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Saturday 6 June 2020

Counselling Business Ideas-काउंसलिंग से लाखों कमाएं

Counselling Business Ideas-काउंसलिंग से लाखों कमाएं 

काउंसलिंग(Counselling) प्रैक्टिस का पेशेवर सेवा क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। विश्व स्तर पर काउंसलिंग (परामर्श या सलाह) एक स्थापित बिज़नेस है और पिछले कुछ वर्षों से इसमें लगातार वृद्धि देखी गई है। पहले की तुलना में भारत में भी लोगों का काउंसलिंग के प्रति झुकाव लगातार बढ़ता जा रहा है। 

   इसलिए  शिक्षित युवा अब इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। आने वाले समय में हमारे देश में इसका दायरा और भी तेजी से बढेगा। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां दूसरों की सहायता करके एक संतुष्टि का अनुभव होता है।

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   इस कार्य में मानसिक संतुष्टि के साथ पैसा कमाने की अपार संभावनाएं हैं। जीवन में बढ़ती चुनौतियों से पैदा होने वाली परेशानी से बचने के लिए काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है। यह न सिर्फ वर्तमान समस्याओं से उबरने में मदद करती है बल्कि भविष्य के लिए खुद को तैयार करने में भी सहायक है। 

काउंसलिंग क्या है -

काउंसलर एक विशेषज्ञ है जो एक विशिष्ट क्षेत्र में दूसरों को सलाह देता है या विशिष्ट समस्याओं को ठीक करता है। अपने जीवन या व्यवसायों में परिणाम सुधारने के प्रयास में लोग मुद्दों का आकलन करने, समाधान प्राप्त करने और आवश्यक परिवर्तनों को लागू करने में सहायता के लिए एक काउंसलर की मदद लेते हैं।

  जीवन में तेज़ी से बदलते काम काज के तरीके और कमजोर पड़ते पारिवारिक ढांचे के चलते जटिलताएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं। इसके अलावा पहले की अपेक्षा नए विकल्प बढ़ने से लोगों को असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इससे उनकी मानसिक स्थिति और दिनचर्या प्रभावित होने के साथ उनके भविष्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। 

    आज हालात ऐसे हैं कि कोई अपनी परेशानी किसी से शेयर भी करना चाहें तो सुनने वाला मिलना मुश्किल है। बड़े ही नहीं बच्चे भी इस समस्या से ग्रस्त हैं और इसका जिक्र वे घर में या अभिभावकों से भी नहीं कर पाते। आज हर किसी के लिए उसकी अपनी परेशानियां ही इतनी भारी हैं कि वह दूसरे का दुःख सुनकर अपना बोझ और नहीं बढ़ाना चाहता। इससे व्यक्ति की समस्या जटिल होती जाती है और धीरे धीरे यह बात उसके मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित करती है। 

   ऐसी दशा में किसी एक्सपर्ट की जरूरत महसूस की जाती है, जो न सिर्फ इन समस्याओं से मुक्ति दिला सके बल्कि आगे की राह भी दिखा सके।काउंसलर उनकी जरूरत को काफी हद तक पूरा करने की क्षमता रखते हैं। यह पूरी विधा काउंसलिंग कहलाती है। 
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   व्यक्तिगत समस्याओं के साथ व्यवसाय में भी उन मुद्दों को हल करने की आवश्यकता होती है जिनके लिए ख़ास विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। तब व्यवसाय मालिक एक पेशेवर सलाहकार की तलाश करते हैं जो अपने ज्ञान और अनुभव से उन्हें समस्या का हल प्रदान कर सकता है, जिससे उनके व्यवसाय की रुकावट खत्म होती है।

   यदि आप किसी विशेष विषय को अच्छी तरह से जानते हैं और आपके पास पर्याप्त अनुभव और विशेषज्ञता है, तो आप आसानी से अपने खुद के काउंसलिंग व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं। इस काम को ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन भी किया जा सकता है, इससे आपके क्लाइंट का बेस विस्तृत हो जाता है। 

    एक बार जब आप अपनी विशेषज्ञता के जरिये दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं, यह जान लेते हैं तो आपको मार्केट रिसर्च करके यह समझना होता है कि उन लोगों का प्रतिशत कितना है जो आपकी विशेषज्ञता के लिए आपको भुगतान करने के इच्छुक हैं। इस काम में रेपुटेशन जमने में समय लग सकता है, जब आपकी रेपुटेशन जम जाती है तो अच्छी इनकम होने लगती है। इस काम में सफलता के लिए आपके क्लाइंट की संतुष्टि होना जरूरी है। 

    यहाँ काउंसलिंग व्यवसाय के कुछ क्षेत्रों की जानकारी दी गई है जिनमें से आप अपनी रूचि, ज्ञान एवं अनुभव आधार पर किसी एक को अपना सकते हैं। 
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काउंसलिंग के विभिन्न क्षेत्र


1. करियर काउंसलर -

वर्तमान में शिक्षा और रोजगार का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत हो चुका है।   शिक्षण संस्थानों में अलग -अलग रोजगार से जुड़े विभिन्न कोर्सेज कराए जा रहे है। समय के साथ बहुत से पुराने रोजगार खत्म हो रहे हैं, वहीं नये अवसरों का सृजन भी हो रहा है। 

   इससे विद्यार्थी अक्सर कंफ्यूज हो जाता है कि स्वयं के लिए किस कोर्स का चयन करे। आगे चलकर उसे क्या बनना है या कौनसा क्षेत्र उसके लिए ठीक रहेगा इसका निर्णय भी वह नहीं कर पाता। इस प्रकार उसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त करियर चुनना बहुत मुश्किल हो जाता है।  

  इस कार्य के लिए किसी योग्य सलाहकार या कॉउंसलर की जरूरत होती है जो विद्यार्थी की क्षमता आकलन करके यह बताता है कि कौनसा करियर और कोर्स उसके लिए ठीक रहेगा। साथ ही उसके लिए उपयुक्त कॉलेज और एग्जाम व कोचिंग आदि की जानकारी उसे देता है। 

 यही कारण है कि आज करियर कॉउंसलर का कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है। 

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   एक करियर सलाहकार ग्राहकों की जरूरतों का आकलन करने, नौकरी की तलाश में सहायता, रिज्यूमे तैयार करने, करियर से संबंधित दस्तावेज तैयार करने, साक्षात्कार कौशल को बढ़ाने,  प्रशिक्षण की सिफारिश करने सहित कई काम करता है। 

  इसके लिए उसे विविध विषयों के पाठ्यक्रमो और देश-विदेश के उत्कृष्ट शैक्षिक संस्थानों की जानकारी होनी चाहिए। कौन-कौनसे नये कोर्स प्रारम्भ हुए है, उनमे प्रवेश के लिए क्या योग्यता चाहिए और प्रवेश परीक्षा किस प्रकार की होगी, फीस कितनी होगी  आदि बातो से काउंसलर को अपडेट रहना चाहिए। 

  शिक्षा एवं रोजगार के क्षेत्र में होने वाले नवीन परिवर्तन और रोजगार के उभरते क्षेत्र कौन-कौन से हैं साथ ही उनमें स्कोप क्या है जैसी सभी बातों की जानकारी भी उसे होनी चाहिए। 

2. चाइल्ड काउंसलर -

आज के लाइफ स्टाइल में बच्चे आउटडोर खेल की जगह अपना अधिकतर समय मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के साथ बिता रहे हैं। इंटरनेट की दुनिया में जो चीज़ें सिर्फ बड़ों के लिये हैं, उसे बच्चे भी आसानी से देख सकते हैं। 

   इससे वे कई तरह की परेशानियों से घिर जाते हैं। इसके अलावा उन पर  माता-पिता व अन्य लोगों द्वारा अच्छे अंक लाने का प्रेशर, बड़ों के बीच बिगड़ते रिश्ते, मित्रों से तनाव आदि कई तरह के प्रेशर होते हैं। 

  कई बार बच्चे अपनी परेशानी घर में किसी से शेयर नहीं करते और मन में रखने के कारण वे अवसादग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में उनकी परेशानियों को समझकर उससे बाहर निकालने का काम करते है - चाइल्ड काउंसलर।
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चाइल्ड काउंसलर का कार्य -

एक चाइल्ड काउंसलर बच्चों के असामान्य व्यवहार और भावनात्मक मुद्दों पर उनकी सहायता करते हैं। साथ ही वह बच्चों के विकास के लिए उनकी नींद, पर्सनैलिटी डिसआर्डर व ईटिंग डिसआर्डर पर ध्यान देकर इन्हें दूर करते हैं। इसके लिए सबसे पहले उन्हें बच्चों के साथ एक रिश्ता विकसित करना होता है, जिससे वे अपने मन की उनसे कह सकें। 

   एक चाइल्ड काउंसलर बच्चों की बातों को सुनने के साथ उनके हाव-भाव पर भी नज़र रखता है, जिससे वह मन की परेशानी को गहराई से समझ पाता है।  समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए उसे पैरेंट्स की भी काउंसलिंग करनी होती हैं। जिससे माता-पिता बच्चों के मन की बात समझकर उनकी समस्या से निपटने में सहयोगी बन सकें।

काम के अवसर -

एक चाइल्ड काउंसलर के पास काम के अवसरों की कमी नहीं है। वह स्कूल से लेकर हॉस्पिटल्स तक में काम कर सकते हैं। आजकल स्कूलों में स्कूल कॉउंसलर रखे जाते हैं जो किसी बच्चे के साथ कोई प्रॉब्लम आने पर मीटिंग करके समाधान निकलते हैं।

   इसके अलावा पेरेंट्स के द्वारा किसी टीचर से संबंधित कोई परेशानी बताये जाने पर उसका हल निकालने के साथ उनकी बात संबंधित अथॉरिटी तक भी पहुंचाई जाती है। 

   इसके अतिरिक्त विभिन्न एनजीओ व बच्चों के लिए काम कर रही संस्थाओं में चाइल्ड काउंसलर की आवश्यकता होती है। आप स्पेशल स्कूल्स या बाल सुधार गृह में भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं। वहीं आप खुद का सेंटर खोलकर भी काम कर सकते हैं। 

 चाइल्ड काउंसलर बनने के लिए मास्टर्स इन कॉउंसलिंग साइकोलॉजी डिग्री की आवश्यकता होती है। अगर गवर्नमेंट सेटअप में काम करना चाहते हैं तो आपको साइकोलॉजी (मनोविज्ञान) में मास्टर डिग्री के साथ डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड कॉउंसलिंग भी किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से करना आवश्यक होता है। 
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3. रिलेशनशिप काउंसलर - 

कोई भी रिश्ता तभी निभता है, जब दोनों के बीच समन्वय हो। तालमेल जब गड़बड़ाता है तो रिश्ता दरकने लगता है। ऐसे में उन्हें एक ऐसे एक्सपर्ट की जरूरत पड़ती है जो इस खाई को पाट कर रिश्ते को पुनर्जिवित कर सके। यह काम रिलेशनशिप काउंसलर करते हैं।

  तेजी से बदलते समय में युवा पीढ़ी पहले की अपेक्षा ज्यादा मुखर हुई है और उनमें खुलापन बढ़ा है। अब शादी से पहले यह जानने की उनकी कोशिश रहती है कि भविष्य में उनका पार्टनर से बेहतर तालमेल रहेगा या नहीं। 

 इसके अलावा शादी के बाद उनमें टकराव बढ़ता है तब भी  वे रिलेशनशिप काउंसलर की मदद लेते हैं। ऐसे में काउंसलर उनके बीच की समस्या को समझकर उसका निदान उन्हें बताता है, जिससे उनकी शादी टूटने से बच सके। 
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   इसके लिए काउंसलर उनसे कम से कम दो सेशन करता है। पहले वह पति पत्नी दोनों से अलग अलग बातें करके समस्या का कारण समझता है। उसके बाद दोनों को एक साथ बिठाकर हल निकालने की कोशिश करता है। वह उन्हें समझता है कि जिस पौधे को उन्होंने मिलकर लगाया था उसे सूखने न दें और मिलकर सींचे। अगर उनकी सहमति नहीं बन पाती तो आगे की कानूनी प्रक्रिया की जानकारी भी उन्हें देता है।  
    

4. बिज़नेस  काउंसलर -

किसी बिज़नेस की स्थापना और उसे रन करने में भी कई तरह की समस्या आती है। लोग बिज़नेस या इंडस्ट्री लगा तो लेते हैं पर उन्हें मार्केटिंग की प्रॉपर समझ नहीं होती जबकि मार्केटिंग किसी भी व्यवसाय की सफलता की कुंजी है। 

   कई व्यवसायों, विशेष रूप से कुटीर और छोटे व्यवसाय करने वालों के पास अक्सर बिक्री के लिए कोई रणनीति नहीं होती । उनके पास लोगों का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित करने संबंधी मनोविज्ञान की समझ भी नहीं होती है।ऐसे में काम ठप होने लगता है। 

 एक बिज़नेस सलाहकार वर्तमान मार्केटिंग योजना और उस व्यवसाय की रणनीतियों का आकलन करता है।  फिर अधिक प्रभावी विधियों को लागू करने की सिफारिशें करता है, जिनसे इच्छित परिणाम प्राप्त हो सके। 

   कई बार व्यवसाय में कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। जिसमें यह देखना होता है कि उपलब्ध संसाधन का उपयोग कितना अच्छा है, व्यवसाय कैसे संचालित है और संगठन में शामिल लोगों के कौशल और अनुभव को कैसे अधिकतम किया जाए जिससे प्रॉफिट में वृद्धि हो सके।

  इसके लिए कई बिजनेसमैन, परामर्शदाताओं को यह आकलन करने के लिए नियुक्त करते हैं कि उनका व्यापार अभी कैसे चल रहा है। साथ ही वे दक्षता में सुधार करने के प्रभावशाली तरीके सुझाएं, जिसे लागू करना संस्थान के लिए फायदेमंद हो। 

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 काउंसलर के उपरोक्त प्रकार के अलावा कई अन्य प्रकार भी होते हैं। यहाँ इनमे से कुछ अन्य प्रकारो की सूची दी गई है जिन पर आप विचार कर सकते हैं -

A. स्वास्थ्य और कल्याण काउंसलर

B. सेवानिवृत्ति और व्यक्तिगत वित्त काउंसलर

C. संगठन और दक्षता काउंसलर

D. फाइनेंसियल/एकाउंटिंग काउंसलर

E. रेपुटेशन (छवि) काउंसलर

F. स्ट्रेस (तनाव) मैनेजमेंट काउंसलर

G. काउन्सलिंग कैरियर डिजाइनिंग

कौन से कोर्स करें -

इसमें मनोविज्ञान विषय सहायक साबित होता है। इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए 12वीं के बाद साइकोलॉजी के साथ बैचलर डिग्री या साइकोलॉजी में B.A.(hons.) कर सकते हैं,  इसे किसी प्रतिष्ठित कॉलेज या अपने आस पास के किसी अच्छे कॉलेज से किया जा सकता है। ग्रेजुएशन करने के बाद आप साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री या पीजी डिप्लोमा इन गाइंडेस व काउंसिलिंग कर सकते है। 

   इसके बाद एमफिल या पीएचडी की जा सकती है। मास्टर लेवल के स्पेसिफाइड कोर्स भी उपलब्ध हैं।

 जैसे क्लीनिकल साइकोलॉजी ,आर्गेनाईजेशन साइकोलॉजी आदि, जिनका चयन अपनी रूचि के अनुसार कर सकते हैं। 


    कुछ कोर्स में काउंसलिंग से संबंधित सभी फील्ड को शामिल किया जाता है तो कुछ स्पेशलाइज्ड एरिया पर ही फोकस रहते हैं। इसमें छात्रों को क्षेत्र विशेष से जुड़ी जानकारी देने के अलावा व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाता है। साथ ही काउंसलिंग स्किल्स, रिश्ते की अहमियत, स्ट्रेस मैनेजमेंट, गाइडेंस आदि की जानकारी  भी दी जाती है।


कुछ प्रमुख कोर्स -

A. डिप्लोमा इन करियर काउंसलिंग

B. एडवांस डिप्लोमा इन करियर काउंसलिंग

C. पीजी डिप्लोमा इन काउंसलिंग 

D.पीजी डिप्लोमा इन क्लीनिकल एंड कम्युनिटी साइकोलॉजी

E. एम फिल /एम एड इन साइकोलॉजी

F.डिप्लोमा प्रोग्राम इन वोकेशनल रिहैबिलिटेशन एंड काउंसलिंग, 

G.पीजी डिप्लोमा इन रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजी

ऑनलाइन कॉरेस्पॉन्डेंस कोर्स -

काउंसलिंग से संबंधित ऑनलाइन व पत्राचार कोर्स भी कराए जाते हैं। इग्नू सहित कई संस्थान ऐसे हैं, जो कॉरेस्पॉन्डेंस कोर्स कराते हैं। 
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आवश्यक स्किल्स (विशेष कौशल ) -

कोर्स के साथ-साथ प्रोफेशनल्स को अपने अंदर कई तरह के गुण भी विकसित करने पड़ते हैं। उसमें धैर्य एवं सहयोग की भावना होना बहुत जरुरी है। क्योंकि काउन्सलिंग के लिए आने वाला व्यक्ति या तो किसी मानसिक समस्या से ग्रस्त होता है अथवा उसकी पढाई या करियर से जुडी कोई समस्या होती है जिसे लेकर वह काफी उलझन में या परेशान होता है।


   जिससे हो सकता है वह अपनी समस्या को दोहराता रहे और एक जैसे सवाल बार-बार करे।  ऐसे में काउंसलर को बड़े ही धैर्य के साथ नम्रतापूर्वक एवं आत्मीयता की भावना के साथ पेश आना चाहिए। 

  काउंसलिंग के दौरान उन्हें अत्यधिक तनाव व विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही धैर्य व  सहनशीलता से क्लाइंट की बातों को सुनने व संयम बरतते हुए उनको सही दिशा देने का कार्य भी करना होता है।

  कॉउंसलर का पहला कार्य व्यक्ति के मनोविज्ञान को समझना होता है। इसके लिए उसके अंदर लोगो की समस्या को ध्यानपूर्वक सुनने की योग्यता, उनकी बात समझने और तथ्यों का शीघ्रता से विश्लेषण करने की क्षमता होना चाहिए। 

  उसमें अपनी बात को तर्क के साथ प्रभावशाली ढंग से रखने की क्षमता होना चाहिए। तभी वह व्यक्ति विशेष की आवश्यकता या समस्या के अनुरूप सटीक समाधान प्रस्तुत कर सकेगा। उसका प्रस्तुतिकरण मौखिक एवं लिखित दोनों प्रकार से होना चाहिए।  

  जो लोग एक सफल चाइल्ड काउंसलर बनना चाहते हैं, उनमें कम्युनिकेशन स्किल्स  अच्छे होने चाहिए। इसके अतिरिक्त उसमें बच्चे को आसानी से सहज करने व बेहतरीन तालमेल बिठाने की भी क्षमता होनी चाहिए। साथ ही आपको तटस्थ व निष्पक्ष होकर बच्चे की बातों को सुनना व समझना चाहिए। 

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   अधिकतर बच्चे अपने दोस्तों या माता-पिता को महज इसलिए अपनी बात नहीं बताते क्योंकि उन्हें लगता है कि वह उनकी बात नहीं समझेंगे या फिर उन्हें गलत समझेंगे। ऐसा अनुभव उन्हें चाइल्ड काउंसलर की बातों से नहीं होना चाहिए। आपके भीतर यह क्षमता होनी चाहिए कि आप बच्चों को यह विश्वास दिला सके कि आप उनकी बातों को सुनेंगे, जज नहीं करेंगे।

काम के अवसर -

स्कूल-कॉलेज में शैक्षणिक कार्य, मैरिज काउंसलिंग एजेंसी, सूचना केन्द्रों, वृद्ध आश्रम, काउंसलिंग सेंटर, रिहैबिलिटेशन सेंटर, क्लिनिक, सोशल एजेंसी, नशा मुक्ति सेंटर, नारी निकेतन,  सामाजिक व्यवहार, स्वास्थ्य व शिक्षा आदि के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्वयंसेवी संगठनो (NGO) आदि जगहों पर कॉउंसलर्स को काम मिलता है। आजकल स्कूलों और शैक्षिक संस्थानों में काउंसलर रखे जाते हैं। 

     करियर काउंसलर के रूप में रोजगार के अवसर ही अवसर हैं।  नौकरी के लिए भर्ती करने वाली एजेंसीज के साथ भी कार्य किया जा सकता है। आप चाहें तो काउंसलिंग के लिए अपना खुद का ऑफिस खोलकर यह काम कर सकते हैं इसके लिए अपनी वेबसाइट शुरू कर सकते हैं। सोशल मीडिया और यूट्यूब में वीडियो के माध्यम से भी अपना प्रचार प्रसार कर सकते हैं।  

 सेलरी (वेतन और कमाई ) -

नौकरी करने पर काउंसलर को शुरुआती चरण में 20-25 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं फिर दो-तीन साल का कार्य अनुभव होने के पश्चात सेलरी भी तेजी से उपर चढ़ती है। इसमें आपका अनुभव और ज्ञान जितना बढ़ता है उसी के अनुरूप आपकी आय बढ़ती है। यदि आप विदेश में काम कर रहे हैं तो आमदनी की कोई निश्चित सीमा नहीं होती। 

    लाखों कमाने के लिए आपको खुद का काउंसलिंग सेंटर खोलना होगा। दिल्ली में निजी तौर पर काम करने वाले काउंसलर अपने क्लाइंट से 5 हजार रूपये प्रति सेशन लेते हैं। यहां कोई फिक्स रेट नहीं है सब कुछ काम की क्वालिटी पर निर्भर करता है। 

   कई सेलिब्रिटी भी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में मदद के लिए सलाहकार नियुक्त करते हैं, इनसे जुड़े कई ऐसे ख्याति प्राप्त काउंसलर हैं जो लाखों रूपये कमा रहे हैं।

    आशा है ये आर्टिकल "Counselling Business Ideas-काउंसलिंग से लाखों कमाएं" आपको उपयोगी लगा होगा इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी पढ़ने के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 

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