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Tuesday 30 June 2020

8 Tips to Stop Over Thinking-ज्यादा सोचने की आदत से कैसे बचें

8 Tips to Stop Over Thinking-ज्यादा सोचने की आदत से कैसे बचें 

विचार (Thoughts) शक्तिशाली होते हैं, आपके विचार ही आपकी वास्तविकता बनते हैं। जैसे विचार आपके मन में चलते हैं, वही मनःस्थिति आपकी बन जाती है और वैसा ही आप अनुभव करने लगते हैं। आपकी प्रशन्नता, निराशा, दुःख आपके विचार पर निर्भर हैं। 

   अपने विचार पैटर्न में बदलाव लाकर आप इन भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं। दुनिया के सबसे सफल व्यक्तियों की तुलना अन्य लोगों से की जाए तो उनके बीच अंतर का प्रमुख कारण उनकी सोच है। सफल लोग जानते हैं कि विचारों की शक्ति का उपयोग कैसे करें, जिससे उन्हें अपने लक्ष्य को पाने में मदद मिल सके।
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ओवर थिंकिंग (Over Thinking) क्या है -

बहुत से लोगों की शिकायत होती है कि उनका मन शांत नहीं रहता और लगातार चलने वाले विचार उन्हें परेशान रखते हैं। कई बार उनके अधिक सोचने का कारण देश या विश्व की कोई ऐसी समस्या भी हो सकती है, जिसका सीधा संबंध उनसे नहीं होता। परन्तु अपनी अधिक सोचने की आदत के कारण ऐसे व्यक्ति इससे भी परेशान होते रहते हैं। इसे सोचने की बीमारी भी कहते हैं। 

   इस प्रकार किसी बात को बहुत अधिक या लंबे समय तक सोचते रहना एक मनोवैज्ञानिक समस्या का रूप ले लेता है। इसका बुरा प्रभाव हमारी शारीरिक क्रियाओं पर भी पड़ता है, जिससे चिंता और बढ़ जाती है।हालांकि किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले या किसी स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए सोच के माध्यम से चीजों को समझना, यह मानव स्वभाव है। 

   परन्तु जब आप अपने भूतकाल की किसी घटना को भूलने की बजाय उसे बार बार सोचते हैं कि मुझे उस समय ऐसा नहीं करना था, तो आप  अपने तनाव को बढ़ाते हैं। अगर आप अपने भविष्य के बारे में चिंता करते हैं और उन भयावह घटनाओं के बारे में भविष्यवाणी करते हैं जो अभी तक नहीं हुई थीं, तब यह ओवर थिंकिंग की श्रेणी में आता है। 
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    सोचना गलत नहीं है परन्तु ऐसी सोच बुरी है जो आपको दुखी करती है, ऐसी सोच से बाहर आना जरूरी है। भूतकाल या भविष्य के बारे में लगातार नकारात्मक सोचने से स्वास्थ्य को बहुत नुकसान हो सकता है। 

 निराशा से भरे विचारों का भंवर आपके  रातों की नींद हराम कर सकता है। लगातार चिंताजनक विचार चलने पर नींद गायब होने के साथ शरीर रुक्ष होने लगता है और चेहरे का तेज़ समाप्त हो जाता है।

   अगर आपने समय रहते अपनी ओवर थिंकिंग की समस्या को पकड़ लिया है तो यह अच्छी बात है। लम्बे समय तक ओवरथिंकिंग की स्थिति बनी रहने से चिड़चिड़ापन बढ़ता है जो बाद में डिप्रेशन और पागलपन की ओर ले जा सकता है।

    अगर आपने ओवर थिंकिंग के नुकसान को समझ लिया है तो उससे छुटकारा पाने के लिए मनोवैज्ञानिकों के अनुसार यहां बताये गए सरल तरीके अपनाकर आप इस आदत से खुद को बचा सकते हैं। 
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ज्यादा सोचने की आदत से छुटकारा पाने के 8सरल तरीके (8Tips to Stop Over Thinking)-

1.जागरूकता (awareness) पहला कदम -

ओवर थिंकिंग लम्बे समय तक जारी रहने पर इसकी आदत पड़ सकती है तब हमें लगता है कि शायद हम ऐसे ही हैं। परन्तु आप जागरूक (Aware) होकर इससे छुटकारा पा सकते हैं। 

  जब आप जागरूक होकर देखते हैं तो यह जान पाते हैं कि अत्यधिक चिंता और तनाव का कारण आपकी अधिक सोचने (overthinking) की आदत ही है। यह ओवर थिंकिंग से छुटकारा पाने की ओर बढ़ने का पहला कदम है। 

   एक बार जब आप सोचना शुरू करते हैं फिर उसमेँ दूसरी -तीसरी बात जुड़ती जाती है। यह अनजाने में होता रहता है और इसमें से अधिकतर बातें आपके काम की नहीं होती या उन बातों से सीधे आपका कोई संबंध नहीं होता। 

  अब कोई विचार आपके दिमाग में आये तो देखें कि क्या उस पर सोचना आपके लिए उपयोगी है? इस प्रकार जागरूक होकर आप अपने निरर्थक विचारों को शुरुवात से ही रोक सकते हैं।

   विचार दो प्रकार के होते हैं -एक समस्या मूलक और दूसरा समाधान मूलक। अगर आप सिर्फ समस्या के बारे में ही सोचते रहेंगे तो आपका भय बढ़ता जायेगा और आप सिर्फ समस्या में ही उलझ कर रह जायेंगे।

  इसके बजाय आपको अपनी समस्या के समाधान की दिशा में सोचना चाहिए। हर समस्या का कोई न कोई हल जरूर होता है एक बार जब आप समस्या को हल करने का तरीका ढूंढ लेते हैं तो आधी विजय प्राप्त हो जाती है। 
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2. बीते समय के लिए क्षमा भाव रखें -

कई बार भूतकाल या बीते समय की घटनाएं ही ओवर थिंकिंग का कारण होती हैं। इसे भूतकाल की पीड़ा कह सकते हैं। जैसे किसी विद्यार्थी अथवा युवा के मन में इस तरह के विचार चलते रहते हैं - यदि मैंने ये डिग्री हासिल करने की जगह उस कोर्स को किया होता तो आज अच्छी नौकरी में होता अथवा मुझे उस व्यक्ति से दोस्ती करनी चाहिए थी या मैंने उस फायदे वाले धंधे की जगह इस बिज़नेस को क्यूँ अपनाया। 

   इसी प्रकार किसी गृहणी के मन में कोई 10 साल पुरानी बात चलती रहती है कि मेरी सास ने मुझे उस वक़्त जब ऐसा कहा था तो मैं चुप क्यों थी और मुझे उसका ये जवाब देना था अथवा जब मेरे बच्चे को मेरी सास या ननद ने टोका था तब मेरे पति चुप क्यों थे। 

   इस प्रकार की अनेक बातें होती हैं जो ओवर थिंकर को परेशान करती रहती हैं। जबकि वास्तविकता ये है कि हम भूतकाल में जाकर किसी बात या घटना को रंचमात्र भी परिवर्तित नहीं कर सकते तो अब उसके बारे में इतना सोचकर अपने वर्तमान समय को बर्बाद करने से क्या फायदा। 

   यदि बीते समय की किसी नकारात्मक बात को सोचकर हमारा तनाव बढ़ता है तो हमारा उसे भूलना या उस व्यक्ति को क्षमा कर देना ही श्रेयस्कर है। यदि आप भूतकाल की बात को भूल नहीं पा रहें हैं तो देखिये कि आपके पास वर्तमान समय में उस घटना के संबंध में करने योग्य कोई काम है या किसी तरीके से आप अपनी भूल सुधार कर सकते हैं, फिर आप उस दिशा में आवश्यक कदम उठा सकते हैं।  
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3. भविष्य के बारे में व्यर्थ चिंता निरर्थक है- 

कई बार भविष्य की चिंता के कारण ओवर थिंकिंग होती है, इसके पीछे हमारी भय (Fear) की भावना होती है। जब आप उन सभी नकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो आपकी कल्पना में हो सकती हैं, तो आपका परेशान हो जाना आसान है। यह आपको निराशा के गर्त में ले जाकर पटक देता है और बुरे विचारों की अनवरत श्रृंखला बढ़ती ही जाती है। 

   इसलिए अगली बार जब आप समझें कि आप उस दिशा में सोचना शुरू कर रहे हैं, तो रुकें। यह देखें की पहले भी आपके दिमाग में इस प्रकार के बुरे विचार आये थे परन्तु हकीकत में उनमें से अधिकांश आशंकाएं निर्मूल सिद्ध हुई हैं।

  इसके बजाय उन सभी चीज़ों की कल्पना करें जो आगे चलकर सही रूप में जा सकती हैं। यह मत सोचें कि क्या गलत हो सकता है, बल्कि यह देखें कि अभी क्या सही किया जा सकता है।


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4. निर्णय लेने के लिए समय सीमा निर्धारित करें-

किसी भी विषय में निर्णय लेने के लिए आपको एक समय सीमा निर्धारित करना चाहिए। यदि आपके पास निर्णय लेने और कार्रवाई करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है, तो आप अपने विचारों के घोड़े चारों ओर दौड़ाते रह सकते हैं और उन्हें बहुत लंबे समय तक अपने दिमाग में सभी कोणों से देख सकते हैं। 

    अगर कोई समस्या आपका ध्यान बार बार खींच रही हो तो उसे कागज़ पर नोट कर लें। फिर उसे हल करने के लिए उठाये जाने वाले कदमों पर विचार करें और समय सीमा सहित उसे भी कागज़ में लिख लें। ऐसा करने से आपके दिमाग का बोझ कम हो जाता है और अतिविचार से छुटकारा मिलता है।

    अपने दैनिक जीवन में समय सीमा तय करके निर्णय लेने और कार्रवाई करने में बेहतर बनना सीखें। भले ही वह छोटा या बड़ा फैसला हो। किसी ऑफिस या बैंक से संबंधित काम कब करना है अथवा एक ईमेल का जवाब अभी दें या इस वक़्त अपना कोई काम निपटाएं जैसे निर्णय कुछ सेकण्ड्स में ही ले सकते हैं। जीवन के बड़े फैसलों के लिए कार्यदिवस के अंत या सप्ताहांत में एक निश्चित समय सीमा का उपयोग कर सकते हैं।
  

5. क्रियाशील (active) बनें -

जब आप जानते हैं कि काम का बढ़ता बोझ आपके मस्तिष्क को विचारों की अधिकता से भर देता है तब अपना प्रत्येक दिन लगातार कार्रवाई करने के साथ कैसे शुरू करें। इससे काम का भय दूर होता है। 

   ऐसा नहीं करने पर स्पष्ट तरीके से सोचना कठिन हो जाता है और ओवर थिंकिंग की आदत में वापस आना आसान हो जाता है। खाली बैठने की तुलना में काम में व्यस्त रहने पर आपका विचारों के जंजाल से बचना सरल होता है। 

  एक समय में एक छोटा कदम उठाने पर ध्यान केंद्रित करना एक अच्छी आदत है। इस प्रकार आप अपना तनाव कम करने में सफल हो सकेंगे। अपने काम की समय सीमा तय करना और उसके लिए एक्टिव होकर अपने दिन की शुरुवात करना व्यक्ति को बहुत राहत प्रदान करता है।

   जब आप अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो एक मानसिक शांति मिलती है, साथ ही समस्या हल हो जाने पर विचार करने की जरूरत नहीं रह जाती। 

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6. रिजल्ट (result) की चिंता न करें -

हम कर्म तो करते हैं परन्तु उससे अधिक फ़िक्र इस बात की करते हैं कि इसका रिजल्ट क्या होगा। जबकि आपने लक्ष्य के अनुरूप काम किया है तो परिणाम भी अनुकूल ही होगा। इसके बारे में आपके सोचने से भी कुछ बदलने वाला नहीं है। यदि परिणाम के बारे में सोचते रह जायेंगे तो अपना कर्म ठीक से नहीं कर पाएंगे।

    किसी काम को स्टार्ट करने से पहले यदि आपने उसके गुण दोष के बारे में अच्छे से चिंतन कर लिया है तो फिर ओवर थिंकिंग में न पड़ें। इससे आपके दिमाग में नेगेटिव विचार हावी होने की संभावना बनती है।

    ज्यादा सोचने वाले अक्सर कोई बड़ा काम नहीं कर पाते, उन्हें ये आशंका बनी रहती है कि अगर मैं फेल हो गया तो क्या होगा। यह सब परिणाम के बारे में सोचने के कारण होता है। अगर कोई विद्यार्थी है तो और उसे परीक्षा में अच्छे अंक लाना है तो पढ़ाई में अपना ध्यान केंद्रित करे, न कि परिणाम के बारे में सोचता रहे। 
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7. वर्तमान (Present) समय में अधिक रहें -

अतीत या भविष्य के बजाय अपने रोजमर्रा के जीवन में वर्तमान क्षण में होने से आप शांत हो सकते हैं। आप जो कुछ भी वर्तमान समय में कर रहे हैं, उस पर अपना पूरा फोकस करें। इससे आपका आने वाला भविष्य तो संवरता ही है साथ ही आप भूतकाल की पीड़ा से भी बचे रह सकते हैं। 

  यदि अपने बीते समय की किसी घटना को जिसे सोचकर आपका मन पीड़ा से भर जाता है। तो याद करिये, उस पल में आप पूरी तरह वर्तमान में नहीं थे। अगर ऐसा होता तो आप वह करते, जो अभी आप सोचते  हैं कि मुझे ऐसा करना था। 

   अगर आप वर्तमान पल को पूरी तरह जी लेते हैं तो भविष्य में उसकी कोई पीड़ा नहीं हो सकती। इस प्रकार ओवर थिंकिंग से बचने के लिए वर्तमान में रहना आवश्यक है, जिसे आध्यात्मिक गुरुओं ने साक्षी भाव कहा है। 

   यदि किसी भोजन का स्वाद ले रहे हों तो उसे पूरी तरह महसूस करें। अगर किसी फूल या सुंदर स्थान को देख रहे हों तो केवल देखें, उस समय कोई अन्य विचार अपने मन में न आने दें।

    इस विधि को अपनाने पर धीरे धीरे आपके जीवन में  बदलाव आना शुरू हो जायेगा।  यह आपके अधिक सोचने की आदत को खत्म करके जीवन मे शांति और आनंद की वृद्धि करने में सहायक होगा। 

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  इस अवस्था को प्राप्त करने में ध्यान (Meditation) बहुत सहायक होगा। वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि ध्यान से मानसिक और शारीरिक अनेक प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। 

   इस प्रकार प्रतिदिन ध्यान में थोड़ा समय लगाकर आप व्यर्थ के विचारों से बचे रहते है।  यह आपको वर्तमान समय के साथ  कनेक्ट करता है, इसके लिए आप ओशो (OSHO) की बताई किसी भी ध्यान विधि का उपयोग कर सकते हैं।

   ओशो कहते हैं कि जब हम ध्यान करने बैठते हैं, तब आने वाले विचारों को देखना मात्र है। चाहे वे विचार सकारात्मक हों या नकारात्मक, हमें  केवल उन्हें देखना है। न हमें उन्हें रोकना है और न ही हमें उन विचारों को पैडल मारकर बढ़ाना है। धीरे धीरे विचार शांत होने लगते हैं। आगे चलकर सुख -दुःख, हानि-लाभ जैसी किसी भी परिस्थिति में आप अकंप बने रहते हैं। 

   ध्यान के साथ आप योग और प्राणायाम को अपनाकर अपने शरीर को स्वस्थ रखने के साथ अपना स्ट्रेस लेवल कम कर सकते हैं। प्रतिदिन कुछ मिनटों का योग और प्राणायाम आपके शरीर को लचीला बनाता है। जिससे अंग प्रत्यंग दुरुस्त रहते हैं साथ ही शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन जाने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली ठीक तरह से काम कर पाती है और आप उत्साह से भर जाते हैं। स्वस्थ तन -मन में दूषित विचार अपना घर नहीं बना पाते। 

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8. उत्साह बढ़ाने वाले लोगों से मिलें -

आपका सामाजिक वातावरण आपकी सोच को बनाने में एक बड़ा हिस्सा निभाता है। अपने आसपास के ऐसे लोगों से सतर्क रहें जो आपकी उपलब्धियों को तुच्छ बताकर सिर्फ आपकी गलतियों को उजागर करने में लगे रहते हैं। दुर्भाग्य से ऐसे लोग ही अधिक संख्या में पाए जाते हैं, ये आपके दिमाग में विपरीत प्रभाव डालते हैं। इनसे अपनी समस्या की चर्चा कभी न करें। 

   इस बारे में सोचें कि क्या आपके जीवन में कोई ऐसा है, जो आपको प्रोत्साहित करता है।अपना समय ऐसे लोगों के साथ बिताएं, जिनके साथ बैठने पर आपका उत्साह और आत्मसम्मान बढ़ सके। 

 अपने तनाव को कम करने के लिए आप मनपसंद संगीत सुन सकते हैं और प्रेरणादायी पुस्तकें पढ़ सकते हैं। साथ ही आपके जीवन में मोटिवेशनल ब्लॉग, वीडियो और फ़िल्मों का स्थान भी होना चाहिए।  आप क्या पढ़ते हैं, सुनते हैं और देखते हैं, इसका गहरा प्रभाव आप पर पड़ता है। 

   आशा है ये आर्टिकल "8 Tips to Stop Over Thinking-ज्यादा सोचने की आदत से कैसे बचें" आपको उपयोगी लगा होगा। इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी पाने के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 

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