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Sunday 13 December 2020

Tips For Real Estate Agent-सफल प्रॉपर्टी ब्रोकर कैसे बनें

Tips For Real Estate Agent-सफल प्रॉपर्टी ब्रोकर कैसे बनें 

रियल एस्टेट कारोबार, देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। इसका दायरा काफी व्यापक है जिसमें व्यावसायिक, आद्योगिक, कृषि, रिहायशी प्लाट एवं भवन सम्मिलित हैं। ज्यादातर इनकी खरीदी- बिक्री का काम रियल एस्टेट एजेंट के माध्यम से होता है। जिन्हें प्रॉपर्टी ब्रोकर, जमीन दलाल, रियल एस्टेट कंसल्टेंट, प्रॉपर्टी डीलर (Property Dealer) आदि नामों से जाना जाता है।


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  रियल एस्टेट एजेंट बनना लगभग जीरो इन्वेस्टमेंट वाला काम है, इसे आप बिना ऑफिस खोले केवल अपने स्मार्ट फोन के जरिये सिर्फ विजिटिंग कार्ड छपवाकर शुरू कर सकते हैं। इसी विशेषता के कारण बहुत से लोग एजेंट का काम शुरू तो कर देते हैं, परन्तु जानकारी के अभाव में सफल नहीं हो पाते। 


  बिना किसी तैयारी और जानकारी के शुरू किया गया कोई भी काम सफलता नहीं दिला सकता। यहां हम आपको कुछ टिप्स देने जा रहे हैं जो किसी नए प्रॉपर्टी एजेंट के लिए आवश्यक है।


प्रॉपर्टी डीलर के सफलता के सूत्र (Success Tips For Property Dealer)


1. बेसिक तैयारी करें -


भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जमीन हेक्टेयर, एकड़, बीघा, गज, मीटर और स्क्वायर फुट आदि के हिसाब से बेचीं जाती है। आपको जमीन के इन मेजरमेंट्स की जानकारी होना चाहिए।  रियल एस्टेट के काम में उतरने वाले को प्रॉपर्टी के पेपर्स,  रजिस्ट्री पेपर की जाँच करना व लैंड रिकार्ड्स आदि की समझ होनी चाहिए। 


    जमीन में कई तरह के के फ्रॉड्स भी होते हैं। आप अपने ग्राहकों को सही ज़मीन या मकान तभी दिला पाएंगे जब पेपर्स चेक करना आपको सही तरीके से आता होगा। आपको जमीन के लैंड यूज़ (डायवर्सन) व तहसील कार्यालय और पटवारी से काम करवाने के तरीकों की जानकारी भी रखनी पड़ेगी। जब आप प्रॉपर्टी डीलिंग के काम से जुड़े लोगों से मिलना जुलना शुरू करेंगे, तब धीरे धीरे ये सभी बातें आपको समझ आने लगेंगी। 


   कुछ समय पहले तक भारत में प्रॉपर्टी डीलर बनने के लिए किसी प्रकार के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती थी। परन्तु अब सरकार ने प्रॉपर्टी डीलर को रेरा (RERA) के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है। पहले आप अपना ध्यान कुछ डील्स करवाने पर केंद्रित रखें फिर रेरा में प्रॉपर्टी डीलर के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह एक आसान प्रक्रिया है।


   रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आप रेरा ऑफिस से आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते है, या आप चाहें तो रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया भी अपना सकते है। इसके लिए आप अपने राज्य के नाम के साथ RERA लिखकर सर्च करें, वहां आपको प्रॉपर्टी डीलर रजिस्ट्रेशन का विकल्प प्राप्त होगा। इसकी एक फीस होती है, अपने ID प्रूफ के साथ कुछ डिटेल्स भरकर आप इस प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं। 


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2. अपना कार्य क्षेत्र निर्धारित करें -


प्रॉपर्टी डीलर के व्यवसाय में उतरने के लिए आपको अपनी रूचि को देखते हुए कृषि भूमि या फार्म हाउस, इंडस्ट्रियल एरिया की प्रॉपर्टी, कमर्शियल प्रॉपर्टी, आवासीय प्लाट अथवा मकान या फ्लैट में से चुनाव करना होगा। आप यह भी निश्चय करें कि आपका फोकस खरीदी- बिक्री में होगा अथवा आप रेंट (lease) पर लेने- देने के काम पर ही ध्यान देंगे। 


   इसके पश्चात आपको अपने काम के लिए अपने शहर के किसी एरिया (भौगोलिक क्षेत्र) का चयन करना होगा। बेहतर होगा कि आप नए विकसित हो रहे क्षेत्र पर अपना फोकस करें। यहां आप अपनी पसंद के अनुसार किसी सोसाइटी, व्यावसायिक काम्प्लेक्स या स्वतंत्र आवासीय मकान, फ्लैट व प्लाट में से किसी एक पर ध्यान देना शुरू करें। 


  आप शहर के जिस एरिया को भी अपना कार्यक्षेत्र बनाएं उससे आपको पूरी तरह परिचित होना पड़ेगा। वहां कौन कौन सी कॉलोनियां बनी हैं अथवा विकसित हो रही हैं? किस बिल्डर का कौनसा प्रोजेक्ट आ चुका है? अथवा कौनसे विकास कार्य होने वाले हैं? ये सभी जानकारियां आपको होनी चाहिए। अपने चयनित क्षेत्र के मकानों व प्लाट के रेट्स की ताज़ा जानकारी से आपको अपडेट रहना पड़ेगा।  


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   क्षेत्र विशेष में काम करने फायदा यह है कि उस एरिया में आपकी विशेषज्ञता हो जाती है और वहां काम पड़ने पर लोग आपको सबसे पहले याद करते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि आप वहां उपलब्ध सभी विकल्पों की जानकारी उन्हें दे सकते हैं। जब आप अपना बिज़नेस कार्ड छपवाएं, तब उसमें भी अपने क्षेत्र (प्रॉपर्टी सेगमेंट और भौगोलिक) का उल्लेख अवश्य करें। 


   बहुत से प्रॉपर्टी डीलर अपने आपको रियल एस्टेट के सभी क्षेत्रों में काम करने वाला कहकर प्रचारित करते हैं परन्तु जब उनसे कोई विशेष जानकारी मांगी जाती है तो वे पूरी जानकारी देने में असमर्थ होते हैं, इससे उनकी अनुभवहीनता झलकती है जिससे ग्राहक के दिमाग में प्रॉपर्टी डीलर की छवि सही नहीं बनती।  


3. सौदे की जानकारी कैसे प्राप्त करें -


आपने प्रॉपर्टी के जिस किसी सेगमेंट का चुनाव किया है उसमें प्रॉपर्टी बेचने के इच्छुक लोगों की अधिकतम जानकारी आपके पास होना चाहिए। इसके लिए अख़बारों के "प्रॉपर्टी बेचना है" वाले कॉलम को नियमित पढ़ें और उपयोगी सौदे अपने कंप्यूटर या डायरी में नोट करें। रियल एस्टेट की सभी प्रमुख वेबसाईट में अपने शहर और एरिया के सौदों को सर्च करें, जो भी काम का लगे उसे नोट करके रखें।

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   जब आप अपने वर्किंग एरिया में जायेंगे तब "फॉर सेल" के बोर्ड जिस प्रॉपर्टी में दिखें उसकी पूरी डिटेल मोबाइल नंबर के साथ नोट करलें। यदि कृषि भूमि का क्षेत्र आपने चुना है तब हर गांव के चौराहे पर आपको ऐसे लोग मिल जायेंगे, जो आपको वहां बेचीं जाने वाली ज़मीन के बारे में जानकारी दे सकते हैं। 


    उनके मोबाइल नंबर नोट करें और उनके द्वारा बताई गई जमीन को देखकर उसकी साइज और रेट लिख लें। ऐसे लोगों को अपना विजिटिंग कार्ड दे सकते हैं जिससे आगे किसी नए सौदे की जानकारी भी आपको मिलती रहेगी। फ्लैट का काम करते हैं तो सोसाइटी के अध्यक्ष आपके लिए उपयोगी जानकारी दे सकते हैं। 


    काम बढ़ने पर किराये का ऑफिस ले सकते हैं, जिससे लोग आसानी से आपसे सम्पर्क कर सकेंगे। आप अपने फर्म के बैनर- पोस्टर, अपनी विशेषज्ञता वाले काम की जानकारी देते हुए अपने मोबाइल नंबर के साथ कुछ ख़ास जगहों पर लगवा सकते हैं, जिससे खरीदने बेचने वाले लोग सीधे आपसे सम्पर्क करेंगे। रियल एस्टेट वेबसाईट और जस्ट डायल जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म में अपना विज्ञापन दे सकते हैं।  


4. लोगों से संबंध बनाएं -


बिक्री योग्य प्रॉपर्टी की जानकारी तो आपको विभिन्न तरीके से हो जाती है, सबसे ख़ास बात होती है ग्राहक ढूंढने की। इसके लिए आपके पास ऐसे लोगों की लिस्ट होनी चाहिए जो प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करते हों। 


  अगर आपका सम्पर्क कुछ ऐसे लोगों से होगा जो प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करते रहते हैं, तब आपको लगातार काम मिलता रहेगा क्योंकि यदि आप किसी इन्वेस्टर की कोई प्रॉपर्टी सेल करवाते हैं तब उसके लिए दूसरी कोई प्रॉपर्टी दिलवाने का चांस आपको मिल सकेगा।     


   आपको अपने जान पहचान वाले लोगों और दोस्तों के जरिये भी बायर्स मिल सकते हैं। अपने करीबी लोगों से उनके जान पहचान वाले लोगों के नंबर प्राप्त करें, उन्हें अपने काम के बारे में बताएं और उनकी प्रॉपर्टी बेचने खरीदने की कोई जरूरत हो तो उसे समझें। 


  आपके काम की सफलता आपकी अच्छी छवि और लोगों से आपके अधिक से अधिक सम्पर्क पर निर्भर करती है। अच्छी छवि वाले प्रॉपर्टी डीलर सबसे ज्यादा बिज़नेस लोगों के रेफरेन्स द्वारा प्राप्त करते हैं।


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5. फोन कॉल कैसे करें -


प्रॉपर्टी डीलर का बहुत सारा काम फ़ोन के जरिये होता है। जब आप किसी क्लाइंट को कॉल करें तब पहले अपना नाम बताकर अपनी फर्म के बारे में बताएं। फिर उनसे अपने विषय की चर्चा करते हुए पूंछें कि क्या वे अभी इस बारे में बात करेंगे? यदि वे हाँ कहें तो ठीक अन्यथा उनसे समय लेकर उनके बताये हुए समय पर उन्हें दोबारा कॉल करें। 


  फोन करते समय आपको बहुत तेज़ी से बोलना और लम्बी बात करने से बचना है। ज्यादातर सेल्स पर्सन बहुत तेज़ी से अपने रटे रटाये डायलॉग बोलते हैं, जिससे सामने वाला इरीटेट होता है और उसे कुछ समझ नहीं आता। ग्राहक की इन्क्वायरी जिस सौदे के बारे में हो उसकी डिटेल उसे देते हुए खुशनुमा तरीके से बात करें। क्योंकि आपकी मनोदशा भी आपकी आवाज़ से परिलक्षित होती है।


6. अपने ग्राहक को जानें -


जब कोई प्रॉपर्टी का बायर या सेलर आपके सम्पर्क में आता है तब आपको उसकी वास्तविकता  समझना बहुत जरूरी होता है। अगर वो सेलर है तब ये समझें कि क्या वो अपनी प्रॉपर्टी के रेट का सिर्फ आकलन करना चाहता है? इसलिए अपनी प्रॉपर्टी का रेट बढ़ा चढ़ा कर कोट कर रहा है और क्या वह वास्तविक सेलर नहीं है? अथवा उसे वास्तव में पैसों की जरूरत है और वह प्रॉपर्टी बेचने के पक्के इरादे से बैठा है। 


    इसी प्रकार जब कोई प्रॉपर्टी का बायर बनकर आपसे बात करे तब उसकी जरूरतों और क्षमता का आकलन करें। उसके द्वारा किसी क्षेत्र में कोई कृषि भूमि, प्लाट अथवा मकान की डिमांड करते ही बिना सोचे समझे दौड़ धूप करेंगे तो व्यर्थ परेशान होंगे और अंत में निराशा ही हाथ लगेगी। 


   मैंने अपने प्रॉपर्टी में निवेश के बिज़नेस में बहुत से एजेंटों को ऐसी गलती करते देखा है। वे मुझसे मेरी सेल योग्य प्रॉपर्टी की जानकारी तो लेते हैं, पर जब मैं उनसे पूछता हूँ कि बायर का बजट कितना है और पेमेंट रेडी है अथवा कोई प्रॉपर्टी बेचने के बाद उसके पास पेमेंट आएगा या बैंक से लोन लेगा, तब एजेंट कुछ नहीं बता पाते। वे सिर्फ यह बताते है कि बायर ने इतनी ज़मीन की डिमांड उनसे की है, अब आप खुद समझ सकते हैं ऐसा एजेंट कैसे सफल होगा। 


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   मान लीजिये आपके कस्टमर को किसी एरिया विशेष में कोई प्लाट खरीदने का मन हो, पर उसकी सोच या बजट 800/- फिट के हिसाब से हो जबकि वहां का वर्तमान रेट 2600/- फिट हो। तब बिना उसका दृष्टिकोण समझे उसके लिए प्लाट खोजना व्यर्थ ही होगा। ऐसे व्यक्ति से पहले ही पूरी बात करने से आपको उसकी सोच का पता लग जाता और आप उसे किसी अन्य इलाके में प्रॉपर्टी लेने की सलाह दे सकते हैं। 


    इसी प्रकार कुछ ऐसे लोग होते हैं जो प्रॉपर्टी खरीदने की सोच तो रखते हैं परन्तु उनके पास पेमेंट रेडी नहीं होता और न ही लोन लेने की कोई प्लानिंग होती है। ये लोग अपनी कोई प्रॉपर्टी बेचना चाहते हैं जिसका सौदा अभी फाइनल नहीं हुआ है, परन्तु इसके बेस पर वे आगे कोई नई प्रॉपर्टी खरीदने की बात कहकर एजेंटों को दौड़ाते रहते हैं।  


   ऐसी विषम स्थिति से बचने लिए आपको अपने ग्राहक से पूरी बात समझने के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिए। ग्राहक का बजट कितना है, पेमेंट रेडी है अथवा कब और कैसे व्यवस्था होगी? उसे किस तरह की प्रॉपर्टी चाहिए? क्या वह वास्तु को मानता है? यदि हाँ तो वह साउथ फेसिंग के मकान- जमीन लेने से मना कर सकता है, इसलिए ये सब बातें पहले ही समझना और पूंछना जरूरी है।


 फोन पर पहली बार में जब आप किसी कस्टमर को प्रॉपर्टी की जानकारी देते हैं, तब वह बहुत उत्साहित होता है और प्रॉपर्टी विज़िट करने की बात कहता है परन्तु अगली बार विज़िट के संबंध में फोन करने पर वह स्वयं को "आउट ऑफ़ सिटी होने" या "बड़े पिताजी से पूंछ कर बताता हूँ" कहने लगे तब ऐसे कस्टमर का प्रॉपर्टी खरीदना संदिग्ध समझें और उसे अपनी प्रायोरिटी लिस्ट में नीचे रखें। ऐसे कस्टमर से उनका बजट पूंछने पर वे गोलमोल जवाब देते हैं।   


7. साइट विज़िट कैसे करवाएं -


साइट विज़िट की बारी तब आती है जब आप ग्राहक से मिलकर उसकी पसंद की प्रॉपर्टी की डिटेल यानि साइज, रेट आदि उसे बताते हैं। साथ ही अपने पास उपलब्ध प्रॉपर्टी की फोटो या ब्रोशर दिखाकर उसे साइट विज़िट के लिए कन्विंस कर लेते हैं। जब साइट विज़िट की डेट और टाइम फिक्स हो जाए तब उस समय कोई और काम करने का प्रोग्राम न बनाएं।


    ग्राहक अगर आपके साथ ही साइट तक जाता है तब फोर व्हीलर वाहन की व्यवस्था आपकी हो तो ठीक रहेगा। अगर साइट पर ही मिलने की बात हो तो निर्धारित समय से थोड़ा पहले साइट पर आपका पहुंचना जरूरी हो जाता है। क्योंकि यदि आप देरी से पहुंचते हैं और कस्टमर समय से पहुंच गया तो आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। क्योंकि यदि वह किसी बिल्डर का प्रोजेक्ट हुआ तो कस्टमर सीधे उसके ऑफिस में जा सकता है। ऐसी दशा में अगर उसने वहां फ्लैट या मकान खरीद लिया तो बिल्डर आपको कमीशन देने से मना भी कर सकता है।


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   साइट विज़िट के समय अपने ड्रेस व बॉडी लैंग्वेज का ध्यान रखें और कॉन्फिडेंट रहें। अगर ग्राहक के साथ उसकी वाइफ और पेरेंट्स भी साथ आये हों तो उनके इंटरेस्ट की चीज़ें उन्हें सम्बोधित करते हुए दिखाएँ। जैसे फ्लैट में किचन आदि की डिटेल उनकी वाइफ से और परिसर में मंदिर आदि की जानकारी उनके पेरेंट्स को विशेष रूप से देवें। साइट दिखाने के बाद उनसे ये न पूछें की अच्छा लगा या खराब, बल्कि उनसे कहें कि अच्छा था ना?


   वहां आस पास होने वाले डेवलपमेंट की जानकारी कस्टमर को दे सकते हैं। जैसे कोई नई सड़क निकलने वाली हो अथवा कोई शॉपिंग मॉल या बड़ा स्कूल आने वाला हो तो उन्हें बताएं। पर किसी प्रकार का झूठ बोलने से बचें, क्योंकि जो व्यक्ति इतना पैसा वहां लगाएगा वो और तरीकों से भी जानकारी कन्फर्म कर सकता है। 


   अगर ग्राहक उस प्रॉपर्टी के बारे में कोई निगेटिव टिप्पणी करता है और वो सच है तब उसका समर्थन करें। उसे ऐसा न लगे कि आप उसे खरीदने के लिए फोर्स कर रहे हैं। आपने चीज़ दिखा दी है अब निर्णय, ग्राहक को अपनी सुविधानुसार लेने दें। एक बार में 3 - 4 से ज्यादा प्रॉपर्टी न दिखाएं इससे ग्राहक कंफ्यूज हो जाता है। 


8. फॉलो अप कैसे करें -


प्रॉपर्टी दिखाने के दूसरे दिन कस्टमर को व्हाट्सअप पर प्रॉपर्टी विज़िट करने के लिए धन्यवाद का संदेश भेजें। साथ ही उनसे पूछे कि क्या प्रॉपर्टी के संबंध में उन्हें कोई और बात पूंछनी है? आपको उनके टच में तब तक रहना है जब तक वे कोई प्रॉपर्टी खरीद नहीं लेते या आपसे ये नहीं कहते कि मैंने प्रॉपर्टी खरीदने का अपना प्लान स्थगित कर दिया है। 


   कस्टमर को निर्णय लेने में क्या बाधा आ रही है, इसे समझकर दूर करने का प्रयास करें। रेट का मुद्दा सुलझाएं, जब बायर और सेलर के बीच रेट का डिफरेंस कम हो और बात आगे न बढ़ रही हो तो बीच का एक रेट अपनी तरफ से देकर दोनों की सहमति लेने की कोशिश करें। माल बेचने के लिए कस्टमर को इतने अधिक फ़ोन न करें कि वो परेशान हो जाए।  


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9. नियमित आय की अपेक्षा न करें -


इस काम में आपका कमीशन सामान्य रूप से 1 से 2 परसेंट होता है। सौदा बड़ा होने पर यह आधा परसेंट भी हो सकता है। किराये पर मकान दिलवाने वाले ब्रोकर को एक माह किराये का 50% तक ब्रोकरेज मिलता है, यह टेनेंट और प्रॉपर्टी ओनर दोनों की तरफ से मिलता है। वैसे ब्रोकरेज का कोई परसेंटेज फिक्स नहीं होता यह स्थान और आपसी समन्वय के आधार पर बदल सकता है। 


    रियल एस्टेट का काम इस तरह का नहीं है कि आप यहां से हर माह एक निश्चित इनकम की गॉरन्टी कर सकें। यह बात इन्वेस्टर, बिल्डर और ब्रोकर सभी पर लागू होती है। किसी भी प्रॉपर्टी का मूल्य लाखों करोड़ों रूपये होता है, इसमें ब्रोकर का कमीशन भी अच्छा ख़ासा बनता है। परन्तु हर माह कितने सौदे होंगे, यह कोई नहीं कह सकता जबकि आपके हर माह के होने वाले खर्चे नहीं टाले जा सकते। 


   प्रॉपर्टी का काम लगातार कुछ वर्षों तक अच्छा चल सकता है परन्तु अर्थव्यवस्था में मंदी आने पर कमजोर भी पड़ सकता है। इसलिए जब आप अच्छा कमीशन पा रहे हों तब अकस्मात अपने खर्चे बढ़ाने की जगह अपनी आय को सहेज कर रखने का प्रबंध भी करते चलें जिससे मंदी के दौर से निपट सकें। इस बिज़नेस से लोग करोड़पति भी बनें हैं, हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। 


   आशा है इस आर्टिकल में आपको प्रॉपर्टी डीलर के काम की पूरी जानकारी मिल गई होगी फिर भी कोई बात समझ में न आई हो तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। अगर यह आर्टिकल "Tips For Real Estate Agent-सफल प्रॉपर्टी ब्रोकर कैसे बनें " आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों और परिवार के अन्य सदस्यों को शेयर कर सकते हैं। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 


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