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Tuesday 21 December 2021

Export Business- निर्यात व्यवसाय से करोड़ों कमाएं

Export Business-निर्यात व्यवसाय से करोड़ों कमाएं  

एक्सपोर्ट बिज़नेस (Export Business) एक शानदार कैरियर है और इससे आप करोड़ों रूपये कमा सकते हैं, परन्तु इसके लिए आपको कुछ विशेष तैयारी करनी पड़ती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया में अपनी यात्रा शुरू करने के लिए आवश्यक विभिन्न गतिविधियों के लिए आपको तैयार रहना चाहिए, तभी आप अपने निर्यात व्यवसाय को धरातल पर उतारने में सफल हो सकेंगे। 


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  इसमें व्यापार की स्थापना के लिए आवश्यक दस्तावेज़ीकरण, व्यवसाय मॉडल चुनने से लेकर, सही बाज़ार और खरीदारों का चयन करने के साथ अपना पहला ऑर्डर शिप करने की व्यवस्था के लिए तैयारी करने की जरूरत होगी। अगर आप युवा हैं तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade) में डिग्री या डिप्लोमा लेकर इस फील्ड में उतरना आपके लिए लाभदायक हो सकता हैं। 


   देश में कई ऐसे छोटे मैन्युफैक्चरर हैं जिनके माल की खपत विदेश में हो सकती है, परन्तु उनके पास इसकी प्रक्रिया की जानकारी और साधन का अभाव होने के कारण वे ऐसा नहीं कर पाते हैं। उसी प्रकार विदेश में बनी कई वस्तुओं की हमारे देश में काफी मांग है, जिनके लिए यहां के उपभोक्ता अच्छी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं।


   किसी भी दूसरे बिजनेस की तरह एक्सपोर्ट और इंपोर्ट में भी आपको डिमांड समझते हुए अपना प्रॉफिट जोड़कर सप्लाई की व्यवस्था करना है। इसमें आपका मार्जिन 10% से 50% तक भी हो सकता है। यह सब आपके प्रोडक्ट और देश के चुनाव की जानकारी और अनुभव पर निर्भर करता है। 


  भारत सरकार एक्‍सपोर्ट करने के इच्‍छुक व्यापारी को एक्‍सपोर्ट लाइसेंस और विभिन्न सुविधाएं देती है, इसके लिए व्यापारी को कुछ नियमों का पालन करना होता है। सरकारी वेबसाइट इंडियन ट्रेड पोर्टल पर एक्‍सपोर्ट लाइसेंस हासिल करने के लिए अनिवार्य शर्तों के बारे में पूरी जानकारी है, आइए जानते हैं कि एक्‍सपोर्ट बिज़नेस शुरू करने के लिए किन चरणों से होकर गुजरना होता है और विदेशों में एक्सपोर्ट करने की क्या प्रक्रिया है। 

 

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निर्यात व्यवसाय कैसे शुरू करें (How to Start Export Business)


निर्यात व्यापार शुरू करने के आवश्यक 8 चरण इस प्रकार से हैं -


1. कंपनी बनाएं -


एक्‍सपोर्ट बिजनेस की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले आपको एक कंपनी बनानी होगी, ये कंपनी प्रोपराइटरशिप या पार्टनरशिप में बनाई जा सकती है।  निर्यात- आयात व्यवसाय शुरू करने के लिए यह तय करना होगा कि स्वामित्व के आधार पर आपका व्यवसाय किस प्रकार का होगा साथ ही  अपनी व्यावसायिक इकाई के लिए आपको एक नाम चुनना होगा।


2. बैंक अकाउंट और पैन -


निर्यात व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। आपके व्यवसाय को पंजीकृत करने के लिए आपके पास वैध पहचान और पते के प्रमाण होने चाहिए। अपनी व्यवसायिक  इकाई के लिए आयकर विभाग से पैन कार्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया करनी होगी।


  एक्‍सपोर्ट बिजनेस के लिए आपके पास बैंक अकाउंट होना चाहिए, जिसमें आपकी कंपनी का पूरा लेनदेन किया जाएगा।  इसलिए किसी भी विदेशी मुद्रा में डील करने वाले ऑथराइज्‍ड बैंक में अपना चालू खाता (करेंट अकाउंट) खुलवा लें। चालू खाता खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ व्यवसाय इकाई के प्रकार के आधार पर भिन्न होते हैं।


3. इंपोर्टर-एक्‍सपोर्टर कोड (IEC) नंबर -


आयात निर्यात व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए IEC कोड आवश्यक है। IEC एक 10 डिजिट वाला नंबर होता है, जो एक्‍सपोर्ट या इंपोर्ट करने के लिए जरूरी होता है। इसके लिए कुछ जरूरी डॉक्‍यूमेंट्स के साथ आवेदन लगाकर विदेश व्यापार महानिदेशालय में जमा करना होता है। आप DGFT की वेबसाइट https://dgft.gov.in/ पर भी e-IEC के लिए अप्‍लाई कर सकते हैं। 


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4. रजिस्‍ट्रेशन कम मेंबरशिप सर्टिफिकेट (RCMC) -


इंपोर्ट/एक्‍सपोर्ट के लिए RCMC भी अनिवार्य है, इसे एक्‍सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स/कमोडिटी बोर्ड्स/अथॉरिटीज द्वारा जारी किया जाता है। भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई निर्यात संवर्धन परिषदें हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप कृषि या प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के निर्यातक हैं, तो आप एपीडा के साथ एक पंजीकरण करा सकते हैं, जिसकी वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा है।


  इन परिषदों के साथ पंजीकरण से निर्यातकों को अपने व्यवसाय का विस्तार करने में मदद मिलती है, और यह भारत की विदेश व्यापार नीति के तहत कुछ लाभों तक पहुंचने के लिए भी आवश्यक है।   इससे एक्‍सपोर्टर FTP 2015-20 के तहत कंसेशन का भी लाभ ले सकते हैं। RCMC पंजीकरण करवाने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है।


5. अपना निर्यात प्रोडक्‍ट चुनें -


 सही उत्पाद का चयन करना आपके निर्यात व्यवसाय की कुंजी है। आप अपने वर्तमान के व्यवसाय से संबंधित प्रोडक्ट का चुनाव निर्यात के लिए कर सकते हैं। यह आपके क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उत्पादित कोई वस्तु अथवा बहुतायत से उगाई जाने वाली फसल भी हो सकती है या हैंडीक्राफ्ट्स भी हो सकते हैं। 


  आप जिस प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करना चाहते हैं, उसकी अंतराष्ट्रीय मार्केट में डिमांड कितनी हो सकती है, इस बात पर रिसर्च जरूर कर लें। इसके साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की स्थिति, विनियम, निर्यात रुझान आदि अन्य बातों पर गौर करें। सही निर्यात उत्पाद के चयन के लिए पहले से स्थापित निर्यात फर्मों की जानकारी और उनकी कार्यविधि को समझने का प्रयास करें, जिससे आपको विदेशों में वस्तुओं की डिमांड का एक मोटा गाइड मिल सकता है।


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6. मार्केट का चयन -


जब आपने एक्सपोर्ट के लिए प्रॉडक्ट का सिलेक्शन कर लिया है, तब आपको उन देशों में से कुछ पर ध्यान केंद्रित करना है, जहां ऐसे प्रोडक्ट हमारे देश से निर्यात किये जाते हैं। जिस भी देश में काम शुरू करना हो, वहां की पूरी स्टडी करनी चाहिए। हर बाजार के नियम अलग हैं, आपको उनके नियमों और क्वालिटी स्टैण्डर्ड का ध्यान रखना चाहिए। 


   आप अपना फोकस श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान जैसे पडोसी देशों के अलावा अरब कन्ट्रीज और अफ्रीका के देशों में कर सकते हैं। इन देशों में हमारे यहां से चांवल, दवाइयों, गारमेंट्स और फल सब्जियों का निर्यात भारी मात्रा में होता है। 


  अगर आप दुबई का चुनाव अपने निर्यात व्यापार के लिए करते हैं तो आपको बहुत आसानी होती है क्योंकि वहां बड़ी संख्या भारतीय और एशियाई मूल के लोगों की होने से भाषा की समस्या नहीं होती, वहां हिंदी बोलने समझने वाले आसानी से मिल जाते हैं। दूसरा दुबई, रिएक्सपोर्ट का एक बड़ा केंद्र है यहां आयात की जाने वाली 10 परसेंट चीज़ों की खपत लोकल मार्केट में होती है और बाकी 90% चीज़ें दूसरे देशों में भेजी जाती हैं।  


   दुबई में कपड़ों के अलावा प्याज, लहसुन और फलों में अनार व अंगूर का आयात भारत से बड़ी मात्रा में किया जाता है। यदि आपका फोकस एग्री प्रोडक्ट में है तो आप उक्त चीज़ों के निर्यात की व्यवस्था के बारे में सोच सकते हैं। 


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7. खरीदार कैसे ढूँढें -


एक्सपोर्ट मटीरियल और इसके लिए देश का चयन करने के बाद आपको पता लगाना है उन खरीददारों का जो उस प्रोडक्ट का आयात कर सकें। इसके लिए आपको यह पता करना चाहिए कि आपकी मदद के लिए कौन-सी सरकारी स्कीम और संस्थाएं हैं, जो इस काम में आपको गाइड कर सकती हैं।


   अगर आपके आसपास कोई ऐसी कंपनी है, जो वही प्रॉडक्ट विदेश में बेचती है, तो आप वहां से जानकारी लेने का प्रयास करें। आप यूट्यूब और गूगल से ऐसी एजेंसी की जानकारी ले सकते हैं जो निर्यात के काम में आपकी मदद कर सकती हैं। आप इनके नेटवर्क का फायदा ले सकते हैं। 


  अपने उत्पाद को विदेश में बेचने के लिए कुछ जरूरी काम करने पड़ेंगे। जैसे अपनी वेबसाइट बना कर उसमें अपनी पूरी जानकारी देना, खरीदी -बिक्री के अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण करना, व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेना, सरकारी निकायों जैसे निर्यात संवर्धन परिषदों आदि का उपयोग करना।


  विदेश के जिन शहरों से एक्सपोर्ट करना चाहते हैं, वहां के चैंबर्स ऑफ कॉमर्स आपके लिए कॉन्टैक्ट्स हासिल करने का अहम जरिया हो सकते हैं। इसके बाद जुटाए गए तमाम कॉन्टैक्ट्स पर ईमेल या फोन द्वारा सम्पर्क करें। इसमें अपनी कंपनी का परिचय देते हुए आपके प्रोडक्ट की पूरी जानकारी दें।


   आपको उस कंपनी के आयात का काम देखने वाले अधिकारी या सेक्शन से ही सम्पर्क करना है तभी इच्छित परिणाम प्राप्त होने की संभावना होगी अन्यथा आपके प्रयास व्यर्थ ही जाएंगे। एक बार प्रयास करने के बाद यदि रिप्लाई न मिले तो थोड़े दिनों बाद फिर से मेल या फोन कर सकते हैं। 


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  एक्सपोर्ट बिज़नेस को सही तरीके से करने के लिए आपको अपने टार्गेट मार्केट, संबंधित व्यापारियों  और उस प्रोडक्ट के उपभोक्ताओं की जरूरतों को निजी तौर पर महसूस करना जरूरी है और इसके लिए आपको वहां जाना चाहिए। वहां आप अपने संभावित खरीदारों के साथ मीटिंग करें और प्रॉडक्ट बेचने वाले स्टोर्स में घूमें। अपने एक्सपोर्ट मार्केट के राजनैतिक इतिहास, व्यापारियों के लेनदेन और भाषा की जानकारी हासिल करें।


  अपने सर्वे के जरिये वहां पर दूसरे किसी देश से आने वाले उसी प्रोडक्ट की कीमतों का जायजा लें। अपने प्रोडक्ट के संदर्भ में आपको वहां के ट्रेंड और मिजाज को समझना है। यह भी हो सकता है कि हमारे देश में वह प्रोडक्ट जिस पैकेजिंग में बेचा जाता हो, उसका चलन उस देश में न हो और वहां उसके लिए उसी पैकेजिंग में कोई खरीदार न मिले। इसके लिए आवश्यक बदलाव किस प्रकार से करना है, उसे समझें।  


  अगर आप एक ही प्रॉडक्ट चार मार्केट्स में एक्सपोर्ट कर रहे हैं, तो आपको चारों देशों के ट्रेंड को अलग-अलग समझना होगा। इसके साथ ही उन बाजारों में प्रतिबंधित इंग्रेडिएंट्स और लोकल ग्रेड्स के हिसाब से अपने प्रॉडक्ट में बदलाव भी करना होगा।


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8. गुड्स की डिलिवरी -


आपको अपने माल के क्रेता के साथ गुड्स की डिलिवरी की शर्ते तय करनी होती है। इन शर्तों का सीधा असर आपके प्राइस कोटेशन पर पड़ता है। आपके इसी एग्रीमेंट के आधार पर यह तय होता है कि आपको माल की डिलीवरी कहां पर देनी है और आपकी जिम्मेदारियां क्या होंगी, इसलिए इसे अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।


   गुड्स पहुंचाने के लिए फ्रेट फॉरवार्डर की सेवाएं ली जाती हैं। इसका काम आपके लिए शिपिंग और मर्चेंडाइज के अहम चरणों को पूरा करना होता है। शिपिंग दरें कोट करना, रुटीन इंफॉर्मेशन मुहैया कराना और कार्गो स्पेस बुक करना भी उसी के काम हैं। फ्रेट फॉरवॉर्डर डॉक्यूमेंट्स, कॉन्ट्रैक्ट शिपिंग इंश्योरेंस और सबसे कम कस्टम चार्ज वाले रूट कार्गो की जानकारी तैयार करता है। 


  आशा है ये आर्टिकल "Export Business- निर्यात व्यवसाय से करोड़ों कमाएं " आपको पसंद आया होगा, इसे अपने मित्रों को शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 


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