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Thursday 12 December 2019

FASTag- Electronic toll collection- फास्टैग क्या है

FASTag- Electronic toll collection- फास्टैग क्या है 

भारत सरकार ने देश के टोल प्लाजा में होने वाली परेशानियों का निदान करने के लिए  “इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन” (ETC) सिस्टम शुरू किया गया है।

 इसका उद्देश्य टोल कलेक्शन में पारदर्शिता लाने के साथ टोल प्लाजा में लगने वाली गाड़ियों की लंबी लाइन के कारण समय और डीजल -पेट्रोल की बर्बादी के साथ खुले पैसे (change) की समस्या को हल करना है।   इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम या फास्टैग स्कीम भारत में  2014 में शुरू की गई थी।  जिसे अब देश के सभी टोल प्लाजा  पर  लागू किया जा रहा है।  

    फास्टैग अपनी गाड़ी में लगाने के बाद आप टोल प्लाजा में बिना रुके अपना टोल - टैक्स दे सकेंगे। इसके लिए आपका फास्टैग पहले से रिचार्ज होना चाहिए। टोल नाके पर आपकी गाड़ी के पहुंचने पर वहां लगा स्कैनर उतनी राशि आपके फास्टैग एकाउंट से काट लेगा जो उस टोल प्लाजा में लगनी होगी। 

  आइए जानते हैं कि  फास्टैग क्या होता है? और यह कैसे काम करता है? इसे कहां से खरीद सकते हैं और रिचार्ज कैसे करते हैं?

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फास्टैग (Fastag) क्या है -

फास्टैग, इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है,  इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) का इस्तेमाल होता है। इस टैग या स्टीकर को वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है। जैसे ही आपकी गाड़ी टोल प्लाजा में पहुंचती है, वैसे ही टोल प्लाजा पर लगा सेंसर आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर लगे फास्टैग को ट्रैक करके आपके फास्टैग अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क काट लेता है और टोल प्लाजा का गेट ओपन हो जाता है। 

  इस प्रकार वहां रुके बगैर आप आगे बढ़ पाते हैं। जब भी आप फास्टैग लगे वाहन से किसी टोल प्लाजा को पार करेंगे,  तो फास्टैग अकाउंट से आपका शुल्क कटते ही आपके मोबाइल पर एक SMS आएगा।  जिसके जरिए आपको उस  टोल प्लाजा पर कितनी राशि काटी गई है उसकी जानकारी मिल जाएगी। जब आपके फास्टैग अकाउंट की राशि खत्म हो जाएगी, तो आपको उसे फिर से रिचार्ज करवाना पड़ेगा। 

    यह उसी तरह है जिस तरह आप अपने मोबाइल के सिम को रिचार्ज करवाते हैं। यह कार्य नेट बैंकिंग के माध्यम से अपने क्रेडिट कार्ड,  डेबिट कार्ड या आरटीजीएस के जरिये कर सकते हैं। रिचार्ज करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि गाड़ी मालिक का बैंक एकाउंट ही उपयोग किया जाए।  

  फास्टैग खाते में कम से कम Rs.100/- और ज्यादा से ज्यादा 1 लाख रुपए तक का रिचार्ज कराया जा सकता है, यह राशि 5 वर्ष तक मान्य होगी। साथ ही फास्टैग की वैधता भी 5 वर्ष की होगी यानी 5 वर्ष के बाद आपको नया फास्टैग अपनी गाड़ी पर लगवाना होगा। 

फास्टैग कहां से खरीदें -

आप यह टैग किसी प्राइवेट बैंक (जैसे HDFC, ICICI, AXIS bank आदि) के अलावा राष्ट्रीकृत बैंक्स से खरीद सकते हैं। ऑनलाइन खरीदना चाहें तो पेटीएम या अमेज़न से मंगवा सकते हैं और उसमें बताई गई विधि के अनुसार उसे रिचार्ज कर सकते हैं। बहुत से टोल प्लाजा में भी यह उपलब्ध है। 

  आगे चलकर नयी गाड़ी खरीदते समय, डीलर इसे लगाकर ही देगा। जल्द ही पेट्रोल पंपों पर फास्टैग उपलब्ध कराए जाएंगे। इसे लेने के लिए अपनी गाडी की RC book के साथ अपना एक पासपोर्ट साइज फोटो और ID प्रूफ साथ लेकर जाएँ। 


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Fastag का निर्धारित रंग -

विभिन्न प्रकार के वाहनों के लिए अलग अलग रंग के फास्टैग का प्रावधान है।कार, जीप वैन के लिए नीले रंग का फास्टैग निर्धारित किया गया है जबकि हल्के वाणिज्य वाहनों के लिए लाल व पीला रंग, बस के लिए हरा व पीला रंग, मिनी बस के लिए संतरी रंग निर्धारित किया गया है। 

  ट्रक को मिलने वाले फास्टैग उनकी क्षमता (capacity) के अनुसार अलग रंग के हैं। जेसीबी व अन्य निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाली मशीन के लिए ग्रे रंग का फास्ट टैग निर्धारित हुआ है। 

विशेष ध्यान रखने योग्य बातें -

1. फास्टैग को अपनी गाड़ी के विंड शील्ड के मध्य में लगाना है न कि दाएं या बाएं साइड में। इसे अंदर की तरफ से लगाएं इसके पहले विंड शील्ड को सही तरीके से साफ़ कर लें। इसे एक बार चिपकाने के बाद निकालने का प्रयास न करें, ऐसा करने से यह खराब हो सकता है। 

2. NHAI के मुताबिक अगर किसी टोल पर RFID स्कैनर में कोई खराबी है और वह फास्टैग को स्कैन नहीं कर पा रहा है, तो इसके लिए वाहन चालक को कोई पैसा नहीं चुकाना होगा और उसे फ्री में जाने की इजाजत दी जाएगी। साथ ही टोल वाले मैनुअल तरीके से जीरो फीस की रसीद भी काटेंगे, ताकि उस गाड़ी का रिकॉर्ड दर्ज हो जाए। 

  परन्तु इसके लिए आपके फास्टैग एकाउंट में पर्याप्त बैलेंस होना जरूरी है, बैलेंस नहीं होने पर आपको दोगुना टोल टैक्स देना होगा।

3. अगर आपकी गाड़ी पर फास्टैग नहीं लगा है और आप टोल प्लाजा पर फास्टैग लेन में अपनी गाड़ी लगा देते हैं, तो भी आपको दोगुनी राशि चुकानी होगी। हालांकि, टोल प्लाजा पर एक लाइन बिना फास्टैग वाहनों के लिए भी होगा और इसमें सामान्य टैक्स वसूला जाएगा।  
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FASTag समस्याएं और समाधान -

जहां फास्टैग से वाहन मालिकों को सरलता हुई है वहीं इससे जुड़ी कुछ कमियां और चिंताएँ भी देखी जा रही हैं - 

1.  FASTag का चोरी होना -

पहली चिंता फास्टैग के चोरी हो जाने की है। चूंकि यह टैग, विंडस्क्रीन पर  केवल चिपका होता है, इसलिए यह चोरी या डैमेज हो सकता है। ऐसा होने पर आप तुरंत फास्टैग जारी करने वाली एजेंसी या बैंक को चोरी या नुकसान के बारे में सूचित करें जिससे वे उस फास्टैग को ब्लॉक करने की प्रक्रिया करने के बाद आपको दूसरा टैग दे सकते हैं।

2.  तकनीकी समस्या -

एक शंका यह है कि टोल नाके का स्कैनर हमारी गाड़ी के फास्टैग को रीड करके हमारे खाते से पैसा काटे परन्तु आगे वाली गाड़ी के लिए गेट खोल दें और जब हम गेट तक पहुंचें तो गेट बंद हो जाए।

  हालाँकि इसकी संभावना कम है, क्योंकि स्कैनर फास्टैग को तभी रीड करता है जब गाड़ी गेट के बिलकुल करीब पहुंचती है। इसमें सावधानी यह है कि सामने वाली गाड़ी से अपनी गाड़ी का डिस्टेंस 3 मीटर बनाये रखें। 

     किसी तकनीकी त्रुटि के मद्देनजर टोल शुल्क आपके खाते से दो बार काटा जा सकता है। ऐसा होने पर जिस बैंक में आपका टैग खाता पंजीकृत है, वह आपकी सहायता कर सकता है। अपने FASTag ग्राहक पोर्टल पर जाकर, आप टोल राशि की दोहरी कटौती के बारे में दावा दर्ज कर सकते हैं, और पुनर्मूल्यांकन के लिए अनुरोध कर सकते हैं।

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3.  FASTag लेन में अनधिकृत वाहन-

जानकारी के अभाव में FASTag लेन में ऐसे वाहन घुस जाते हैं जिनके पास यह नहीं है। इससे फास्टैग वाले वाहन चालकों को भी इंतजार करना पड़ता है और उनका प्रतीक्षा समय काफी बढ़ जाता है। यह फास्टैग धारकों के सामने आने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक है। इसके अलावा  यह फास्टैग के उद्देश्य को भी निरर्थक बना देता है।

    बिना फास्टैग वाले वाहन, फास्टैग लेन में प्रवेश न करें यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपाय किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए टोल प्लाजा के पहले सभी के समझ में आने वाले स्पष्ट संकेतक हों जिससे वाहन सही लेन में प्रवेश करें। 

4. SMS प्राप्त होने में देरी -

यह समस्या फास्टैग उपयोगकर्ताओं के लिए देखी जा रही है कि टोल नाके पर कितने पैसे काटे गए हैं इसकी सूचना उनके मोबाइल पर तुरन्त नहीं आ रही है और कभी कभी इसमें 10 मिनट का समय लग जाता है। तब तक वाहन चालक टोल से करीब 10 km. दूर जा चुका होता है। 

     इसी तरह FASTag उस समय ब्लैक लिस्ट हो जाता है, जब उपयोगकर्ता अपने FASTag वॉलेट में पर्याप्त राशि का बैलेंस बनाए रखने में विफल रहता है। इससे बचने के लिए SMS सेवा में सुधार करना होगा जिससे खाते से पैसे कटने और बैलेंस की जानकरी उपयोगकर्ता को समय पर मिल सके।  

Conclusion -    

किसी आधुनिक व्यवस्था को लागू करने से किसी समस्या का समाधान तब तक पूर्ण रूप से नहीं हो सकता जब तक उसके लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं किया जाता। यहां एक बड़ी समस्या सर्वर डाउन की है जिसके कारण लोग परेशान होते हैं। इसके साथ लोगों को अपनी गाड़ी निकालने से पहले अपने फास्टैग के बैलेंस को चेक करने की आदत भी डालनी होगी। 

   इस तरह समस्या के समाधान के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जायेंगे, तभी उपयोगकर्ता की संतुष्टि के साथ उसके समय की बचत होगी और इस योजना की सफलता के अवसर कई गुना बढ़ जाएंगे।

  आशा है इस आर्टिकल "FASTag- Electronic toll collection- फास्टैग क्या है"  से आपको फास्टैग संबंधी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल और सुझाव कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। ऐसी ही अन्य उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 

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