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Friday 11 October 2019

Best investment options- सर्वश्रेष्ठ निवेश विकल्प

Best investment options-सर्वश्रेष्ठ निवेश विकल्प 

अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के बाद बारी आती है बचे हुए पैसों को निवेश करने की, जिससे भविष्य की ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका निवेश न केवल सुरक्षित रहे बल्कि उसमें वृद्धि होती रहे। जिससे बढ़ती हुई महंगाई के विरुद्ध उसे सुरक्षा प्राप्त हो सके।

   पैसे निवेश करने के बहुत से तरीके होते हैं, यह व्यक्ति की उम्र और परिस्थिति पर निर्भर करता है कि उसके लिए कौनसा तरीका श्रेष्ठ होगा। इस अंतर का कारण यह है कि प्रत्येक व्यक्ति कि रिस्क उठाने की क्षमता में अंतर होता है। 
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      जहां रिटर्न अधिक होगा वहां रिस्क भी साथ में होता है इसलिए किसी युवा की तुलना में एक बुजुर्ग व्यक्ति को शेयर मार्केट में अपने धन का बड़ा हिस्सा लगाने से बचने की सलाह दी जाती है। क्योंकि शेयर मार्केट में बड़ा गेन तो हो सकता है परन्तु मार्केट क्रैश होने की स्थिति में अपनी पूँजी का बड़ा हिस्सा खोने का डर भी हमेशा होता है। 

  आइये जानते हैं निवेश के विभिन्न तरीक़ों के बारे में जहां निवेश करने पर लाभ हो सकता है और भविष्य में अपने लक्ष्यों को पूरा भी कर सकते हैं -

1. गोल्ड में निवेश (Investment in gold)-


सोने में निवेश करना पुराने समय से ही सबसे लोकप्रिय तरीका रहा है क्योंकि इसे सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता रहा है। सोने में निवेश का  बड़ा लाभ यह है कि इसे किसी भी समय बेचकर नगद (cash) में बदला जा सकता है और आड़े वक्त में गोल्ड का निवेश बहुत फायदेमंद सिद्ध होता है। 

   सामान्य तौर पर लम्बे समय में यह आपको मंहगाई के विरुद्ध सुरक्षा भी प्रदान करता है इस तरह आपकी लगाई हुई रकम सुरक्षित होती है। अगर रिटर्न की बात करें तो बहुत अधिक तो नहीं मिलता परन्तु समय समय पर अच्छा रिटर्न भी गोल्ड ने दिया है। 


 जैसे मई 2019 में गोल्ड का रेट 32500/- प्रति 10 ग्राम था जो सितम्बर 2019 मात्र 5 महीनों में नई ऊंचाई को छूते हुए 40400/- तक जा पहुंचा। 

     सोना फिजिकल तरीके से खरीदा जा सकता है, फिजिकल तरीके का आशय ज्वेलरी, सिक्कों और सोने के बिस्कुट से है। दूसरा तरीका गोल्ड फंड या गोल्ड  ETF के जरिये भी सोने में निवेश कर सकते हैं। फिजिकल गोल्ड का सबसे बड़ा फायदा ये है कि  आपको  जब भी पैसे की जरूरत पड़े उसी समय उसे बेचकर या गिरवी रखकर रकम  प्राप्त कर सकते हैं। पर इसके साथ फिजिकल गोल्ड रखने में कुछ समस्याएं भी सामने आती हैं।
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      सोना खरीद कर रखने में चोरी का डर होता है। ज्वेलरी के रूप में इसे रखने पर डिजाइन का पुराना हो जाना एक समस्या है। फिर इसमें बनाने का खर्च( making charge) अलग होता है, जो इसे काफी महंगा कर देता है।  

  सोने की ज्वेलरी पर मेकिंग चार्ज सोने की लागत का औसतन 10% होता है। इससे बचने का उपाय है गोल्ड फंड या गोल्ड  ETF में निवेश किया जाए। 

2. प्रॉपर्टी में निवेश (Investment in property) -

 अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो प्रॉपर्टी में निवेश करना जरूरी है। प्रॉपर्टी में समझदारी से किया गया कुछ लाख रूपये का निवेश 10 -15 साल के बाद करोड़ों का हो जाता है। इसके लिए के कुछ बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी है 

  सबसे महत्वपूर्ण काम प्रॉपर्टी का चुनाव करने का होता है, यहां विशेष रूप काम आने वाली बात होती है - दूरदृष्टि के पैमाने पर किसी प्रॉपर्टी की जांच परख की क्षमता। 

A. प्रॉपर्टी का चुनाव -     

आप जिस लोकेशन में प्रॉपर्टी का चुनाव करने जा रहे हैं क्या वो एरिया निकट भविष्य में महवपूर्ण होने जा रहा है? यदि वहां से कोई महत्वपूर्ण रोड निकलने वाली हो अथवा कोई बड़ा हाउसिंग या कमर्शियल प्रोजेक्ट वहां आने वाला हो, ऐसी दशा में थोड़े समय बाद वहां की प्रॉपर्टी की कीमतों में उछाल आना निश्चित होगा। 

  इसलिए प्रॉपर्टी की लोकेशन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, इसमें भी यदि आप मध्यम स्तर के शहर में रहते हैं तो रोड से लगी कृषि भूमि (land) का चुनाव करें। इसकी दूरी शहर के केन्द्र से जितनी कम हो उतना अच्छा रहेगा। प्लाट का साइज अपने बजट के अनुसार रख सकते हैं। 


B. अफोर्डेबल रेंज का चुनाव करें -   

यदि मकान में निवेश करना चाहते हैं तो प्रीमियम रेंज की जगह अफोर्डेबल रेंज के मकान का चुनाव करें। अफोर्डेबल रेंज  को बेचना सरल होता है और यदि कुछ समय तक न बेचना हो तो किराये पर आसानी से इस रेंज के मकान उठ जाते हैं। 

  किराये से प्राप्त होने वाली आय का प्रतिशत भले कम होगा परन्तु आपके मकान की कीमत बढ़ती जाती है, ऐसा प्लाट के रेट में वृद्धि होते जाने के कारण होता है। 

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C. कमर्शियल प्रॉपर्टी का चुनाव -

यदि अधिक किराया पाना चाहते हैं तो कमर्शियल प्रॉपर्टी का खरीद सकते हैं। जिस कमर्शियल काम्प्लेक्स में पहले से दुकानें किराये पर उठी उस काम्प्लेक्स में दुकान खरीद कर किराये पर उठा दें। यदि आपके पास थोड़ा अधिक पैसा हो तो पीजी या हॉस्टल चलाने के लिए प्रॉपर्टी में निवेश करें। 


   इसके लिए प्लाट खरीदकर पीजी या हॉस्टल के हिसाब से बिल्डिंग बनवा सकते हैं। इस तरीके से स्टूडेंट्स से किराये के रूप में हर महीने अच्छी इनकम हो सकेगी और प्रॉपर्टी के रेट में होने वाली वृद्धि का लाभ प्रॉपर्टी बेचने के समय अलग से मिलेगा। 


D. प्रॉपर्टी में निवेश का लाभ -    

प्रॉपर्टी में निवेश का एक बड़ा फायदा यह है कि इसमें गोल्ड की तरह चोरी होने का भय नहीं होता। इसमें बस आपको अपनी प्रॉपर्टी को समय समय पर विजिट करते रहना होता है। दूसरा फायदा इसमें शेयर मार्केट की तरह तेज गिरावट नहीं आती। 

   शेयर का भाव किसी भी कारण से गिरकर कुछ दिनों में ही आधा भी हो सकता है, पर प्रॉपर्टी में यह नहीं होता। देश में बढ़ती आबादी की जरूरतें पूरी करने के लिए आवासीय और कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग में वृद्धि होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। 


3. शेयर में निवेश (Investment in share)-


शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट को लेकर हमारे देश में कई प्रकार के भ्रम हैं अधिकतर लोग इसे सट्टेबाज़ी मानकर इससे दूर रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं। शेयर मार्केट से लोगों की दूरी का एक कारण यहाँ आने वाले वे लोग भी हैं जो यहाँ जल्दी अमीर बनने का ख्वाब लेकर चले तो आते है। परन्तु  शेयर बाज़ार  की पूरी जानकारी के अभाव में जल्दी ही अपने पैसे गवांकर बैठ जाते हैं। 

    इनमें से अधिकांश लोग शेयर बाजार में निवेशक (investor) नहीं होते बल्कि ट्रेडर (trader) होते हैं जो आधी अधूरी जानकारी चलते अधिक कमाने के लालच में पढ़कर अपनी पूँजी गंवाते हैं। शेयर बाज़ार में निवेशक के लिए ये ख़ास बातें जानना आवश्यक है -
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1. निवेशक बनें -


ट्रेडर की तुलना में निवेशक का रिस्क कम होता है परन्तु निवेश के लिए अच्छे शेयर का चुनाव होना बहुत जरूरी है। इसके लिए निफ़्टी-50 से कम्पनी का चुनाव निवेश के लिए कर सकते हैं। 

2. सही कम्पनी चुनें -

अच्छी बैलेंस शीट वाली डेब्ट फ्री कम्पनी के शेयर में निवेश करना काफी हद तक सुरक्षित होता है और आपके पैसे बढ़ने के पूरे चांस होते हैं।

3. एंट्री की टाइमिंग -

शेयर मार्केट में निवेश करते समय बाज़ार की स्थिति का भी बहुत महत्व होता है। जब सभी लोग खरीद रहे होते हैं और बाजार ऊंचाई पर होता है उस समय किया गया निवेश फायदेमंद नहीं होता क्योंकि बाज़ार वहां से गिर सकता है और उसके वापस फिर से ऊंचाई की तरफ जाने में कुछ साल लग सकते हैं। 

  हालाँकि यह जानना मुश्किल है कि बाजार का पीक पॉइंट बन चुका है और अब बाजार यहां से ऊपर न जाकर यही से गिरेगा यह भविष्यवाणी असम्भव है। 
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4. रिस्क को ध्यान  रखें -

शेयर बाजार फिक्स्ड डिपाजिट की तरह नहीं होता, जहां एक बार रकम लगाकर हर महीने ग्रोथ की गॉरन्टी होती है। शेयर बाजार सीधे एक दिशा में न चलकर किसी दिन ऊपर किसी दिन नीचे चलता है।

    इसका मतलब बाजार के दोनों तरफ (ऊपर या नीचे) जाने के चांस हमेशा बने होते हैं।  किसी कंपनी मुनाफा बढ़ने से उसके शेयर  की डिमांड बढ़ जाती है, जिससे उसके शेयर का रेट बढ़ जाता है, उसी तरह इसका विपरीत भी होता है। 

   वैसे शेयर के रेट कम-ज्यादा होने के कई कारण होते हैं जिनमें नए टैक्स नियम, मैनेजमेंट में बदलाव, सेक्टर की मंदी के साथ सामाजिक -राजनैतिक कारण शामिल  हैं। इसलिए शेयर मार्केट में निवेश करने वाले को डेली की तेजी मंदी को उतना महत्व दिए बिना अपने शेयर में कुछ साल तक निवेशित रहना होगा तभी उसे अच्छा रिटर्न मिल सकेगा। 

5. स्टॉपलॉस  लगाएं -


एक लम्बे समय का निवेशक दैनिक तेजी मंदी से विचलित भले न हो परन्तु उसे अपने पैसे की सुरक्षा का ध्यान भी रखना होगा। इसे स्टॉपलॉस कहते हैं। शेयर लेते समय यह निर्धारण करना आवश्यक है कि लाभ होने की स्थिति में आप किस रेट पर एग्जिट करेंगे उसी प्रकार घाटा होने की स्थिति में कितना घाटा सहेंगे।

   यानि जब शेयर का मूल्य टूटकर इस रेट पर आएगा तो उसे बेचकर निकल जायेंगे। इससे आपका लॉस, स्टॉप हो जायेगा और रकम की सुरक्षा हो सकेगी। भले ही कुछ लॉस होगा परन्तु पूरी रकम डूबने के खतरे से बच जायेंगे।

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6. इक्विटी म्यूचुअल फंड -   

यदि स्टॉक मार्केट की पर्याप्त जानकारी नहीं रखते हैं या इसकी एक्टिविटी पर नज़र रखना आपके लिए मुश्किल है तो शेयर मार्केट में निवेश की इच्छा रखने वालों के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड एक सरल तरीका होता है। 

   म्यूचुअल फंड मे एक प्रोफेशनल फंड मैनेजर  होता है। जिसका कार्य फंड में जमा राशि को निवेशित करना होता है। यह प्रोफेशनल मैनेजर अपने ज्ञान और अनुभव से यह निर्धारित करता है कि कहां पैसे लगाकर अधिकतम  लाभ कमाया जा सकता है।

    इक्विटी म्यूचुअल फंड भी मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है और कभी-कभी बाजार से भी नीचे रिटर्न प्रदान करता है।इक्विटी से जुड़े  म्यूच्यूअल फण्ड, मार्केट की तेजी में ही लाभ देते हैं।  
   अगर मार्केट में तेज गिरावट आती है या मार्केट क्रैश होता है और उसके निवेशित शेयर के भाव गिरते हैं तो फण्ड मैनेजर कुछ नहीं कर सकता। ऐसे समय  NAV तेजी से नीचे गिर सकता है।

    इसके विपरीत  शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले  मंदी के समय भी शार्ट सेलिंग करके पैसा कमा सकते हैं। यह सुविधा फण्ड मैनेजर को नहीं होती। वह शार्ट सेलिंग नहीं कर सकता, इस तरह वह बाजार में एक हाथ के योद्धा की तरह होता है। वह केवल शेयर्स के रेट बढ़ने पर ही अपने निवेशकों के लिए मुनाफा कमा सकता है।  

conclusion -

निवेश के लिए गोल्ड, प्रॉपर्टी या शेयर बाजार तीनों में से किसी एक का चुनाव करना उचित नहीं कहा जा सकता। अपनी क्षमता के अनुसार तीनों में ही निवेश कर सकते हैं क्योंकि अपने पैसे को अलग अलग जगह लगाकर रखने में रिस्क कम हो जाता है। यदि किसी एक में मंदी आती है तो उसकी पूर्ती दूसरे जगह से हो सकती है। 

   आपकी उम्र और आपके लक्ष्य क्या हैं उस हिसाब से आपको पैसों की जरूरत कितने साल बाद पड़ने वाली है, यह आपके निवेश का आधार होगा। गोल्ड, प्रॉपर्टी या शेयर बाजार में से कहां अधिक और कहां कम पैसा लगाना है, यह आपकी इनके संबंध में जानकारी पर निर्भर करेगा। 

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