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Wednesday 12 April 2023

Ayodhya Places to Visit-अयोध्या दर्शन


Ayodhya- Places to Visit-अयोध्या दर्शन

 

अयोध्या का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है, सरयू नदी के किनारे स्थित इसी पावन धरती पर प्रभु श्री राम का अवतरण हुआ इसलिए यह स्थान हिन्दू धर्म के लिए अत्यंत पवित्र है। आज इसी स्थान पर भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है इसलिए यहां प्रत्येक हिन्दू जाना चाहता है। 


    यहाँ बनने वाले भव्य श्री राम मंदिर निर्माण का कार्य 2024 तक पूर्ण होना है और वर्तमान समय में मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या में सड़को का चौड़ीकरण और पुनर्निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है इस कारण कहीं कहीं ट्रैफिक की अव्यवस्था भी उतपन्न होती है, इसके बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं है और काफी अधिक संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं।


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   अयोध्या जाकर आप भक्ति पूर्ण माहौल से सराबोर हो जाते हैं, यहां आपको देश के कोने कोने से आये लोग दिख जाएंगे। अयोध्या में बहुत से मंदिर हैं और इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है,  अयोध्या की प्रमुख जगहों में राम जन्मभूमि मंदिर, राममंदिर निर्माण कार्यशाला, हनुमान गढ़ी , कनक भवन, राजा दशरथ महल, देवकाली मंदिर प्रमुख है।  

 

   इसके अलावा सरयू के किनारे कई पवित्र घाट हैं, जिनमे स्नान कर भक्त गण पुण्य प्राप्त करते हैं। यहां के प्रमुख घाटों में राम घाट, लक्ष्मण घाट, गुप्तार घाट और जानकी घाट शामिल हैं, यहाँ की सरयू आरती भी प्रसिद्ध है। 

 

अयोध्या के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Ayodhya Places to Visit)


1. श्री राम जन्मभूमि अयोध्या 


श्री राम जन्मभूमि अयोध्या का सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थल है जो अयोध्या रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर है, इसी स्थान पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। प्राचीन काल में राजा विक्रमादित्य ने यहाँ भगवान श्री राम का मंदिर बनवाया था लेकिन बाद मे इस मंदिर को मुग़ल शासक बाबर ने तोड़वाकर उसे मस्जिद का आकार दे दिया। 


    इसी विवादित ढाँचे को 1992 मे कार सेवको ने पुनः धवस्त कर दिया फिर  इस पर बहुत विवाद भी हुआ। अंत में सुप्रीम कोर्ट में हिन्दू पक्ष की जीत हुई और मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस प्रकार करीब 500 वर्षो के लंबे इंतजार के बाद आज यहां रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है, जो वर्ष 2024 तक बन कर तैयार हो जाएगा।


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वर्तमान समय में इस स्थान के दर्शन करने के लिए आपको एक संकरे और लोहे की जालियो से बंद रास्ते से गुजरना होगा। यह हाई सिक्योरिटी जोन है और यहाँ कई जगह सुरक्षा जांच होती है, यहां मोबाइल आदि ले जाने की इज़ाज़त नहीं है। इसलिए अपने सामान को लाकर में पहले ही जमा करवा दें, इसके लिए राम जन्म भूमि ट्रस्ट की तरफ से फ्री लाकर सुविधा भी उपलब्ध है। 


   इस स्थान में प्रवेश के समय महिला और पुरुष को अलग अलग कतारों में अंदर भेजा जाता है इसलिए यदि आप परिवार के साथ हैं तो दर्शन करने के पश्चात मिलने का कोई एक स्थान पहले ही सुनिश्चित कर लें, अन्यथा यहां भारी भीड़ के कारण खोज- बीन में परेशानी हो सकती है। क्योकि आपका मोबाइल भी लाकर में जमा होता है, इसलिए आप एक दूसरे से बात करके सम्पर्क करने भी असमर्थ होते हैं।


2. श्री राम मंदिर कार्यशाला -


वर्तमान समय में राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण को लेकर नींव भराई का कार्य पूर्ण किया जा चुका है और इसके ऊपर मंदिर निर्माण का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है। विधिवत रूप से मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन किया था लेकिन इसके पूर्व मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का कार्य अयोध्या के रामघाट क्षेत्र स्थित रामसेवक पुरम में 1989 से किया जा रहा है।

 

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     इस कार्यशाला में मशीनों से पत्थरों की कटिंग करने के बाद राजस्थान से आये विशेषज्ञ कारीगरों के द्वारा सुन्दर नक्काशी की जाती है। यहां बनाये गए स्तम्भ ही मंदिर निर्माण में उपयोग किये जा रहे हैं।

 

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  कार्यशाला में आपको बड़े बड़े नक्काशीदार पत्थरों के स्तम्भ दिखते है।  श्रीराम मंदिर में लगने वाला विशाल घंटा भी यहां देखने को मिलेगा, यह घंटा इतना विशाल है कि इसकी गूँज 1 से 2 किलोमीटर तक सुनाई पड़ेगी।


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     इसी क्षेत्र में रामलला की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से विशेष किस्म के पत्थरों को लाया गया है, इसकी टेस्टिंग के पश्चात मूर्ति निर्माण किया जाना है।

 

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3. हनुमान गढ़ी -


इस मंदिर मे आप हनुमान जी को अपने बाल स्वरूप मे माता अंजनी के गोद मे बैठे देख सकते हैं। ऐसी मान्यता है की जब प्रभु श्री राम लंका से वापस लौटे तब उन्होंने अपने प्रिय भक्त हनुमान जी को रहने के लिये यही स्थान दिया था। यह प्रथा है कि जो श्रद्धालु अयोध्या आते है वे सबसे पहले इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करतें है उसके बाद श्री राम मंदिर के लिये आगे प्रस्थान करते हैं। 


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    हनुमान गढ़ी, अयोध्या के सबसे प्रमुख मंदिरों मे से एक माना जाता है जो अयोध्या रेलवे स्टेशन से  1 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, यहाँ 76 सीढियाँ चढ़ने के बाद हनुमान जी के दर्शन होते हैं। इस मंदिर में भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं परन्तु अन्य दिनों की अपेक्षा मंगलवार को यहाँ पर अत्यधिक भीड़ होती है। 


    यदि आप मंगलवार को हनुमान गढ़ी के दर्शन चाहते है तो सुबह जल्दी ही पहुच जायें। यहां मंदिर की सीढ़ियों के पास ही माला- पुष्प व प्रसाद की दुकानें मिल जाएंगी जहां पर आप अपने जूते चप्पल रख सकते हैं। हनुमान जी के दर्शन करने के बाद इसके पीछे बने निकास मार्ग से बाहर निकल आइये।  


4. दशरथ महल -


दशरथ महल, अयोध्या शहर के मध्य में हनुमान गढ़ी से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। इस भवन को उसी जगह बनाया गया है, जहां राजा दशरथ का निवास हुआ करता था। माना जाता है कि  दशरथ महल ( Dashrath Mahal ) में चक्रवर्ती महाराज दशरथ अपने नाते-रिश्तेदारों के साथ रहते थे। यह स्थल अब एक पवित्र मंदिर के रूप में तब्दील हो चुका है,  इस भवन के मंदिर में श्री राम, लक्ष्मण और सीताजी की मूर्तियां लगी हुई है।


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    दशरथ महल का प्रवेश द्वार बेहद बड़ा और रंगीन है। इस परिसर में बहुत से श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते रहते हैं। रामनवमी, दीपावली, श्रावण मेला और कार्तिक मेला का यहां विशेष महत्व है और इन पर्वों को यहां विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है और इन त्योहारों को मनाने के लिए भक्त गण काफी दूर-दूर से आते हैं। 

 

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    दशरथ महल के पास बहुत सारी दुकानें हैं, जहां पर भगवान राम की सपरिवार फोटो मिलती है, इसके साथ ही भगवान के वस्त्र, आभूषण आदि मिलते हैं। दशरथ भवन सुबह 08:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और फिर 04:00 से 10:00 PM  तक खुला रहता है।


5. कनक भवन  -


दशरथ महल के समीप ही कनक भवन है, यह एक नक्काशीदार मंदिर है।  यहाँ राम -सीता की बहुत ही सुन्दर मूर्ति है और उनका मुकुट सोने का बना हुआ है। इसी कारण लोग इसे कनक भवन (सोने का घर) कहते है।  प्राचीन मान्यता है कि कनक भवन, रानी कैकेयी द्वारा सीताजी को मुंह दिखाई में दिया गया था।

  

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   कनक भवन, अयोध्या मे एक प्रमुख धार्मिक महत्व रखने वाला दर्शनीय स्थल है, इसकी वास्तुकला आकर्षक है ओर काफी संख्या में लोग यहां आते हैं .

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     बताया जाता है कि कनक भवन भगवान राम और माता सीता का निजी महल था जो की समय के साथ खंडहर होता गया, जिसका राजा विक्रमादित्य और उनके बाद टीकमगढ़ की महारानी ने पुनर्निर्माण करवाया था। यह मंदिर भी हनुमान गढ़ी से बेहद करीब है और यहां से आप पैदल भी जा सकते हैं


6. गुप्तार घाट


 भगवान राम की स्मृतियों को समेटे अयोध्या में वैसे तो कई दर्शनीय स्थल हैं, लेकिन गुप्तार घाट (Guptar Ghat) की अपनी अलग ही विशेषता है। यह वह घाट है, जहां भगवान श्रीराम ने जल समाधि ली थी। सरयू नदी के किनारे गुप्तार घाट पर कई छोटे-छोटे मन्दिर हैं और यहां का सुन्दर दृश्य, मन को मोह लेने वाला है।


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 19 वीं सदी में राजा दर्शन सिंह द्वारा गुप्तार घाट का नवनिर्माण करवाया गया था, मुक्ति पाने की इच्छा लेकर इस स्थान पर दर्शनार्थी आते हैं। इस घाट पर राम जानकी मंदिर, पुराने चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर और हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र हैं। 


   गुप्तार घाट के पास ही मिलिट्री मन्दिर, कम्पनी गार्डन, राजकीय उद्यान और अन्य प्राचीन मन्दिर भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहां पर नौका विहार करना और इर्द-गिर्द की हरियाली व शान्त वातावरण लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है।


7. सूरज कुण्ड -


अयोध्या में राजा दशरथ जी का समाधि स्थल है और यहीं से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है सूरज कुण्ड, जो एक प्राकृतिक जल का कुण्ड है। 


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  ऐसा कहा जाता है की भगवान श्री राम के वंशज यहां आकर स्नान ध्यान करते थे और सूर्य उपासना करते थे।  ऐसा माना जाता है की इस जल में स्नान करने वालो के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।  


8. भरत कुण्ड, नंदीग्राम -


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पावन नगरी अयोध्या से महज 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह पवित्र स्थल, जिसे भरतकुण्ड के नाम से जाना जाता है, यह नंदीग्राम में है। जब भगवान् राम वनवास को निकले थे तब उनके भ्राता भरतजी ने श्रीराम की खड़ायू को प्रतीक मानकर इसी स्थान पर रहते हुए अयोध्या का राजकाज संभाला था।

  

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    राजा दशरथ के प्राण त्यागने के पश्चात भरतजी  ने अपने पिता के पिंड दान हेतु यही पर एक कुण्ड बनवाया था।  साल भर लोग अपने परिवार के मृत सदस्यों के अस्थि विसर्जन व अनुष्ठान के लिए यहां पहुंचते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह स्थान बहुत शांत है, जब आप राम जन्मभूमि आयें तो यहाँ घूमने आ सकते हैं।


9.  बड़ी देवकाली माता का मंदिर -


अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बड़ी देवकाली माता का मंदिर है। यह मंदिर अत्यन्त भव्य और प्राचीन है। बड़ी देवकाली माता के विषय में कहा जाता है कि ये भगवान श्रीराम की कुल देवी हैं। 


   श्रीराम का जन्म महाप्रतापी सम्राट इक्ष्वाकु कुल में हुआ था, बताते हैं कि महाराज इक्ष्वाकु ने ही बड़ी देवकाली मंदिर की स्थापना कराई थी। तभी से बड़ी देवकाली मंदिर में श्रीरामजी के पूर्वज और फिर उनके बाद की पीढ़ियां पूजा अर्चना करते रहे।


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   इस मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार ऊंचा है और उसके दोनों ओर दो शेर बैठे हैं, मध्य में एक मनुष्याकृति बनी हुई है। अंदर लंबी दूरी तय करने पर एक दूसरा प्रवेश द्वार दिखाई पड़ता है। इस द्वार पर एक बड़ा भारी पीतल का घण्टा लटका हुआ है, इसे बजाने के बाद लोग मंदिर में प्रवेश करते हैं। मंदिर में अंदर एक बहुत बड़ा कुंड है, यह पूरा मंदिर संगमरमर का बना हुआ है। 


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   मंदिर के गर्भगृह में माताजी विराजमान हैं। कहा जाता है कि ऐसी भव्य प्रतिमा विश्व मे कहीं नहीं है, इस मूर्ति की खास विशेषता यह है कि एक ही शिलापट् पर तीन महाशक्तियों का संगम है। महालक्ष्मी, महाकाली एवं महासरस्वती तीनों की प्रतिमा एक साथ विराजित हैं। मंदिर का गर्भ गृह गोलाकार है और इसकी छत पर बने गुंबद पर माता का लाल ध्वज फहराता रहता है। यह पूरा मंदिर प्राचीन शैली में बना हुआ है।


    बड़ी देवकाली मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मां की आराधना सर्व सिद्धिदायक एवं मनो कामनाओं की पूर्ति करने वाली है। मां देवकाली की महिमा दूर-दूर तक है और यहां कश्मीर से कन्या कुमारी तक के श्रद्धालु आकर माता के चरणों में सिर नवाते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।


    बड़ी देवकाली मंदिर में सुबह 7:30 पर पहली आरती होती है, यहां मंदिर के कपाट दोपहर में बंद कर दिए जाते हैं। फिर कपाट खुलने पर शाम 8 बजे आरती के बाद रात में मंदिर का द्वार बंद कर दिया जाता है। नवरात्र पर यहां मेला लगता है और रामनवमी के अवसर पर भी यहां पर श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है।


10. छोटी देवकाली मंदिर -


पवित्र नगरी अयोध्या में छोटी देवकाली मंदिर में सर्वमंगला पार्वती माता, गौरी के रूप में विराजती हैं।  यहां इन्हें माता सीता की कुल देवी के रूप में विशेष आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है की जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इस दरबार में प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। 


 बताया जाता है कि सीताजी जब जनकपुरी से अपने ससुराल अयोध्या के लिए चलीं थी तो अपनी  कुल देवी माता पार्वती की प्रतिमा साथ ले आयीं और महाराज दशरथजी ने अयोध्या स्थित सप्तसागर के ईशानकोण पर श्री पार्वती जी का मंदिर बनवा दिया, जहां माता सीता तथा राजकुल की अन्य रानियाँ पूजन हेतु जाया करती थीं।

 

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    यह अति प्रसिद्ध मंदिर, अयोध्या में नयाघाट के समीप है और इस मन्दिर के समीप ही वाल्मीकि रामायण भवन, शीश भवन, राम की पैडी आदि है। नया घाट के समीप ही त्रेता के ठाकुर मन्दिर भी देखने लायक है, मान्यता है की यहां पर श्रीराम ने अश्वमेद्य यज्ञ किया था। 


   छोटा देवकाली मंदिर में प्रत्येक शाम को एक मनमोहक आरती की जाती है और समय समय पर यहां भव्य आयोजन होते रहते है। विशेषकर शारदीय नवरात्रि के अवसर पर छोटी देवकाली मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पडता है। 


    इतिहास में वर्णन है कि हूण और मुगल शासक द्वारा इस स्थान को ध्वस्त किया गया था फिर बाद में इसका पुनर्निमाण करवाया गया। स्कन्दपुराण में श्री देवकाली जी और उनके मंदिर का उल्लेख मिलता है, जिससे इस ऐतिहासिक मंदिर की पौराणिकता प्रमाणित होती है। वही चीनी यात्री ह्वेनसांग व फाहियान ने भी अपने यात्रा संस्मरण में इस मंदिर की प्रतिष्ठा, वैभव और विशेषता का उल्लेख किया है। 


11. तुलसी स्मारक भवन (Tulsi Smarak Bhawan Museum) -


तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय का निर्माण 1969 में महाकवि तुलसीदासजी की स्मृति में किया गया था। यहाँ पर एक रिसर्च इंटीट्यूट चलता है, जिसे अयोध्‍या शोध संस्‍थान कहा जाता है। इस स्थान  पर एक बड़ी लाइब्रेरी भी है जिसमें कई इतिहासकारों और विद्वानों द्वारा लिखी गई किताबें रखी गई है।


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  तुलसी स्मारक भवन, हनुमान गढ़ी के समीप है।  यह स्थान रामलीला के प्रेमियों को भी आकर्षित करता है, क्योंकि इस स्थल पर प्रतिदिन सायंकाल राम लीला का आयोजन होता है।


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12. अयोध्या में सरयू के घाट दर्शन -


अयोध्या में पवित्र सरयू नदी पर घाटों की एक श्रंखला है और यहां 14 घाट हैं। इन मनोरम घाटों में  राम घाट , लक्षमण घाट , नया घाट, गुप्तार घाट शामिल हैं। आप इनमे से कहीं भी स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते है और सरयू नदी में नौका विहार का आनंद भी उठा सकते हैं।


    यहाँ  नाव  वाले अपनी नौका को सजाकर रखते है, जिसमें आप चाहें तो 100 -200  रूपये में नाव की सैर का आनंद ले सकते हैं, नाविक आपको सारे घाटों के बारे में जानकारी दे देगा। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि गर्मियों के मौसम में दोपहर के समय नाव की सैर से बचें।


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    यहां लक्ष्मण घाट में बने एक मन्दिर में लक्ष्मण जी की 5 फुट ऊँची मूर्ति लगी हुई है, यहां भक्त गण अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।  यहां के स्वर्ग घाट में भगवान् शिव का बाबा नागेश्वर मंदिर है इस घाट पर पिण्ड दान भी किया जाता है। 


    अयोध्या मे नया घाट के पास स्थित त्रेता के ठाकुर नामक एक बहुत ही प्राचीनं मंदिर है इस मंदिर के अन्दर प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, भरत और शत्रुघ्नजी की प्राचीन मुर्तिया रखी गई है जो काले बलुआ पत्थरों से निर्मित है।  


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     राम की पैड़ी, अयोध्या की एक जानी मानी जगह है, यात्री यहां जाना पसंद करते हैं। 


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अयोध्या में भ्रमण करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी -मार्च तक होता है।  साल के अन्य महीनों में यहां का मौसम काफी गर्म और शुष्क रहता है वैसे अयोध्या एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और यहां पूरे वर्ष श्रद्धालु आते हैं और दर्शन लाभ करते हैं। 


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   यहां के पर्वों की बात करें तो राम की नगरी अयोध्या में सबसे महत्वपूर्ण पर्व रामनवमी है, यहाँ नवम्बर दिसम्बर में सरयू नदी के किनारे रामायण मेला लगता है जो अयोध्या का एक प्रसिद्ध मेला है। इसके अलावा जुलाई अगस्त में श्रावण झूला मेला भी बड़ा प्रसिद्ध है।


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    अयोध्या की दीपावली भी खास होती है और घाटों को दीपों से सजाया जाता है। अयोध्या के मेलों व त्योहारों को देखने के लिए उपरोक्त समय पर जाया जा सकता है।   


अयोध्या का प्रसिद्ध खानपान -


अयोध्या का लाल पेड़ा प्रसिद्ध है। जब आप राम जन्मभूमि जाएँ तो मौर्या मिष्ठान भंडार की दही जलेबी का आनंद ले सकते हैं, यहाँ आपको कुल्हड़ में दही जलेबी खाने का मौका मिलेगा।


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   आपको बता दे की अयोध्या के मौर्या मिष्ठान भंडार की दही जलेबी को नेशनल स्ट्रीट फ़ूड 2018 में शामिल किया गया था। आप चाहे तो इसी दुकान की रबड़ी - इमरती का स्वाद भी ले सकते हैं।


हवाई मार्ग से अयोध्या कैसे पहुँचे -


अगर आप हवाई मार्ग से अयोध्या जाना चाहते हैं तो आपको पहले लखनऊ पहुंचना होगा। यह उत्तर प्रदेश का सबसे प्रमुख हवाई अड्डा है जो देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है, यहाँ से आप टैक्सी बुक कर के अयोध्या पहुँच सकते है। अयोध्या से लखनऊ की दुरी लगभग 130 किलोमीटर है।


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 वैसे पिछले दिनों उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि जल्द ही अयोध्या मे एक भव्य हवाई अड्डा बनने जा रहा है और यह हवाई अड्डा प्रभु राम के नाम पर होगा। 


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