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Tuesday 14 April 2020

How to Stay Strong in Tough Time-कठिन समय में क्या करें

How to Stay Strong in Tough Time-कठिन समय में क्या करें 

हमारे जीवन की परिस्थितियां कभी एक जैसी नहीं रहती। सुख और दुःख हमारे जीवन के अनिवार्य अंग हैं यहां कभी उपलब्धि, उत्साह और ख़ुशी के पल आते हैं तो निराशा, हानि और कष्ट का समय आने में भी देर नहीं लगती। 

  जब हमें कष्टों का सामना करना पड़ता है और परिस्थितियां बड़ी विकट लगने लगती हैं तब हम समझ नहीं पाते कि ऐसे कठिन समय से कैसे निपटा जाए। 

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   कई बार हमारी सोच के विपरीत अचानक होने वाली घटनाओं का सामना हमें करना पड़ता है। नौकरी छूटने या व्यापार में मंदी के कारण होने वाला आर्थिक संकट, स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, संबंधों में तनाव जैसे अनेक कारण हैं जिनसे हम बहुत डिस्टर्ब हो जाते हैं।  

    जब भी ऐसा कठिन समय जीवन में आता है, तब हम बुरी फीलिंग्स में घिरकर कमजोर पड़ जाते हैं जिससे हालात और कठिन हो जाते हैं। जब आपको लगे कि जीवन में सब कुछ गलत हो रहा है तो ये 5 चीजें करें। 

कठिन समय में क्या करें (How to Stay Strong in Tough Time)

1. केवल वास्तविक कठिनाइयों पर विचार करें -

जो बातें आपको परेशान कर रही हैं, उनकी एक सूची बना लीजिये। यह समझने की कोशिश करें कि आपकी समस्या क्या है और वह कितनी वास्तविक या काल्पनिक है। जो बात आपको परेशान कर रही है, क्या वह वर्तमान समय की है या भविष्य में किसी घटना का संभावित दुखद दृश्य आपके दिमाग में है जिसकी कल्पना करके आप परेशान हो रहे हैं और तनाव में हैं। 

   ऐसी काल्पनिक बात को अपनी सूची से हटा दें क्योंकि पुल आने के पहले उसे पार नहीं किया जा सकता। अभी आपको वर्तमान समय की कठिनाइयों से बाहर निकलने का उपाय सोचना है अगर वर्तमान को सुधारेंगे तो भविष्य अपने आप संवर जाएगा।

   छोटी छोटी बातों को बड़ा करके देखने की आदत से बचें और उन्हें  नज़रअंदाज़ करना सीखें। यदि सड़क पर किसी ने बारात या जुलूस निकालकर ट्रैफिक में बाधा उपस्थित कर दी है तो आपको उत्तेजित होने की जरूरत नहीं है ऐसे समय में आप पुलिस कण्ट्रोल रूम में फ़ोन करके ट्रैफिक बाधा के बारे में बता सकते हैं। सड़क पर किसी ड्राईवर को गलत तरीके से गाड़ी चलाते देखकर क्या सचमुच इतना परेशान होने की जरूरत  है? यह देखें कि ऐसी बातों से आपका क्या संबंध है। 


    अपना ध्यान सिर्फ उन बातों पर केंद्रित रखें जो आपके जीवन के लिए सही मायने में महत्वपूर्ण हैं और इसके अलावा किसी और बात की व्यर्थ चिंता न करें। 

   उन कठिनाइयों का रोना रोने से भी कोई फायदा नहीं है जिन पर आपका कोई वश नहीं है। जैसे सार्वजनिक रूप से लागू किये जाने वाले नियम कानून जिनसे थोड़े समय की कठिनाई आती हो या विश्व पटल पर घटने वाली घटनाएं जिनमें युद्ध और प्राकृतिक आपदाएं भी शामिल हैं। 

   ऐसी बातों को सोचकर अपनी कठिनाई बढ़ाने का कोई फायदा नहीं निकलने वाला। यदि आप किसी आपदा की स्थिति में चाहें तो अपना सहयोग, आर्थिक या अन्य किसी रूप में दे सकते हैं, परन्तु व्यर्थ परेशान और दुखी न हों।

    केवल अपनी वास्तविक परेशानियों को सूचीबद्ध कर लीजिये, क्योंकि यही सच्चाई है। फिर अपनी सारी ऊर्जा इससे निपटने में लगा दीजिये। 
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2. अपना ध्यान नेगेटिविटी से हटाएँ -

जब आपको लगे कि सब कुछ गलत हो रहा है, तो अपना ध्यान गलत पर से हटाकर देखें कि अभी भी क्या सही है। आपका मस्तिष्क एक सर्च इंजन है, उसे सही की खोज करने के लिए आदेश दें। क्या आपको लगता है कि सब कुछ रसातल की ओर जा रहा है या नष्ट हो गया है?  लेकिन यह सच नहीं है। अगर आप हार नहीं मानते हैं तो प्रतिकूलता अक्सर सफलता की सीढी बनती है। 

    कितना भी कठिन समय क्यों न हो अगर आप खोजेंगे तो पाएंगे कि अभी भी बहुत कुछ नष्ट होने से बचा हुआ है, जिसके सहारे आप इस अँधेरे भंवर से बाहर निकल सकते हैं। उस सहारे पर अपना ध्यान लगाइये। 

   हो सकता है कठिन समय ने आपके कुछ हथियार छीन लिए हों परन्तु आपको अपने बचे हुए साधनों की तरफ देखना है और उनके सहारे इस मुसीबत के पहाड़ को चीरकर अपना रास्ता बनाना है। सिर्फ इस पहाड़ को देखते रहेंगे तो उससे पार पाना मुश्किल होगा। 

    एक नौसिखिये सायकल चालक की दृष्टि सड़क पर पड़े हुए पत्थर की तरफ जाती है तो वह पत्थर को देखने लगता है और सोचता है पत्थर से टकरा न जाऊं। उसकी सायकल पत्थर की ओर बढ़ती जाती है, इस बीच उसका पूरा ध्यान पत्थर में ही बना रहता है और वह उससे टकरा जाता है। जबकि हैंडल को मोड़कर वह आसानी से पत्थर से बिना टकराये निकल सकता था। 

    आप केवल खराब चीजों और घटनाओं को देखेंगे तो आपको  जीवन में वहीं चीज़ें और भी अधिक मात्रा में घटित होती दिखाई पड़ती हैं, क्योंकि आपका ध्यान सिर्फ उन्हीं चीजों पर है। इस प्रकार आप नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और निराशा रुपी अन्धकार के बादल से घिरे रहकर छटपटाते रहते हैं। 

    जीवन में घटनाएं तो घटती रहती हैं यह आप पर निर्भर है कि उसका विश्लेषण किस प्रकार से करते हैं। अगर आपने अपने दिमाग की प्रोग्रामिंग, बुराई देखने के हिसाब से की हुई है तो वह हर घटना से बुराई ही खोज कर निकालेगा। इसके विपरीत सकारात्मक सोच वाला वहां से अच्छाई खोज निकलेगा और प्रशन्न रहेगा जबकि पहला व्यक्ति दुखी होगा। 
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3. कठिनाई का डटकर मुकाबला करें -

जब तक जीवन है तब तक किसी न किसी रूप में हमें कठिनाइयों से जूझना ही पड़ेगा और यही तो हमारी परीक्षा की घड़ी होती है। कठिनाई को स्वयं से बड़ा न समझे। उससे डरकर भागने की जगह एक योद्धा की तरह उसका मुकाबला करें। 

 आप अपने पिछले जीवन की सफलताओं को याद करें और देखें कि उस समय भी हालात बहुत खराब थे, परन्तु आपने उनका सामना करते हुए सफलता पाई थी। 

    बिना विपरीत परिस्थिति के हम मजबूत कैसे बनेंगे इसलिए ऐसे समय को चैलेंज के रूप में लीजिये और आगे बढिये। अपनी योजना के अनुसार कठिनाई से पार पाने के अपने अभियान में जुट जाइये, या तो आप जीतेंगे या सीखेंगे। 

  यदि पहले प्रयास में जीत न भी मिले तो उसका अफ़सोस  करने के बजाय अपने प्रयास करने के तरीके में सुधार करते हुए स्थिति का मुकाबला करेंगे तो जीत अंततः आपकी ही होगी। 

4. कठिनाईयों से पार हुए लोगों को देखें -

आपके आस पास भी बहुत से लोग मिल जायेंगे जो आप से भी बुरी स्थिति में थे पर उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा और अंततः कठिनाई पर उन्हें विजय प्राप्त करने में सफलता मिली। ऐसे लोगों से मिलें या उनके बारे में सोचें इससे आपका आत्मबल मजबूत बनेगा। 

    मानव जाति के इतिहास में अनेक लोग अपनी कठिनाइयों और बुरी परिस्थिति के बाद भी न केवल जीवित रहे बल्कि उससे बाहर आये। 

    चाहे गरीबी की बात करें तो आज के धनपतियोँ में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी शुरुवात अत्यंत गरीबी में की थी। प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं में लोगों ने अपना पूरा परिवार खोया, फिर अकेले रहकर अपना संबल बनाये रखा,  यह सोचकर कि मृत्यु भी जीवन का सत्य है। 

  नेल्सन मंडेला जैसे बहुत से लोगों ने लम्बा एकांतवास और कारावास झेला है और ऐसी दशा में भी अपने मानसिक संतुलन को बरकरार रखने में सफल रहे। 

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   सड़क दुर्घटनाऐं होती रहती हैं और बहुत से लोगों को अपने अंग खोने के बाद व्हीलचेयर में आना पड़ता है। दोनों पैर खोने बाद भी इनमें से कुछ लोग जीवन में उत्साह से भरपूर रहकर खेल की प्रैक्टिस करते हैं और Paralympic Games में मेडल जीतने में सफल हो जाते हैं।  

    यह देखा गया है कि आशावादी लोग शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं। दुर्घटना के शिकार एक व्यक्ति ने बताया कि शुरुआती झटके के बाद उसने अपनी स्थिति को स्वीकार किया और वह खुश था कि वह अभी जीवित था। डॉक्टरों ने कहा कि वह फिर कभी नहीं चल पायेगा। परन्तु अपने सकारात्मक रवैये के कारण वह पूरी तरह से चमत्कारी रूप से तेजी से स्वस्थ हो गया।  

  लम्बी बीमारी झेलने के बाद उससे उबरकर दिखाने वाले भी बहुत लोग रहे हैं। उन लोगों की कहानियों पढ़ें जिन्होंने आपके जैसी कठिनाइयों का अनुभव किया और मजबूत बने। उनकी कहानियाँ, आपकी आत्म-केंद्रित सोच को प्रभावित करती हैं। अगर उन्होंने ऐसा किया, तो आप भी कर सकते हैं।

5. आध्यात्मिक दृष्टिकोण बनाये रखें -

समय का चक्र निरंतर गतिमान है और इस जगत में कुछ भी स्थाई नहीं है।  यहां हमेशा सुख ही रहे और दुःख कभी न आये ऐसी सोच ही गलत है। एक धार्मिक व्यक्ति की असली पहचान यह है कि वह सुख और दुःख दोनों ही स्थिति को समान भाव से स्वीकार करता है। 

    अगर आप किसी कठिनाई या दुख से घिरे हैं और उससे उबरने की कोशिश में लगे हैं, परन्तु उबर नहीं पा रहे हैं, तब भी चिंता न करें। अपने मन में विश्वास रखिये कि "यह वक्त भी गुजर जाएगा।" उस दैवीय शक्ति पर विश्वास रखिये जिसने आपको उम्र के इस पड़ाव तक इस धरती पर कायम रखा है जबकि अनेक लोग आपकी उम्र तक पहुंचने से पहले ही चल बसे हैं।  

  कठिन समय में आपको अपनी मानसिक स्थिति शांत बनाये रखनी होती है, इसके लिए ध्यान (Meditation) बहुत लाभकारी है। किसी शांत जगह में बैठकर कुछ लम्बी -गहरी सांसे लीजिये फिर आँखें बंद करके मन में घुमड़ते विचारों को शांत भाव से साक्षी बनकर देखते जाइये। 

   प्रतिदिन यह अभ्यास करने पर विचार धीरे धीरे कम होने लगेंगे और चित्त शांत हो जायेगा। इससे मन का भटकाव कम होगा और समस्या के निदान करने की दिशा में निर्णय लेने और कार्य करने में आसानी होगी। 

   आशा है ये आर्टिकल "How to Stay Strong in Tough Time-कठिन समय में क्या करें "आपको उपयोगी लगा होगा। इसे अपने मित्रों एवं परिवार के अन्य सदस्यों को प्रेषित करें जिससे उन्हें भी इसका लाभ मिल सके। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी पोस्ट पढ़ने के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 

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