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Wednesday 22 April 2020

Life After COVID-19-कोरोनावायरस के बाद जीवन कैसा होगा

Life After COVID-19-कोरोनावायरस के बाद जीवन कैसा होगा 

दुनियां भर में कोरोनावायरस का व्यापक रूप से फैलाव होने के साथ इससे संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोविद -19 से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है। इसके आगे लोग बेबस हैं और अभी तक इस बीमारी से बचाव का एकमात्र तरीका घरों में बंद रहना ही है। 

  यह हमारे लिए एक नया अनुभव है, जो हमें निस्संदेह कई सबक सिखाएगा। इस महामारी के खत्म होने के बाद भी लोग पहले जैसी सहजता से एक दूसरे से मिलने की जगह थोड़ी दूरी बनाकर मिलेंगे। 
COVID-19

    इस महामारी का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर भिन्न तरीके से पड़ेगा। जिस व्यक्ति ने अपने निकट संबंधी को खो दिया है, उसे आघात को दूर करने में अधिक समय लगेगा। COVID-19 का हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों में न केवल अल्पकालिक बल्कि दीर्घकालिक व्यापक प्रभाव दिखाई पड़ेगा। 

कोरोनावायरस के बाद का जीवन (Life After COVID-19)

कृतज्ञता का भाव बढ़ेगा -

कोविद -19 महामारी से प्रतिदिन सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, समाचार पत्रों के पन्ने मृतक लोगों के आंकड़ों से भरे पड़े हैं। शक्तिशाली समझे जाने वाले अमेरिका और यूरोपीय देशों की शक्ति भी इस वायरस के आगे किसी काम की नहीं रही, उनका अहंकार बौना हो चुका है। 

    इस महामारी से बचे लोगों में परम् शक्ति के प्रति कृतज्ञता का भाव कई गुना बढ़ेगा। लोगों को लगेगा उनका धरती पर अभी भी मौजूद होना एक बड़ी बात है। इस तरह एक आध्यात्मिक चेतना का विकास होगा, जो मानव जीवन का परम लक्ष्य है।  

   इस संक्रमण की शुरुवात वुहान के मीट मार्केट से हुई, जहां जंगली जानवर बेचे जाते हैं। इन लोगों को सोचना होगा कि क्या ये जंगली जानवर उनके भक्षण के लिए हैं। 

  प्रकृति विरुद्ध उठाये गए किसी भी कदम की कीमत अंततः मुनष्य जाति को अदा करना ही पड़ेगी। किसी भी अति की सज़ा यहां जरूर मिलती है, संतुलन कायम रखना प्रकृति का स्वभाव है। आगे चलकर शाकाहार को और अधिक महत्व मिलेगा। 

आवश्यकता और तृष्णा का भेद -

लोगों ने घरों में रहकर इस बात को भी गौर किया कि जीवन के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं क्या हैं। बाहर का खाना और रेस्टोरेंट का भोजन अनिवार्य नहीं है, मॉल - मल्टीप्लेक्स की सैर के बिना भी रहा जा सकता है, यह भी लोगों ने सीखा। 

    विचार का यह चक्र चलता रहे तो हमें अपनी तृष्णा के खेल का पता लग जायेगा। जिसे पूरा करने के लिए हम दिन रात परेशान और चिंतित रहते हैं। परन्तु हमारा जीवन आडंबर के बिना भी आराम से चल सकता है। 

   हमें यह समझने में देर नहीं लगेगी कि यह झूठी आवश्यकता या तृष्णा केवल एक भ्रम है। वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए निरंतर बेचैन रहना हमारी भूल है। ये वस्तुएं मिलने के बाद भी अपूर्णता का भाव बना ही रहता है। वास्तव में आडंबर से हमारे जीवन मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती, यह हमारे लिए एक बड़ा सबक हो सकता है।
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रहन सहन का तरीका बदलेगा -

घनी आबादी वाले मुंबई, जयपुर, इंदौर जैसे बड़े शहरों में इस बीमारी का प्रकोप अधिक देखा गया है। इस महामारी ने हमें सिखाया कि बहुत पास पास रहना खतरनाक है। ऐसी सरंचना के मकान बस्तियों में होते हैं साथ ही गन्दी बस्तियों की पुनर्बसाहट के लिए कम लागत के जो ढांचें बनवाये जाते हैं वहां भी लोग सोशल डिस्टैन्सिंग का पालन करने की स्थिति में नहीं होते। 

    इस आधार पर आगे चलकर आउटर में बने फार्महाउस टाइप मकानों को लोग प्रेफर कर सकते हैं। क्योंकि बहुमंज़िला इमारते लिफ्ट और सीढ़ी इत्यादि के कॉमन यूज़ के कारण सेफ नहीं रहती। इस प्रकार की महामारी आने पर हो सकता है लिफ्ट के बटन और सीढी रेलिंग को किसी संक्रमित व्यक्ति ने छुआ हो, जिससे यह बीमारी किसी अन्य को भी हो सकती है। 

  इस कारण स्वतंत्र मकानों की डिमांड बढ़ सकती है जिसमें एक छोटा सा किचन गार्डन भी हो। लोग ऐसे मकान पसंद करेंगे जहां आर्गेनिक सब्जियां उगाई जा सकें। 

   आगे चलकर गले मिलने की जगह, नमस्कार करने की भारतीय परम्परा का पालन पूरे विश्व में लोग करना चाहेंगे। सफाई के दृष्टिकोण से लोग समझने लगेंगे कि जूतों का स्थान घर के बाहर होना चाहिए। 
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डिप्रेशन बढ़ेगा -

CoVid-19 ने जहां बीमारी की चिंता से भयभीत कर रखा है वहीं लॉकडाउन ने लोगों की आर्थिक परेशानी बढ़ा दी है। अपने काम धंधे, रोजगार, नौकरी के बारे में लोग आशंकित हैं। 

   लॉकडाउन खुलने के बाद भी स्थितियों को सामान्य होने में कुछ समय जरूर लगेगा। इससे तनाव बढ़ेगा और नींद न आने की समस्या के बढ़ने से मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ेगा जो पार्किंसन बीमारी को जन्म दे सकता है। दुनियां में इस प्रकार का प्रभाव स्पैनिश इन्फ्लूएंजा 1918-19 की महामारी के बाद देखा गया था। 

   अधिक सोचने और परेशान रहने से डिप्रेशन के शिकार लोग बढ़ते जायेंगे और उन्हें कॉउन्सलर की जरूरत पड़ेगी। भारत में अभी मनोवैज्ञानिक सलाहकार बहुत कम हैं परन्तु आगे चलकर डिप्रेशन की समस्या देखते हुए इनकी अधिक जरूरत पड़ेगी और इस क्षेत्र में जॉब के अवसर बढ़ेंगे। 
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स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ेगी -

डॉक्टर, अस्पताल सहित हेल्थकेयर उद्योग की मांग बढ़ने से ये बहुत व्यस्त हो सकते हैं। स्वास्थ्य बीमा के ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी। दवा व्यवसाय बढ़ने के साथ दवा उत्पादक कंपनियों का लाभ बढ़ेगा।

इंटरनेट का उपयोग और बढ़ेगा -

कोरोनावायरस के कारण घरों में रह रहे लोग पहले की तुलना में इंटरनेट पर ज्यादा समय बिता रहे हैं। इस दौरान स्काइप से स्काइप कालिंग में 220% की और फेसबुक मैसेंजर से ग्रुप वीडियो कालिंग में 70% की वृद्धि हुई है। वहीं व्हाट्सएप वीडियो और ऑडियो कॉल्स की संख्या भी डबल हो गई है। 

  कोरोना का प्रकोप खत्म होने के बाद भी यह ट्रेंड जारी रहेगा। भविष्य में नेटफ्लिक्स और अमेज़न जैसे डिजिटल प्लेटफार्म की लोकप्रियता बढ़ेगी और बहुत से निर्माता सिनेमा हॉल की परेशानियों को देखते हुए अपनी नई फ़िल्में इन्हीं डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज़ करेंगे। 

   घर पर रहकर लोग इंटरनेट से कमाई के तरीकों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। यू ट्यूब, ब्लॉगिंग और ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग से कमाई करने की ओर लोगों का रुझान बढ़ेगा।  
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लोग मिलना जुलना कम करेंगे -

आगे चलकर लोग एक दूसरे के घरों में जाकर मिलने की जगह विडिओ कालिंग को अधिक सुरक्षित समझेंगे। COVID-19 का प्रभाव समाप्त होने के बाद भी लोग भयभीत होंगे और पारिवारिक, धार्मिक या सामाजिक समारोहों में जाने से बचेंगे। यहां तक ​​कि छोटे मिलन समारोहों को भी कुछ समय के लिए टाला जाएगा। 

   अब तो वेडिंग फ्रॉम होम का नया कांसेप्ट शुरू हो चुका है और शादियां भी ऑनलाइन हो रही हैं। ज़ूम एप के जरिये अपने घर पर रह कर ही मेहमान भी इसमें शामिल हो सकते हैं,  आगे भी यह चलन जारी रह सकता है। परम्परागत शादियों में भी पहले की तरह अधिक संख्या में मेहमान नहीं बुलाये जायेंगे। 

  स्पोर्ट्स इवेंट भी स्टेडियम में बड़े पैमाने पर दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाएंगे।  कोरोनावायरस के दोबारा होने के डर से लोग सिनेमा हॉल, मॉल, बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर और रेस्तरां में जाने से भी बचेंगे। आगे चलकर वही रेस्तरां सफल होंगे जहां साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जायेगा। हाईजीन के प्रति सतर्क लोग रेस्तरां के किचन को देखना चाहेंगे कि वहां साफ़ सफाई का स्तर कैसा है। 

  टैक्सी और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग भी प्रभावित होगा। COVID-19 के बाद कुछ महीनों तक लोग अपने निजी वाहन से यात्रा करने को प्राथमिकता देंगे।
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वर्क फ्रॉम होम कल्चर बढ़ेगा -

लॉकडाउन की वजह से वर्क फ्रॉम होम का ट्रेंड बढ़ा है और ऐसी संभावना है कि बहुत सी जगहों में इसे आगे भी जारी रखा जाए। इसका एक लाभ यह है कि इससे कर्मचारी का घर से ऑफिस आने जाने का समय और खर्च दोनों बचता है। 

   इसके अलावा घर पर रहकर कार्य करने से कर्मचारी अधिक सहज महसूस करता है और उसका तनाव कम होता है। पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी यह लाभप्रद है क्योंकि वर्क फ्रॉम होम होने से सड़कों पर गाड़ियों का दबाव कम होता है और प्रदूषण कम करने में मदद मिलती है। 

   आगे चलकर साथ बैठकर मीटिंग करने की जगह वर्चुअल मीटिंग का ट्रेंड और बढ़ेगा।लॉकडाउन में प्रत्यक्ष बैठकर मीटिंग करना मुश्किल था तो इसके लिए ज़ूम जैसे एप का इस्तेमाल किया गया। यह अधिक सुविधाजनक है इसलिए आगे भी मीटिंग के लिए इसी सिस्टम को अपनाया जा सकता हैं। ऑनलाइन वर्किंग के लिए बिज़नेस एप का प्रयोग आगे चलकर और बढ़ता जायेगा। 
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ऑनलाइन शॉपिंग -

लोगों के दुकान जाकर चीज़ें खरीदने की प्रवृति में कमी आएगी। एक सर्वे के मुताबिक 60% उपभोक्ताओं का कहना है कि अब वे संक्रमण के डर से दुकानों पर जाने से बचेंगे। ऑनलाइन बिल पेमेंट बढ़ते जायेंगे और काउंटर पर जाकर बिल पेमेंट करने वालों की संख्या कम होती जाएगी। 

  अधिकांश वस्तुओं को खरीदने के लिए लोग ई-कॉमर्स में शिफ्ट हो सकते हैं इसलिए  इस क्षेत्र में काम करने वालों का भविष्य उज्ज्वल है जिनमें ई-कॉमर्स पोर्टल और उनकी कूरियर सेवाएं शामिल हो सकते हैं। 

ऑनलाइन लर्निंग -

लॉकडाउन में स्कूल कॉलेज बंद होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई इंटरनेट के माध्यम से हो रही है। पहले भी विभिन्न प्रकार की कोचिंग और कोर्स ऑनलाइन पढ़ाये जाते रहे हैं। जिसमें भारत सरकार का शिक्षा पोर्टल "स्वयं" भी शामिल है। आगे चलकर यह ऑनलाइन शिक्षा सिस्टम और प्रभावी होता जायेगा और हो सकता है अधिकतर स्टूडेंट अपनी शिक्षा इसी माध्यम से कम्पलीट करें।  
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व्यायाम, योग व ध्यान बढ़ेगा -

वर्क फ्रॉम होम के कारण बचे हुए समय का उपयोग करते हुये लोग अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दे सकेंगे। शरीर के लिए व्यायाम और योग को अधिक महत्व देंगे वही स्वयं को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने और शांति प्राप्त करने के लिए मेडिटेशन को अपनाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जाएगी। योग और ध्यान से संबंधित वीडियो की मांग आने वाले समय में और बढ़ेगी।  

COVID 19 के बाद की अर्थव्यवस्था -

A. ऑटोमेशन को बढ़ावा -

IMF ने हाल ही में घोषणा की है कि COVID 19 वर्तमान समय की सबसे बड़ी मंदी का कारण बनेगी। महामारी के कारण लॉकडाउन  होने से दुनिया की अर्थव्यवस्था बुरी तरह  प्रभावित है। उद्योग और बड़े संस्थान बंद होने से वर्कर्स के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। सरकार द्वारा कुछ शर्तों के साथ उद्योगों को चलाने की अनुमति देने बाद भी उद्योग शुरू नहीं हो पा रहे हैं। 

    इसका एक कारण वर्कर्स की कमी है वही उद्योगपतियों को यह डर सता रहा है कि यदि उनके कारखाने के एक भी मजदूर कोरोना पॉज़िटिव पाया गया तो उनकी पूरी फैक्ट्री सील की जा सकती है। मजदूरों में बीमारी की समस्या को देखते हुए कारखानों में वर्कर्स की जगह ऑटोमेशन को बढ़ावा मिल सकता है। इससे बेरोजगारी और बढ़ेगी। शासन को इनके लिए बेरोजगारी भत्ता देने की व्यवस्था करनी पड़ सकती है। 
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B. भारत पर प्रभाव -

विश्व भर में अभी कोरोना वायरस के कारण चीन के प्रति नाराजगी देखी जा रही है। आगे यह देखना होगा कि यह नाराजगी किस हद तक बढ़ती है। वैसे चीन के रंग ढंग को देखते हुए विश्व जनमत में चीन के प्रति रोष और बढ़ेगा। 

   लोग चीन को शंका से देख रहे हैं उनका मानना है कि चीन अपने यहां हुई मौतों का आंकड़ा छिपा रहा है, वुहान में हुई मौतों का संशोधित आंकड़ा काफी दिनों बाद जारी किये जाने से इस बात की पुष्टि भी होती है।

    चीन पर एक आरोप और लग रहा है कि वह इस महामारी से भी अपनी कमाई देख रहा है। उसने अपने यहां मास्क और मेडिकल सुरक्षा उपकरणों (PPE) का भारी मात्रा में स्टॉक कर रखा है, जिसे वह अन्य देशों को महंगे दामों में बेंच रहा है। इन उपकरणों की क्वालिटी भी संदिग्ध है, भारत में चीन से आयातित 5 लाख कोरोना रैपिड टेस्ट किट की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। 

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   अमेरिका के प्रेसिडेंट ट्रम्प ने COVID-19 संकट के लिए चीन को दोषी करार दिया है इसी प्रकार की राय यूरोप के कुछ और देशों की भी है और वे चीन से आयत पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। भारत के लिए यह सुनहरा अवसर हो सकता है और इन देशों में भारत से निर्यात बढ़ सकता है। यदि प्रेसीडेंट ट्रम्प के दबाव से चीन में स्थित अमेरिकी कंपनियां वहां से अपना कारोबार समेटती हैं तो उनके भारत आने की संभावना बनती है। इसका लाभ भारत को मिलेगा। 

    भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू खपत पर आधारित होने के कारण COVID-19 का बुरा प्रभाव उतना अधिक नहीं पड़ेगा जितना यूरोप के देश इससे प्रभावित होंगे, वहां की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी।

   क्रूड आयल के भाव धराशायी होकर अपने निम्न स्तर पर आ चुके हैं। इससे तेल निर्यात पर निर्भर बहुत से देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी। उनकी क्रय शक्ति घटेगी जिसका दुष्प्रभाव वहां निर्यात करने वाले देशों पर पड़ेगा। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए क्रूड आयल प्राइस का कम रहना फायदेमंद सिद्ध होगा और देश के आयत बिल में कमी आएगी। 
  
     हम अभी भी इस महामारी की चुनौतियों से जूझ रहे हैं,  इस अवसर का उपयोग अपने जीवन में इन संभावित परिवर्तनों के लिए खुद को तैयार करने के लिए कर सकते हैं। 

  आशा है यह आर्टिकल "Life After COVID-19-कोरोनावायरस के बाद जीवन कैसा होगा" आपको उपयोगी लगा होगा। इसे अपने मित्रों एवं परिवार  सदस्यों को शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल और सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट में विज़िट करते रहें। 

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