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Tuesday 17 September 2019

Sugar vs jaggery.शक्कर या गुड़ - कौन बेहतर

Sugar vs jaggery. शक्कर या गुड़ - कौन बेहतर 

हमारे  देश में मधुमेह (डायबिटीज) रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए डॉक्टर्स से लेकर न्यूट्रिशनिस्ट तक आगाह कर रहें हैं कि हमें शुगर युक्त पदार्थों का सेवन अपनी डाइट में जितना सम्भव हो सके उतना कम से कम करना चाहिये। वास्तव में हमारे घरों में  मिठास के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित सफ़ेद शक्कर बेहद नुकसानदायक है। 

   मीठे के लिए गुड़ का सेवन प्राचीन समय से किया जाता रहा है और देश के अनेक क्षेत्रों में आज भी शक्कर की जगह गुड़ का प्रयोग करते हैं। शक्कर और गुड़ दोनों को गन्ने के रस से बनाया जाता है। परन्तु जुड़वा होने के बावजूद दोनों के रंगरूप, प्रकृति और गुणधर्म में काफी अंतर पाया जाता है। 
jaggery
    गन्ने के रस से शक़्कर बनाने के लिए बहुत ज्यादा प्रोसेसिंग, रिफाइनिंग और ब्लीचिंग की जरूरत पड़ती है। शक्कर जितनी ज्यादा सफ़ेद और चमकदार होगी वह उतनी ही अधिक प्रोसेस्ड, रिफाइंड और ब्लीच की हुई होगी। इस प्रक्रिया में गन्ने के रस से सारे पोषक तत्व निकल जाते हैं, इस कारण यह शरीर के लिए नुकसानदायक होती है। 

     जबकि गुड़ को गन्ने के रस को उबाल कर बनाया जाता है। रिफाइंड नहीं होने के कारण गुड़ में सभी लाभदायक मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं।  गुड़ का उपयोग आयुर्वेद में बहुत पुराने समय से दवा के रूप में किया जा रहा है। आयुर्वेद में गुड़ के जितने गुण बताए गए हैं उनके अनुसार ये मीठी चीजों का सबसे सुरक्षित और बेहतर विकल्प है। 

  इसमें कई ऐसे एंटीऑक्सिडेंट्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कई गंभीर रोगों से बचाते हैं। इसकी प्रॉसेसिंग चीनी से कम होती है इसलिए इसका रंग भी भूरा होता है और इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे पोटैशियम, कैल्शियम और आयरन सुरक्षित रहते हैं। 

गुड़ और शक्कर के बीच का अंतर

1. रंग और बनावट -

शक्कर का रंग आमतौर पर चमकदार सफेद होता है। जबकि गुड़ सुनहरे  भूरे, गहरे भूरे और डार्क चॉकलेट के रंग का होता है। गुड़ का कलर इस बात पर निर्भर करता है कि गन्ने के रस को कितना पकाया गया है।

  शक्कर ठोस, कठोर और दानेदार होती है। जबकि गुड़ अर्द्ध ठोस और नरम  होता है। इसे बनाने के दौरान इच्छानुसार सांचे में डालकर आकार दिया जाता है। 
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2. प्रोसेसिंग -

गुड़ और शक्कर के निर्माण का पहला चरण एक ही है। यह पहला कदम गन्ने के रस का उबाल है। शक़्कर बनाने के लिए  सल्फर डाई ऑक्साइड, कैल्शियम हाइड्रो क्लोराइड और फॉस्फोरिक एसिड से प्रोसेस किया जाता है।  

   गुड़ बनाने के लिए क्रिस्टलीकरण नहीं करना पड़ता, न ही किसी तरह के केमिकल का प्रयोग किया जाता है। गन्ने के रस को गाढ़ा पेस्ट बनने तक लगातार उबाला जाता है। फिर इसे सांचों में डालकर वांछित आकार दिया जाता है।

3. उत्पादन और औद्योगिक उपयोग -

अधिकतर शक्कर का निर्माण बड़ी कंपनियों द्वारा अत्यधिक यंत्रीकृत शुगर मिलों में किया जाता है। ये शुगर मिलें, गन्ना उत्पादक किसानों से गन्ना खरीदती हैं। इस तरह गन्ना किसानों की आर्थिक स्थिति पर इन मिलों को गहरा प्रभाव होता है। यह एक संगठित और ब्रांडेड उद्योग है, जबकि गुड़ द्योग अभी भी संगठित नहीं है। 

   गुड़ को इसके निर्माण के स्थान से जाना जाता है, ब्रांड द्वारा नहीं। ज्यादातर गुड़ दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से आता है और एजेंटों के माध्यम से बाजार तक पहुंचता है। सदियों से गुड़ का उत्पादन परम्परागत तरीके से किया जा रहा है। 


    फैक्ट्री निर्मित मीठे पदार्थों में शक्कर का ही उपयोग होता है।  कन्फेक्शनरी उद्योग पूरी तरह से शक्कर पर निर्भर है। इसका उपयोग बेकरी आइटम जैसे ब्रेड, केक, बिस्कुट, कुकीज, और अन्य उत्पादों में किया जाता है। 

   शक्कर को शर्बत, सिरप, जैम, जेली, मुरब्बा, स्क्वैश, सॉफ्ट ड्रिंक,  मीठा दूध, चॉकलेट, आइसक्रीम जैसी लगभग हर मीठी चीज में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग कुछ दवाओं में भी किया जाता है। 

4. स्वास्थ्य पर प्रभाव -

A. सामान्य तौर पर गुड़ का प्रयोग शक़्कर की तुलना में हमेशा ही ज्यादा सुरक्षित और लाभकारी है। परन्तु डायबिटीज के मरीज के लिए शक़्कर और गुड़, दोनों ही असुरक्षित हैं।  कैलोरीज के दृष्टिकोण से देखें तो गुड़ और शक़्कर में कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। 

    लेकिन शक़्कर  में सिर्फ कैलोरीज होती है, जबकि गुड़ में कैलोरीज के अलावा खनिज लवण, लोहा और कुछ फाइबर होते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। शक़्कर को क्रिस्टलाइजेशन विधि से बनाने के दौरान गन्ने के रस में मौजूद ज्यादातर पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं जबकि गुड़ में वे सभी तत्व मौजूद रहते हैं।
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B. सुक्रोज के सबसे सरल उपलब्ध रूपों में से एक होने के कारण  शक़्कर तुरन्त ही रक्त में अवशोषित हो जाती है और ऊर्जा का एक विस्फोट करती है। यह किडनी, आंखों और मस्तिष्क के लिए हानिकारक साबित हो सकता है, खासकर मधुमेह के रोगियों के लिए। जबकि गुड़  को पचाने में समय लगता है और यह लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। 

  शक्कर एसिडिक प्रकृति की होती है जबकि गुड़ पेट की अम्लता को शांत करके पेट की समस्या से राहत दिलाता है। इसलिए भोजन के बाद एक टुकड़ा गुड़ खाने को कहा जाता है। 

C. शक़्कर और पानी का घोल ठंडी प्रकृति का माना जाता है। इसलिए सर्दी होने पर शक़्कर का सेवन करने की सिफारिश नहीं की जाती है। जबकि गुड़ में फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है इसलिए इसका प्रयोग सर्दी या कफ़ दूर करने के लिए औषधि के रूप में किया जाता है। सर्दी में इसे अदरक के रस और कालीमिर्च के साथ ले सकते हैं। 

    गुड़ के सेवन से कफ़ दूर होकर फेफड़ों की समस्या से निजात मिलती है। इसलिए धूल युक्त वातावरण में काम करने वाले लोगों को गुड़ सेवन करने की सलाह दी जाती है। गुड़ एक सफाई एजेंट के रूप में बहुत अच्छा है। यह अन्नप्रणाली और श्वसन पथ को साफ करता है।

D.  गुड़ में आयरन भी होता है, जो सेहत के लिए अच्छा होता है।  खासतौर पर उन लोगों के लिए जो एनीमिक हैं या जिनके रक्त में आयरन की कमी है उन्हें गुड़ खाने की सलाह दी जाती है।  यह रक्त की वृद्धि करता है, इसके सेवन से त्वचा में ग्लो आता है। गुड़ में कैल्शियम होने से यह हड्डियों को मजबूत बनाता है। 

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conclusion -


इस तरह पोषक तत्वों से रहित होने के कारण शक्कर हमारे लिए हानिकारक होती है, इससे सिर्फ मिठास की पूर्ती हो पाती है। इसके विपरीत गुड़ में मिठास के साथ पोषक तत्व और शरीर के लिए आवश्यक खनिज लवण भी पाए जाते हैं। इसलिए गुड़ हमारे लिए अधिक लाभदायक है। 

   साधारण शक़्कर की जगह आजकल ब्राउन शक़्कर का प्रयोग भी होने लगा है जो कि शक़्कर की तुलना में फायदेमंद है। परन्तु इसे लेने से पहले यह सुनिश्चित करलें कि यह ओरिजिनल है या नहीं। क्योकि कुछ जगहों पर साधारण शक़्कर को कलर करके ब्राउन शुगर के रूप में बेचे जाने की घटनाएं भी प्रकाश में आई हैं। 

    इसी प्रकार गुड़ लेते समय भी ध्यान रखें कि वह सफेद न हो। गुड़ जितना अधिक साफ़ रंग का होगा उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने की संभावना उतनी अधिक बढ़ जाएगी। क्योंकि हो सकता है गुड़ का रंग सफेद करने के चक्कर में उसमें खतरनाक केमिकल (ब्लीचिंग एजेंट) का इस्तेमाल किया गया हो। इसलिए दुकानदार से पीले या डार्क ब्राउन (चॉकलेट) कलर का गुड़ मांगे न कि ब्लीच किया हुआ सफेद या हल्का भूरा गुड़ खरीदें। 

  सावधानी के तौर पर मधुमेह वाले अधिक गुड़ खाने से बचें एवं सामान्य लोग भी गुड़ का प्रयोग गर्मी के दिनों में अधिक मात्रा में न करें।

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