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Friday 2 August 2019

Mind set of a share trader. शेयर ट्रेडर का माइंड सेट कैसा होना चाहिए

Mind set of a share trader. शेयर ट्रेडर का माइंड सेट कैसा होना चाहिए

"Trend is friend" अगर कहा जाए कि यह सूत्र वाक्य शेयर मार्केट में ट्रेड करने वाले किसी भी ट्रेडर के लिए समस्त ट्रेडिंग रणनीतियों (strategies) का बाप है तो जरा भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। मार्केट के ट्रेंड के साथ चलकर इंट्राडे ही नहीं बल्कि लंबी, मध्यम या अल्पकालिक अवधि में भी चाल (trend) का लाभ उठाया जाता है।

 इस रणनीति का अनुसरण करने वाले  ट्रेडर मार्केट के ऊपर या नीचे जाने का अनुमान लगाने में अपना समय वेस्ट नहीं करते हैं। क्योंकि उन्हें ट्रेंड के साथ सवारी करना होता है। 
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    जब तक उस दिशा में ट्रेंड बना होता है तब तक ही उसमें सवारी करते हैं और जब उन्हें लगता है कि ट्रेंड थमने लगा है और रुकावट दिख रही है तो मुनाफा बुक करके निकल जाते हैं।

   इसके बाद अगर इन्हें लगता है यहां से ट्रेंड विपरीत दिशा पकड़ रहा है तो उसे ठीक से सेट होने देते हैं फिर गाड़ी के चल पड़ने के बाद ही उसमें सवारी करते हैं। इसमें हड़बड़ी किये बिना वे केवल ट्रेंड के कन्फर्मेशन का इंतज़ार करते हैं और उसी के अनुसार ट्रेड में एंट्री और एग्जिट करते हैं। 

   यहां परेशानी यह है कि "Trend is friend" नियम समझने में जितना आसान लगता है प्रयोग करने में उतना ही कठिन बन जाता है। इसका कारण हमारे पूर्वाग्रह और मनोभाव होते हैं जो बड़ी बाधा बन जाते हैं। 

  अतः हमें इनसे छुटकारा पाना आवश्यक है। आइये इन मनोभावों का विश्लेषण करके समझने की कोशिश करते हैं कि हमारी सफलता में रुकावट किस प्रकार की है। 

 शेयर ट्रेडर का माइंड सेट

1. ट्रेंड के विपरीत चलना -

कुछ ट्रेडर्स  माइंड सेट ही इस प्रकार का होता है कि वे मार्केट की चाल के विपरीत चलना चाहते हैं। ऐसा लगता है जैसे उन्हें मार्केट से बदला लेना हो। ऐसे लोग जिस दिन देखते हैं कि मार्केट ऊपर के ट्रेंड में है उस दिन खरीदने की जगह सेल करके कमाने की सोचते हैं और जब मार्केट डाउन ट्रेंड में होता है उस समय खरीदने के लिए सौदा लगाते हैं। 

   अधिकतर इस प्रकार से सौदा लगाना नुकसान दायक या आत्मघाती फैसला सिद्ध होता है। यह ऐसा ही है जैसे कोई तेज बहती नदी में धारा के विपरीत तैरने की कोशिश करे। यदि आपके अंदर भी धारा या दिशा के विपरीत चलने की प्रवृति है तो उस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। 


  एक बात गाँठ बाँध लें कि मार्केट से लड़कर या उसके विपरीत चलकर जीता नहीं जा सकता यह बात बड़े और छोटे दोनों ट्रेडर पर समान रूप से लागू होती है। जरा सोचिये क्या "रिवेंज माइंड सेट" रखकर यहां जीत मिल सकती है?

   जिस शेयर मार्केट में कैश और F&O मिलाकर डेली का टर्नओवर 10 लाख करोड़ से भी अधिक पहुंच जाता हो वहां आपके कुछ हजार या 5 -7 लाख से क्या फर्क पड़ेगा। 

   इसलिए जिद छोड़कर ट्रेंड को फॉलो करें और जिस दिन मार्केट sideways या फ्लैट हो उस दिन कुछ भी करने से बचें। दिशा रहित या sideways मार्केट में कुछ करने की कोशिश करना खड़े हुए बैल को छेड़ने के समान है, जहां कुछ प्राप्त होने की गुंजाइश बिलकुल भी नहीं है। हां अगर अपने हाथ पैर तुड़वाने का मन हो तो ऐसा जरूर कर सकते हैं। 
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2. केवल बायर या सेलर का माइंड सेट-

जिस तरह कुछ लोगों को मार्केट की दिशा के विपरीत ट्रेड करने का मन होता है उसी तरह कुछ लोग केवल खरीद (buy) करके पैसा कमाना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरह के लोग हमेशा शार्ट (sell) साइड में बैठना पसंद करते हैं। 

   यह प्रवृति तभी सफल होगी जब मार्केट का ट्रेंड उनकी दिशा से मैच होगा। इंट्राडे में सेलर माइंड सेट वाले ट्रेडर का बढ़ते मार्केट में शार्ट (sell) करना और बायर माइंड सेट वाले का गिरते बाजार में खरीदने का अवसर ढूंढना नुकसान दायक हो सकता है। 

    अगर आप की प्रवृति खरीद कर कमाने की है तो मार्केट के अपट्रेंड में आने का इंतज़ार करें जिस दिन अपट्रेंड दिखे उस दिन ट्रेड करें। इसके विपरीत मंदी के समय मार्केट में सौदे न लगाएं। इसी तरह सेलर माइंड सेट वाले को मार्केट में डाउन ट्रेंड का इंतज़ार करना होगा। 

   सफल ट्रेडर की पहचान तो यह है कि स्टॉप लॉस के करीब आने पर वो न सिर्फ सौदे से बाहर निकले बल्कि दिशा बदलने का सिगनल मिलने पर अपनी पहली वाली दिशा के विपरीत ट्रेड लेने में भी संकोच न करे। 

3. ट्रेंड को कैसे समझें -

अधिकतर इंडिकेटर का बेसिक सिद्धांत, प्राइस में आये परिवर्तन पर आधारित होता है। इसलिए अच्छा होगा कि आप मुख्य रूप से "भाव भगवान है" (Price is God) को मानते हुए अपना पूरा ध्यान भाव (Price) पर केंद्रित करें। प्राइस से ट्रेंड को समझना शेयर मार्केट के मूल सिद्धांतों में से एक है। 

  विभिन्न इंडीकेटर्स का उपयोग करके कोई ट्रेडर यह दिखा सकता है कि भाव कहां तक जा सकता है या इसे कहाँ पर सपोर्ट रेजिस्टेंस है। लेकिन एक इंट्राडे ट्रेडर को केवल इस बारे में सोचना चाहिए कि बाजार (market) अभी क्या कर रहा है, न कि बाजार क्या कर सकता है। वर्तमान भाव (Price) और केवल भाव (Price) आपको बताता है कि बाजार क्या कर रहा है। 

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  इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडर के पास इतना समय नहीं होता कि वो विभिन्न प्रकार के दर्जनों इंडीकेटर्स को वाच करके कोई निष्कर्ष निकाले। अगर वो इन दसियों प्रकार के इंडीकेटर्स को वाच करता रहेगा तो सौदा कब डालेगा। इंट्राडे में तो मिनटों में खेल हो जाता है। 

   यदि आप 4 -6 इंडिकेटर को देख भी लेंगे तो किसी की लाइन ऊपर जा रही होगी, किसी की नीचे। इससे confusion और बढ़ जायेगा। इसलिए केवल  price action रणनीति को अपनाते हुए सिंपल चार्ट देखें, जिससे पता चल जायेगा कि अभी मार्केट की दिशा क्या है।

    फिर मूवमेंट के आधार पर स्टॉप लॉस और टारगेट डिफाइन करके सौदा डाल दें। अगर आपको ट्रेंड  समझ में न आ रहा हो तो उस समय मार्केट से दूर रहें अर्थात कोई सौदा डालने की जल्दबाज़ी करने से बचें। 

conclusion -

मार्केट में ट्रेड करने का आपका उद्देश्य पैसा कमाना है। यह तभी हो सकेगा जब आप मार्केट के ट्रेंड को फॉलो करेंगे। यदि कोई मार्केट के विपरीत चलकर उससे लड़ने या प्रतिरोध करने की सोचेगा तो इसका सैलाब  उसे इस तरह बहाकर ले जायेगा कि दुबारा वो शायद यहां दिखाई भी न पड़े। 

    आशा है ये पोस्ट "Mind set of a share trader. शेयर ट्रेडर का माइंड सेट कैसा होना चाहिए" आपको उपयोगी लगी होगी इसे अपने शेयर ट्रेडर मित्रों के साथ शेयर करें। अपने सवाल और सुझाव को कमेंट सेक्शन में जाकर लिख सकते हैं। शेयर मार्केट के अन्य रहस्यों को समझने के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहें।  

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