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Monday 28 September 2020

Underworld Attack on Bollywood-अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड का काला सच

Underworld Attack on Bollywood-अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड का काला सच 

अंडरवर्ल्ड के द्वारा बॉलीवुड में ड्रग्स सप्लाई, एक्सटॉरशन और मर्डर की खबरें समय समय पर आती रहती हैं। बॉलीवुड की फिल्मों से होने वाला करोड़ों का बिज़नेस हमेशा ही माफिया को आकर्षित करता रहा है और अपनी शक्ति प्रदर्शन के इच्छुक कुछ बॉलीवुड स्टार्स भी अंडरवर्ल्ड से दोस्ती रखते रहे हैं। दुबई में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद की दी हुई पार्टी में बहुत से फ़िल्मी सितारों के देखे जाने की खबरें रही हैं। 


    बॉलीवुड की पुरानी समस्या यह है कि फिल्मों में शामिल जोखिमों को देखते हुए वित्तीय संस्थाओं द्वारा पैसे देने से इनकार करने के कारण, निर्माताओं को अपनी फिल्मों को बनाने के लिए धन जुटाने में हमेशा कठिनाई हुई है। पहले पैसे जुटाने के लिए निर्माताओं को औद्योगिक घरानों (Corporate) की मदद भी नहीं मिलती थी और उन्हें गैंगस्टरों की शरण में जाना पड़ता था।  

underworld attack in Bollywood

   इससे माफिया को बॉम्बे में मादक पदार्थों, वेश्यावृत्ति और जुएं के कारोबार, प्रॉपर्टी के सौदों से धन उगाही के साथ फिल्मों से पैसा कमाने का नया साधन मिल गया था। माफिया फिल्मों को वित्तपोषित करने लगे 1990 तक, यह संबंध लगभग सहजीवी था और बॉलीवुड की 20 से 40 फीसदी फिल्में अंडरवर्ल्ड के पैसे से बनाई जा रही थीं।  अब माफिया की नज़र सफल निर्माता निर्देशकों के साथ सुपर स्टार्स पर भी रहने लगी और अवैध वसूली के लिए धमकी भरे कॉल किये जाने लगे।


   कुछ फ़िल्मी कलाकारों और अंडरवर्ल्ड डॉन के बीच के रिश्ते लोगों की चर्चा का विषय रहे, इनके एक साथ देखे जाने वाले बहुत से फोटोग्राफ लोगों के सामने आने लगे। संजय दत्त की छोटा शकील से टेलीफोन पर हुई बातचीत सामने आई। इसी दौरान संजय दत्त को टाडा के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया और अवैध हथियार रखने के जुर्म में उसे जेल भी जाना पड़ा था।


 अंडरवर्ल्ड की दहशत के कारण बॉलीवुड के लोग हफ्ता देने लगे और जिन्होंने पैसे देने से इंकार किया उन पर क्रूर हमले किये गए।  बॉलीवुड बिरादरी पर क्रूर हमलों की श्रृंखला ने सभी के दिमाग को हिलाकर रख दिया, इनमें से अधिकतर हमले हत्या करने के उद्देश्य से ही किये गए थे। नीचे उन बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के नाम हैं जो ऐसे अटैक का शिकार हुए। 


अंडरवर्ल्ड द्वारा बॉलीवुड पर हमले (Underworld Attack on Bollywood) 


गुलशन कुमार (Gulshan Kumar)


12 अगस्त, 1997 को टी-सीरीज़ म्यूजिक कंपनी के मालिक गुलशन कुमार की हत्या अंडरवर्ल्ड डॉन के गुर्गों ने गोली मारकर कर दी। अंडरवर्ल्ड के द्वारा बॉलीवुड में दहशत फैलाकर अपनी अवैध वसूली जारी रखने के लिए यह एक बड़ा काण्ड था। इस घटना से बॉलीवुड दहल गया, इसमें गुलशन कुमार को बड़े ही निर्मम तरीके से मारा गया, उनके शरीर में गोलियों के 16 घाव मिले थे। 


nadeem-gulshan kumar and abu salem

 गुलशन कुमार ने अपने जीवन की शुरुवात फलों का रस बेचते हुए की थी। दिल्ली के दरियागंज इलाके में गुलशन कुमार के पिता की जूस की दुकान थी, जहां वो अपने पिता के धंधे में हाथ बंटाते थे। बाद में इन्होंने ऑडियो प्लेयर व कैसेट बेचने का काम भी शुरू कर दिया।  


   उस समय महंगे होने के कारण हर कोई कैसेट नहीं खरीद पाता था। गुलशन कुमार ने अपना दिमाग लगाया और वे पुराने गानों को नए गायकों की आवाज़ में डब करवाकर बेचने लगे। ये कैसेटस सस्ते थे और लोगों ने इन्हें हाथों हाथ लिया। इनके भक्ति गीतों के कैसेट भी काफी लोकप्रिय थे, इस प्रकार थोड़े ही दिनों में गुलशन कुमार की कंपनी टी सीरीज ने संगीत की दुनियां में अपना स्थान बना लिया था। 


 गुलशन कुमार नए गायकों और संगीतकारों को मौका दिया करते थे। उदित नारायण, कुमार शानू, अनुराधा पौडवाल, शब्बीर कुमार जैसे बहुत से गायकों को उन्होंने आगे बढ़ने में मदद की थी। इनके संगीत एल्बम हिट होने का एक कारण सस्ता कैसेट होने से लोगों तक टी सीरीज की आसान पहुंच भी थी। 


   उस दौर में संगीत मार्केट का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा टी सीरीज के पास था और यह कंपनी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख चुकी थी। तभी फिल्म "आशिकी" के गाने हिट हुए, इस फिल्म के निर्माता गुलशन कुमार थे।


  इस फिल्म से एक नई संगीतकार जोड़ी नदीम- श्रवण का उदय हुआ, इन्हें इस फिल्म के बेहतरीन संगीत के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला था। बाद में इसी संगीतकार जोड़ी के नदीम का नाम गुलशन कुमार की हत्या से जुड़ा था। इसका कारण नदीम की गुलशन कुमार से व्यवसायिक रंजिश बताई जाती है। 


nadeem and Rauf

   दरअसल आशिकी के बाद नदीम श्रवण एक हिट संगीतकार के रूप में बॉलीवुड में छा गए। तभी टी सीरीज में इनका एक नया एल्बम रिलीज़ हुआ, जिसमें कुछ गाने भी नदीम ने गाये थे। यह एल्बम कुछ ख़ास नहीं चला, इसके पीछे नदीम की सोच थी कि गुलशन कुमार उनके एल्बम को ठीक से प्रमोट नहीं कर रहे हैं। 


  विवाद बढ़ने पर गुलशन कुमार ने नदीम -श्रवण की फिल्मों के संगीत अधिकार लेना भी बंद कर दिया। इस कारण बहुत से फिल्म निर्माता नदीम श्रवण को अपनी फिल्मों में संगीतकार के रूप में लेने से कतराने लगे। इससे नदीम को लगा कि गुलशन कुमार उनका करियर खत्म करना चाहते हैं।  


  नदीम का सम्पर्क डी कम्पनी से था क्योंकि वह उन्हें हफ्ता देने वालों में शामिल था। नदीम के इशारा करने पर डी कम्पनी ने गुलशन कुमार से 10 खोखा (करोड़) रुपयों की मांग की।


  बताते हैं गुलशन कुमार ने इसकी पहली किश्त अदा भी कर दी पर बाकी रूपये देने से मना कर दिया। इसके बाद गुलशन कुमार की हत्या की प्लानिंग दुबई की एक पार्टी में की गई जिसमें दाऊद का छोटा भाई अनीस इब्राहिम, अबू सलेम और नदीम शामिल थे। 


  हत्या के लिए शूटर (अब्दुल रउफ और राशिद) तय किये गए और स्थान फिक्स किया गया -अँधेरी वेस्ट, मुंबई का एक शिव मंदिर। इस मंदिर का जीर्णोद्धार गुलशन कुमार ने करवाया था और मुंबई में रहने पर गुलशन कुमार यहां अवश्य जाया करते थे। जब वह मंदिर से दर्शन करके लौट रहे थे तभी अबू सलेम के शूटर उफ ने उन पर पिस्तौल तान दी और कहा - "तुमने नीचे बहुत पूजा कर ली, अब ऊपर जाकर पूजा करो।" 


  हत्यारों की सोच थी कि गुलशन कुमार ज़िंदा बचने न पाए। वे लोग गुलशन कुमार के पूरी तरह खत्म होने की तसल्ली करना चाहते थे, उन पर 16 गोलियाँ चलाई गयी थी। कहते हैं शूटर अब्दुल रउफ ने मरते हुए गुलशन कुमार की चीखें कुछ मिनटों तक अपने आका अबू सलेम को फोन पर सुनाई थीं।


Gulshan-abu salem and killer Rauf

  गुलशन कुमार की हत्या ने पहली बार अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड के काले सच को दुनिया के सामने उजागर कर दिया था। गुलशन कुमार की हत्या का मास्टरमाइंड अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम था। वहीं इस हत्या के तार नदीम से जुड़ रहे थे, जो  नदीम भागकर लंदन जा चुका था।  


  बॉम्बे पुलिस ने घोषणा जरूर की कि संगीत निर्देशक नदीम को गुलशन कुमार की हत्या में शामिल होने के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए ब्रिटेन से प्रत्यर्पित करवाया जायेगा।  प्रत्यर्पण की सुनवाई लम्बी चली पर नदीम को भारत नहीं लाया जा सका। गुलशन कुमार की हत्या करने वाला शूटर बाद में पकड़ा गया और उसे जेल की सज़ा हुई। 


मुकेश दुग्गल (Mukesh Duggal)


7 मार्च 1998 को अँधेरी, मुंबई में फिल्म निर्माता मुकेश दुग्गल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मुकेश दुग्गल ने 1991 में संजय दत्त स्टारर "फतेह" के निर्माता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद की सफल फिल्म "साथी" थी, महेश भट्ट द्वारा निर्देशित इस फिल्म में आदित्य पंचोली और पाकिस्तान के क्रिकेटर मोहसिन खान ने मुख्य भूमिकाएँ निभाईं थी।


film poster of gopikishan and dil ka kya kasoor

 
   दुग्गल ने बतौर निर्देशक अपनी शुरुआत, 1994 में सुनील शेट्टी (डबल रोल) स्टारर फिल्म  "गोपी किशन" से की। दिव्या भारती के साथ "दिल का क्या कसूर", अजय देवगन अभिनीत "प्लेटफार्म " और मोनिका बेदी अभिनीत "खिलौना" उनकी अन्य उल्लेखनीय फिल्में थीं।  


   मुकेश दुग्गल की हत्या का असली कारण एक रहस्य बना रहा। अबू सलेम इनकी फिल्मों को फाइनेंस किया करता था। माना जाता है कि अपनी फिल्मों के फाइनेंस के लिए अबू सलेम के प्रतिद्वंदी अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन से पैसे उधार लेने के लिए उन्हें मारा गया था। 


    दुग्गल की पत्नी ने अपने पति की हत्या के लिए एक्ट्रेस और अबू सलेम की प्रेमिका मोनिका बेदी को दोषी ठहराया। दुग्गल की पत्नी का कहना था कि मोनिका बेदी ने ही अपने उत्पीड़न की झूठी शिकायत अबू सलेम से की थी। यह शिकायत ही उसकी मौत का कारण थी।


  क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने उसके दावों से सहमति जताई और कहा, “हमें लगता है कि मुकेश दुग्गल की मौत के पीछे मोनिका थी, मैं अपराध के पीछे किसी अन्य कारण के बारे में नहीं जानता।”


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 दिनेश आनंद (Dinesh Anand)


फिल्म अभिनेता दिनेश आनंद की रहस्यमय परिस्थितियों में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 35 वर्षीय इस अभिनेता का शव उनकी होंडा कार में पाया गया। पुलिस को यह गाडी बोरिवली में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के पास मिली।


   उनके सिर में एक गोली का घाव था  मौके से 32 बोर का एक खाली कारतूस बरामद हुआ। दिनेश आनंद की उल्लेखनीय फिल्मों में पिता, प्यार इश्क़ और मोहब्बत, कुछ खट्टी कुछ मीठी जैसी फ़िल्में शामिल है।


अजीत देवानी (Ajit Dewani)


वर्ष 2001 में अजीत देवानी की कथित रूप से अबू सलेम गिरोह के सदस्यों द्वारा हत्या कर दी गई थी। अंडरवर्ल्ड के लोगों ने उसे गोलियों से भून डाला, क्योंकि उसने अवैध वसूली के पैसे देने से इनकार कर दिया था। अजीत देवानी, अभिनेत्री मनीषा कोइराला का सचिव था। 


    यहां उल्लेखनीय है कि जब अबू सलेम को नवंबर 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था तब इस मामले का उल्लेख  प्रत्यर्पण संधि में नहीं किया गया था। इसलिए अदालत ने अक्टूबर 2008 में इस मामले में सलेम को छुट्टी दे दी थी। क्योंकि तब अभियोजन पक्ष ने उसके खिलाफ सभी आरोपों को हटा दिया, जिसमें मकोका, आईपीसी और आर्म्स एक्ट शामिल थे।


  अंडरवर्ल्ड गैंग के द्वारा की गई अन्य हत्याओं में 15 अगस्त 1999 को मुन्नालाल केशरवानी (गुलशन कुमार के सहयोगी) की मुंबई में गोली मारकर हत्या कर दी गई।  


  7 जून 1994 को फिल्म  निर्माता जावेद रियाज़ सिद्दीकी का मर्डर भी इस श्रृंखला की कड़ी में शामिल है। इन हत्याओं के अलावा बॉलीवुड के लोगों पर प्राणघातक हमले भी हुए हैं, जिसमें वे किसी तरह अपनी जान बचाने में कामयाब रहे। 


Rakesh roshan and abu salem

राकेश रोशन (Rakesh Roshan) 


राकेश रोशन पर गोलीबारी की गई।अभिनेता राकेश रोशन ने कई हिट फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया, जिसमें ख़ुदगर्ज, खून भरी मांग और करण अर्जुन जैसी फ़िल्में शामिल हैं।ब्लॉकबस्टर फिल्म - कहो ना प्यार है, की विदेश में हुई कमाई का परसेंटेज न मिलने पर अंडरवर्ल्ड गैंग ने अभिनेता से निर्देशक बने राकेश रोशन को गोली मार दी थी। 


    यह घटना  21 जनवरी 2000 को, सांताक्रूज़ पश्चिम में तिलक रोड पर राकेश रोशन के ऑफिस के पास हुई थी।  हमलावरों ने उन पर दो गोलियां चलाईं, जिनमें से एक उनकी बाईं बांह पर लगी, जबकि दूसरी गोली उनके सीने में लगी। जैसे ही राकेश रोशन जमीन पर गिरे, हमलावर भाग गए।  


   रोशन पर हमला मारने के इरादे से नहीं किया गया था, लेकिन यह संकेत देने के लिए था कि अंडरवर्ल्ड का हुक्म न मानने वालों को अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रोशन को अंडरवर्ल्ड की धमकी मिलने के बाद उन्हें सुरक्षा दी गई थी परन्तु थोड़े समय बाद उसे हटा लिया गया था। 


राजीव राय (Rajiv Rai)


त्रिदेव और गुप्त जैसे मेगा-हिट के निर्देशक राजीव राय को भी जबरन वसूली की धमकी मिली थी और उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई थी। लेकिन 1997 में गैंगस्टरों  ने उनं पर हमला किया। इसके बाद राजीव राय देश छोड़कर चले गए, काफी समय बाद वे मुंबई वापस लौटे। राजीव राय ने अभिनेत्री सोनम से शादी की थी बाद में इनका डिवोर्स भी चर्चा में रहा। 


Rajiv rai and sonam

 इसी तरह दहशत फैलाने के लिए फिल्मकार करीम मोरानी के जुहू बंगले पर चार राउंड फायर किए गए थे। अंडरवर्ल्ड  के पैसों से बनने वाली फिल्मों ने बॉलीवुड को परेशानी में भी डाला है। ऐसी ही एक फिल्म थी - सलमान खान, प्रीति जिंटा और रानी मुखर्जी अभिनीत "चोरी चोरी चुपके चुपके"।  


 अब्बास-मस्तान द्वारा निर्देशित इस फिल्म के फिनांसर में भरत शाह का नाम है और निर्माता हैं- नदीम रिज़वी। मुंबई पुलिस के आयुक्त एम एन सिंह ने कहा था कि अंडरवर्ल्ड द्वारा वित्तपोषित की जाने वाली फिल्मों में से एक "चोरी चोरी चुपके चुपके" भी है। 


   कहा जाता है कि इस फिल्म को बनाने के लिए दाऊद के गुर्गे छोटा शकील ने निर्माता नदीम रिज़वी को आदेशित किया था। रिज़वी ने कई बड़े स्टार्स से बात की पर अंत में सलमान खान ने फिल्म करने पर सहमति दे दी। फिल्म निर्माण के दौरान ही मुंबई पुलिस की नज़र इस पर पड़ी। 


  कलाकारों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे अंडरवर्ल्ड के दबाव में आकर इस फिल्म में काम कर रहे हैं। अदालत में बाद में ये लोग अपनी बात से मुकर गए, केवल प्रीति जिंटा ने सही स्थिति को अदालत में रखा। इसके चलते भरत शाह और नदीम रिज़वी को सज़ा सुनाई गई।   


   अगर अंडरवर्ल्ड से मिलने वाली धमकी की बात करें तो ऐसे फिल्म स्टार्स और प्रोडूसर्स की लिस्ट बड़ी लम्बी है। मुंबई पुलिस ने इस बात की पुष्टि की थी कि फिल्म "हैप्पी न्यू ईयर" की रिलीज़ के समय अंडरवर्ल्ड की धमकियों के बाद शाहरुख खान, बोमन ईरानी और सोनू सूद की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। कहा जाता है कि इन लोगों को धमकी भरे कॉल डॉन रवि पुजारी की तरफ से किये गए थे। 


   आशा है ये आर्टिकल "Underworld Attack on Bollywood-अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड का काला सच " आपको पसंद आया होगा। इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल और सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 


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