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Monday 9 November 2020

Japanese Way of Life-जापानियों के दीर्घायु व स्वस्थ होने का राज़

 Japanese Way of Life-जापानियों के दीर्घायु व स्वस्थ होने का राज़ 

जापान (Japan) के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति, फुकुओका (Fukuoka) के 117 वर्षीय केन तनाका (Kane Tanaka) को पिछले साल गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में पुष्टि की गई थी। 


  जापान में 100 वर्ष से अधिक उम्र वालों की संख्या में पिछले 50 वर्षों से लगातार वार्षिक वृद्धि देखी जा रही है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ, लेबर एंड वेलफेयर के मुताबिक अब जापान में शतायु लोगों की संख्या 80,000 से अधिक हो गई है। 

 

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   जापान में औसत लाइफ एक्सपेक्टेंसी पुरुषों के लिए 81.41 वर्ष और महिलाओं के लिए 87.45 वर्ष  है। यह दुनिया भर के औसत से बहुत अधिक जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जापानी न केवल दुनिया के अन्य लोगों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहते हैं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने वालों में से एक होते हैं। 


  लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि यहां के लोग पूरी दुनिया की तुलना में सबसे ज्यादा कैसे जी पाते हैं, क्या हैं वो कारण जो इन्हें दीर्घायु बना रहे हैं?


  इस सवाल के जवाब के लिए हमें उनके जीवन जीने के तरीके को देखना होगा। जापान एक आधुनिक और तकनीकी रूप से सम्पन्न देश है। साथ ही उसने अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजकर रखा है और अपनी परम्पराओं पर पश्चिमी छाप नहीं पड़ने दी है। 


 जापानियों ने अपनी आहार की आदतों, दैनिक जीवन के लिए बनाए गए रहन सहन के नियम, स्वास्थ्य के लिए पैदल चलना व हल्के व्यायाम, नींद, आध्यात्मिक सोच और जीवंत सामुदायिक जीवन को लम्बे और खुशहाल जीवन के लिए महत्वपूर्ण साधन माना है। 


   किसी के लिए भी जापानियों के लम्बे और स्वस्थ जीवन जीने के इन उपायों को समझकर अपनी जीवन शैली की त्रुटियों को दूर करना आसान हो सकता है।  


जापानियों के लम्बे और स्वस्थ जीवन का रहस्य (Japanese Secret to Long and Happy Life )


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1. जापानी खानपान (Japanese Food Habits)-


A. सी- फ़ूड की बहुलता -


जापानी दूसरों के मुकाबले 25% कम कैलोरी खाते हैं। एक शोध में पाया गया था कि कम कैलोरी खाने से लीवर स्वस्थ रहता है। जापानियों के भोजन में वेज और नॉनवेज सी- फ़ूड की बहुलता होती है । 


  U.N. की रिपोर्ट है कि जापान प्रति वर्ष लगभग 1लाख टन समुद्री शैवाल का उपभोग करता है।  जापानी अपने भोजन में समुद्री पौधों के अलावा 20 से अधिक प्रजातियों के शैवाल का उपयोग करते हैं।

 

    समुद्री शैवाल में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में होता है वहीं इसकी कुछ किस्में केले की तुलना में अधिक पोटेशियम प्रदान करती हैं। यह प्राकृतिक आयोडीन युक्त होने के कारण थायरॉयड को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी है। 


  जापानी लोग ब्रेड खाने के बजाय चांवल अधिक खाते हैं, यहां ग्रीन राइस भी खाया जाता है। स्वाद बरकरार रखने के लिए इनके खाने में थोड़ी थोड़ी मात्रा में बहुत से व्यंजन शामिल होते हैं


B. मौसमी फल सब्जियों को प्रधानता -

    

जापानी लोग पारम्परिक व्यंजन लेना पसंद करते हैं, जिसे "वाशोकू" कहा जाता है, यह मौसमी और स्थानीय उपज पर आधारित है। ये विभिन्न प्रकार की सब्जियां और फल के अलावा फर्मेंट किया हुआ सोया अपने खाने में लेते हैं, जिससे उन्हें विटामिन और मिनिरल्स की पूर्ती होती है। 


  जापानी लोग भोजन को तलने की बजाय भाप (स्टीम) में पकाना या भूनना (ग्रिल) अधिक पसंद करते हैं, जिससे भोजन के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। इसके अलावा भोजन को धीरे-धीरे पकाया जाना जापानी कुकिंग का हिस्सा है।


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C. सूप का प्रयोग -


जापान में भोजन के साथ मिसो सूप परोसा जाता है, इसे जापान की स्वस्थ आहार आदतों में प्रमुख योगदानकर्ता माना जाता है। मिसो सूप पीने से भोजन का पाचन ठीक से होता है और शरीर को शुद्ध करने में मदद मिलती है। मिसो सूप में वसा और कार्बोहाइड्रेट कम होता है और प्रोटीन की अधिकता होती है।


D. ओवर ईटिंग नहीं करते -


जापानी ओवर ईटिंग और प्लेट में खाना छोड़ने से बचते हैं इसके लिए ये लोग छोटी प्लेट्स और बाउल में खाना लेते हैं। 


   जापान के ओकिनावा में एक कहावत है - "हारा हची बू" यानी जब आपका पेट 80% भर जाए तभी तक खाएं। इसके पीछे तर्क यह है कि मस्तिष्क को सचेत होने में समय लगता है कि पेट भरा हुआ है, इसलिए भूख से थोड़ा कम खाएं।



E. ग्रीन टी का उपयोग -


चाय पीना रोजमर्रा की जापानी जीवन शैली का एक अभिन्न अंग है, इसे एक प्रकार का अनुष्ठान समझा जा सकता है। चाय की पसंद उन्हें शीर्ष दस चाय पीने वाले देशों में शामिल करती है। 


  जापानियों का चाय पीने का तरीका भी अलग है।जापानी लोग मीठी दूध वाली चाय के बजाए ग्रीन टी (Green Tea) पीना बेहतर समझते हैं। यहां ग्रीन टी की दर्जनों वैरायटी होती है। 


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    रिसर्च बताते हैं कि ग्रीन टी से कैंसर का खतरा कम होता है, जो लोग दिन में पांच कप ग्रीन टी पीते हैं उनकी मृत्यु दर में कमी देखी गई है। ग्रीन टी पीने का बड़ा लाभ यह है कि इसमें सामान्य चाय या कॉफी की तुलना में एंटीऑक्सिडेंट्स ज्यादा होते हैं। 


2. रहन सहन (Japanese Life style) -


A. पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक उपयोग  -


जापानी लोग कार का इस्तेमाल कम करते हैं, आने जाने के लिए साइकिल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करते हैं। ये लोग समय के बहुत पाबंद होते हैं।  ट्रेनें यहां समय की पाबंदी पर चलती हैं और इनके लेट होने के चान्सेस बहुत कम होते हैं। वर्ष भर में किसी ट्रेन के लेट होने का औसत समय घंटों या मिनटों में नहीं बल्कि कुछ सेकण्ड्स होता है।


  जापानियों को पैदल चलना ज्यादा पसंद होता है, जो इन्हें स्वस्थ रहने में मदद करता है।इसके अलावा वहां दिन की शुरुआत, परम्परा के अनुसार हल्के व्यायाम से होती है। 


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B. प्रकृति से प्रेम -


जापानी लोग प्रकृति प्रेमी होते हैं। हरियाली में बिताया गया समय बहुत से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। खुले में रहने से शरीर को विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा मिलने से अनेक शारीरिक विकार दूर रहते हैं। इसके अलावा अनुसंधान से पता चलता है कि प्रकृति के करीब बिताया गया समय हमारे रचनात्मक कार्यों में सुधार करता है। 


   जापानी सरकार ने नीति के रूप में प्रकृति-प्रेम को पुख्ता किया है, वहां माउंटेन डे मनाया जाता है और इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है।  जापानी लोगों को पहाड़ पर चढ़ना पसंद होता है,  एक 80 वर्षीय जापानी ने एवरेस्ट पर चढ़ने का रिकॉर्ड बनाया है। 


   जापान में वन-थेरेपी (Forest Therapy)  होती है। जिसमें लोग जंगल में ट्रैकिंग करते हैं, खुले वातावरण में अपना समय बिताते हैं और वृक्षों को गले लगाते हैं, ऐसा करना व्यक्ति के मानसिक विकारों को शांत करता है। 


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C. गर्म स्नान (हॉट बाथ) का प्रयोग -


 जापान में दो टाइम नहाना आम बात है, लगभग 85 प्रतिशत जापानी दिन की समाप्ति पर भी स्नान करना पसंद करते हैं। यहां सार्वजनिक स्नान गृह और गर्म पानी के झरनों में जाकर रिलैक्स करना बेहद आम तरीका है।  


  जापानी चिकित्सा के प्राचीन ग्रंथ, बीमारियों को दूर करने के तरीके के रूप में गर्म पानी के झरनों पर स्नान का समर्थन करते हैं। जापानी वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि खनिज युक्त पानी में स्नान गठिया, त्वचा विकार और नसों के दर्द का इलाज कर सकता है।


D. स्वच्छता -


जापानी लोग स्वच्छता को लेकर बहुत जागरूक हैं। उनकी संस्कृति में शिंटोइज्म की परंपरा है, जिसका उद्देश्य पवित्र करना होता है। इनके लिए घर के अलावा बाहर भी साफ-सफाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। 


   जापानी लोग घर के बाहर की सार्वजनिक जगहों व ट्रेनों- बसों को साफ़ रखना अपना फ़र्ज़ समझते हैं। कूड़ादान में ही कूड़ा डालने की आदत और स्वच्छता के प्रति जागरूकता होने से जापान विश्व के सबसे अधिक साफ़ सुथरे देशों में शामिल है।


   स्वच्छता पूर्ण जीवन शैली अपनाकर स्वस्थ और लम्बा जीवन पाना आसान होता है। ये लोग अपने घरों में कम से कम सामान रखते हैं, वो भी फोल्डेबल आइटम होते हैं। इनका मानना है कि घर को फर्नीचर और कुर्सियों आदि से भरने की बजाय उसे खाली रखना ठीक होता है, जिससे वहां प्राणवायु अधिक से अधिक समा सके। जापानी घर में कुर्सियों की जगह फर्श पर गद्दे बिछाकर बैठना पसंद करते हैं।    

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3. कठिनाइयों से हार न मानना -


जापानी जुझारू प्रकृति के होते हैं, कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करना और इन पर विजय पाना इन्हें बखूबी आता है। जापान विश्व का एकमात्र देश है जिस पर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 2 बार परमाणु बम गिराए गए। जापान में सक्रिय ज्वालामुखी बड़ी संख्या में हैं और छोटे बड़े भूकंप आते ही रहते हैं। यहां सुनामी का खतरा हमेशा बना रहता है। 


   इसके बावजूद जापान फिर से खड़ा होने में कामयाब रहा और आज विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसका श्रेय जापानियों की अदम्य इच्छाशक्ति और जुझारूपन की भावना को जाता है। जब आदमी सक्रिय रहकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए जुटा रहता है तो उसके पास बीमार होने का अवसर नहीं रह जाता और लम्बे समय तक जीने का अवसर प्राप्त करता है। 


    ओकिनावा में सेवानिवृति के लिए कोई शब्द नहीं है। बूढ़े होने के बाद भी ये लोग घर पर पड़े रहने की बजाय अपने मनपसंद रचनात्मक और दैनिक कार्य करने में लगे रहते हैं। यहां 100-102 वर्षीय लोग अपने खेतों में काम करते या बच्चों को मार्शल आर्ट सिखाते देखे जा सकते हैं।  


4. जापानी विचारधारा इकिगई (IKIGAI) -


जापान में एक लंबे और सुखी जीवन जीने के रहस्य को एक शब्द में अभिव्यक्त किया जा सकता है, वह है - इकिगई। जापानी में, IKI का अर्थ है "जीने के लिए" और GAI का अर्थ है "कारण" - दूसरे शब्दों में, आपके जीने का कारण। यह विचारधारा हीयन काल (A.D. 794 से 1185) की है, लेकिन पिछले एक दशक में ही इसने दुनिया भर के लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।


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   इकीगई की अवधारणा व्यक्ति को जीने का उद्देश्य निर्धारण करने में मदद करती है। अपनी खुद की IKIGAI की खोज आत्म संतुष्टि, जीवन में खुशी लाने और लंबे समय तक जीने के लिए जरूरी मानी जाती है। इसमें चार प्राथमिक सवाल हैं जो आपको खुद से करने हैं -


1. आपका जुनून क्या है अथवा आप क्या करना पसंद करते हैं? 


2. क्या आप उस काम में अच्छे हैं अथवा उसमें सुधार करना चाहते हैं?


3. दुनिया को क्या चाहिए?


4. क्या मुझे अभी के अपने काम के लिए भुगतान किया जा सकता है?


   IKIGAI का अर्थ है -"जिस कारण से आप सुबह उठते हैं".  जब आप अपनी पसंद का काम करते हैं, तब आपको जल्दी ऊब महसूस नहीं होती और उस काम को बेहतर तरीके से कर पाते हैं। यदि अपनी पसंद का वही काम आपका पेशा भी हुआ तो यह आपके अलावा समाज के लिए भी कल्याणकारी होगा।  


    वर्तमान पल को पूरी तरह जीना और उन चीज़ों के लिए अस्तित्व को धन्यवाद देना, जो हमें ख़ुशी प्रदान करती है, स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र है। मानसिक शांति के लिए न सिर्फ अपने दोस्तों का साथ खोजिये बल्कि अपने आसपास के लोगों के प्रति स्वीकार भाव रखिये और मुस्कुराइये।


  ऐसा नहीं है कि जापानी जो कर रहे हैं वो कुछ अनोखा है। हम सभी जानते है कि अच्छी जीवन शैली अपनाकर लंबी उम्र पाई जाती है, बस जरूरत इस बात की है कि हम दृढ़ निश्चय के साथ स्वास्थ्य के नियमों का पालन करें।  अगर जीवनशैली की त्रुटियों को बदल देंगे तो निश्चित तौर पर दीर्घायु हो सकते हैं। 

 

    आशा है ये आर्टिकल  "Japanese Way of Life-जापानियों के दीर्घायु व स्वस्थ होने का राज़" आपको उपयोगी लगा होगा। इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल और सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 


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