क्वायर ऑफ करके अपना प्रॉफिट बुक कर सकते है। यही शार्ट सेलिंग करके कमाने की विधि है और उतनी ही आसान है जितनी पहले खरीद कर बाद में बेचने की विधि।

शार्ट सेलिंग में प्रॉफिट कब होता है -

शार्ट सेल में प्रॉफिट तभी होगा जब हम स्टॉक या इंडेक्स F&O को ऊँची कीमत (high price) पर सेल (sell) करके बाद में जैसे ही भाव गिरे उसे कम कीमत (Low price) में खरीद लें। 

   Profit in Short Selling = Sell price - Buy price

Example

मान लीजिए आपको लगता है कि स्टेट बैंक के शेयर का भाव गिरने वाला है तो भी आप स्टेट बैंक के शेयर से लाभ कमा सकते हैं। इसके लिए आपको पहले स्टेट बैंक के शेयर को हाई रेट पर बेचना होगा और जैसे ही स्टेट बैंक के शेयर का भाव गिरे उसे लो रेट पर खरीदना होगा। 

  रेट का यह अंतर ही आपका मुनाफा होगा। परन्तु आपके सेल करने के बाद स्टेट बैंक के शेयर का रेट यदि बढ़ जाता है तब भी आपको उसे खरीदना ही पड़ेगा। ऐसी दशा में आपको लॉस बुक करके बाहर निकलना पड़ेगा। 

A. मान लीजिए आपने स्टेट बैंक के 100  शेयर को 300/- रूपये के भाव पर पहले बेच दिया अब ये शेयर इंट्राडे में गिरना शुरू करता है और आप उसे 294/- रूपये तक गिरता देखकर खरीद लेते हैं। इस तरह आपका मुनाफा (Profit) - (300 -294 =6) प्रति शेयर 6 रूपये के हिसाब से 6 x 100 =600/-रूपये होगा।

B. अब यह भी हो सकता है कि आपके 300/- रूपये के भाव पर बेचने के बाद शेयर नीचे आने की जगह ऊपर की चाल पकड़ ले और मार्केट क्लोजिंग के पहले उसका रेट आपके देखते देखते 306/- रूपये पहुंच जाए। तब आपको उसे 306/- रूपये में खरीदकर अपना सौदा स्क्वायर ऑफ करना ही पड़ेगा। इस तरह प्रति शेयर 6 रूपये के हिसाब से 6 x 100 =600/- रूपये का घाटा (लॉस) आपको सहना होगा। 
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शार्ट सेलिंग कैसे करें -

शार्ट सेलिंग दो तरह से किया जा सकता है- पहला इंट्राडे में किसी स्टॉक (Equity) को सेल करके और दूसरा डेरीवेटिव (Future and Option) के जरिये स्टॉक और इंडेक्स दोनों को सेल करके। 

A. इंट्राडे में शार्ट सेलिंग (short selling) -

इसके अंतर्गत यदि किसी स्टॉक को आज ही बेच कर और उसी दिन मार्केट बंद होने से पहले ख़रीद कर अपने सौदे को कम्पलीट कर लेते हैं तो इसे इंट्राडे में शार्ट सेलिंग कहेंगे। 

  पर यहां एक सावधानी रखना आवश्यक है  - अगर आप  स्टॉक को शार्ट सेल करने के बाद उसे किसी वजह से खरीद नहीं पाते हैं या खरीदना भूल जाते है मतलब उस सौदे को पूरा नहीं करते है, तो ऐसे केस में आपने जिसको स्टॉक बेचा है, उसको स्टॉक कि डिलीवरी नहीं मिल पायेगी। 

  ऐसी दशा में स्टॉक एक्सचेंज इस सौदे में आपको शार्ट सेलिंग का डिफाल्टर मानता है और आपके ऊपर बहुत बड़ी पेनाल्टी लगाई जाएगी। इसलिए जब स्टॉक में डायरेक्ट शार्ट सेलिंग करें  तो ध्यान रखें कि आप सौदे को उसी दिन मार्केट बंद होने के पहले कम्पलीट कर लें यानी जितनी क्वांटिटी में आपने उस स्टॉक को बेचा था उतनी ही क्वांटिटी में buy करके सौदा स्क्वायर ऑफ कर लें। 

B. डेरीवेटिव (F&O) में शार्ट सेलिंग -

यदि आपको लगता है कि कोई स्टॉक या इंडेक्स अगले कुछ दिनों में नीचे जा सकता है तो आपको उस स्टॉक को  F&O में सेल करना होगा। यहां आपको अपनी इच्छानुसार क्वांटिटी में सेल करने की जगह उसका कम से कम 1 लॉट सेल करना पड़ेगा जिसमें मार्जिन सुविधा भी मिलेगी।

  F&O में सेल करने पर आपके पास एक्सपायरी डेट तक का समय होता है जो कि महीने का आखिरी गुरुवार होता है, तब तक अपनी short पोजीशन को carry कर सकते है। 

   आप चाहें तो इस अवधि के दौरान कभी भी buy करके अपना सौदा कम्पलीट कर सकते हैं। यहां एक सावधानी रखें - किसी स्टॉक फ्यूचर के 1 लॉट की कीमत 5 -7 लाख रूपये होती है यदि स्टॉक के प्राइस में थोड़ा भी चेंज ऊपर की तरफ आया तो आपको बड़ा लॉस दिखने लगेगा। अपने सौदे को carry करने के लिए प्रतिदिन उस लॉस को भरना भी पड़ेगा। 

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शॉर्ट सेलिंग से हेजिंग -

मार्केट की मंदी के समय ट्रेडिंग करके शॉर्ट सेलिंग से पैसा कमाया जा सकता है साथ ही शॉर्ट सेलिंग को हेज रणनीति के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

 इसका अर्थ है कि शॉर्ट सेलिंग के जरिये हम अपने  निवेश (investment) की सुरक्षा भी कर सकते हैं। स्टॉक मार्केट में शार्ट टर्म में मार्केट अक्सर मंदी भी देखने को मिलती है, इस मंदी से बचने  और अपनी पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए शॉर्ट सेलिंग करके हेजिंग करनी  होती है। 

 मान लीजिए आपके पोर्टफोलियो में  स्टेट बैंक  के शेयर है, और किसी अफवाह के कारण उसके शेयर के भाव गिरने लगते हैं और आपका अनुमान है कि यह गिरावट अस्थायी है और लम्बे समय तक स्टॉक का भाव नहीं गिरने वाला है तो ऐसे समय में अपने पोर्टफोलियो से स्टेट बैंक को बाहर करने की बजाय उसका फ्यूचर सेल कर सकते हैं। अब स्टेट बैंक के शेयर का भाव गिरने पर पोर्टफोलियो में जितना नुकसान होगा उससे अधिक लाभ शार्ट सेलिंग करके कमा सकते हैं। 

conclusion -

शॉर्ट सेलिंग की रणनीति की कामयाबी आपके रिस्क लेने की क्षमता, बाजार की सटीक समझ और नवीनतम जानकारियों तक पहुंच पर निर्भर करती है। इसके बगैर अगर आपने यह रणनीति अपनाई तो पैसा गंवाने का खतरा काफी अधिक होता है। 

  आशा है ये आर्टिकल "Short selling in share market. शार्ट सेलिंग क्या होती है" पढ़कर आप शार्ट सेलिंग के विषय में बहुत कुछ समझ गए होंगे, इस जानकारी को अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल और सुझाव कमेंट सेक्शन में जाकर लिखें। शेयर मार्केट की और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 

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